मोदी का भविष्य तय करेंगे ये पांच राज्य

Publsihed: 02.Feb.2019, 16:01
 
  • उत्तर प्रदेश
  • महाराष्ट्र
  • पश्चिम बंगाल
  • बिहार
  • तमिलनाडु

ये ऐसे पांच राज्य हैं जिनके पास सबसे ज़्यादा लोकसभा सीटें हैं।

  • उत्तर प्रदेश- 80 सीटें
  • महाराष्ट्र – 48 सीटें
  • पश्चिम बंगाल – 42 सीटें
  • बिहार – 40 सीटें
  • तमिलनाडु – 39 सीटें

इन पांचों राज्यों में कुल 249 लोकसभा सीटें हैं जिनमें से 2014 में बीजेपी और उसके गठबंधन को 148 सीटें मिली थी। कांग्रेस को मात्र 10 सीटें और अन्य के खातों में 91 सीटें आईं थीं। 2019 के लोकसभा चुनावों में एक बार फिर से सबकी नज़र इन राज्यों पर रहेगी। उतर प्रदेश में सपा बसपा का गठबंधन हो जाने और महाराष्ट्र में भाजपा शिवसेना गठबंधन टूटने की स्थिति में भाजपा को 50-55 सीटों का नुक्सान इन दो राज्यों में ही देखा जा रहा है | 

उत्तरप्रदेश

देश में किसकी सरकार बनेगी ये काफी हद तक उत्तरप्रदेश की जनता पर निर्भर करता है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 80 में से 71 सीटें जीती थी। अपना दल की 2 सीटों को मिलाकर एनडीए को 73, कांग्रेस 2 और सपा को 5 सीटें मिलीं।

पिछले दिनों तीन लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। कांग्रेस, सपा और बसपा के गठबंधन के कारण बीजेपी को इन तीनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। अब सपा-बसपा का गठबंधन हो गया है, तो बीजेपी का चुनावी समीकरण बिगड़ सकता है। बीजेपी के लिए 2014 जैसे नतीजे 2019 में दोहराना आसान नहीं होगा | सभी सर्वेक्षण भाजपा को 40-42 सीटों के नुक्सान की भविश्यवाणी कर रहे हैं | सपा-बसपा गठबंधन के कारण कांग्रेस को भी दो-चार सीटों पर फायदा मिल सकता है।

महाराष्ट्र

2019 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की अहम भूमिका रहेगी। महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को 23, शिवसेना 18, कांग्रेस 2, एनसीपी को 4 और स्वाभिमान को 1 सीट मिली थी।

2019 में महाराष्ट्र का चुनावी समीकरण बिल्कुल अगल होने वाला है क्योंकि बीजेपी और शिवसेना अलग- अलग चुनाव लड़ने का संकेत दे चुकी हैं, जबकि कांग्रेस और एनसीपी एक साथ चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं। ऐसे में बीजेपी की राहें थोड़ी मुश्किल हो सकती हैं। हालांकि गठबंधन टूटने के बावजूद उस की सीटों में कमी दो-चार से ज्यादा तो नहीं होगी |

बिहार

बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 22, एलजेपी औऱ आरएलएसपी को 3 सीटें मिली थीं। लेकिन विधानसभा चुनाव में जेडीयू और राजद का गठबंधन जीत गया , जिस से साफ़ संकेत था कि अगर यह गठबन्धन चलता रहा तो लोकसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन कहीं नहीं रहेगा | इसलिए दूर की सोच कर भाजपा ने नीतीश कुमार को झुककर गले लगा लिया | लेकिन अब आरएलएसपी ने एनडीए से अलग हो कर कांग्रेस और आरजेडी के साथ गठबंधन बना लिया है | जेडीयू के एनडीए का हिस्सा बनने के कारण भाजपा अपनी पिछली जीती हुई सीटों पर भी चुनाव नहीं लड़ सकेगी | नीतीश कुमार और भाजपा 17-17 सीटों पर चुनाव लड रही है | मजबूरी के इस गठबंधन  बावजूद एनडीए को पिछली बार की 25 सीटें मिलती नहीं दिखती | 

 

बंगाल

पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं। यहां 2014 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी को 34 और बीजेपी को मात्र 2 सीटें ही मिली। स्थानीय चुनावों में बीजेपी का ग्राफ बढ़ा है। नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने यूपी के नुक्सान की भरपाई बंगाल और पूर्वोतर से करने की रणनीति बनाई हुई है , पूर्वोतर की सभी 25 सीटों के अलावा बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए बंगाल से 22 सीटों का लक्ष्य रखा है, इसलिए नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने बंगाल में चुनावी जंग शुरू भी कर दी है | लेकिन अगर टीएमसी और कांग्रेस का गठबंधन होता है, तो बीजेपी की यहां भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वामपंथियों ने भी भाजपा को हारने के लिए टीएमसी के सामने हथियार डाल दिए लगते हैं | 

तमिलनाडु

लोकसभा चुनावों की दृष्टि से तमिलनाडु भी बहुत अहम है। इस राज्य में 39 लोकसभा सीटें हैं। 2014 के चुनावों में एआईडीएमके को 37 सीटें और बीजेपी को सिर्फ 1 सीट मिली थी। इस बार जय ललिता और करुणानिधी की गैर मौजूदगी में पहले चुनाव होने हैं | डीएमके का कांग्रेस से गठबंधन हो गया है और इसी गठबंधन का पलड़ा भारी है | भाजपा का अगर अन्नाद्रमुक से गठबंधन होता भी है, तो भी बीजेपी को इसका कोई फायदा मिलता नहीं दिखता |

 

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