जनसंख्या क़ानून और वोट का हक

Publsihed: 02.Sep.2019, 18:38

अजय सेतिया / मोदी सरकार की ओर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने बाद कांग्रेस में हाई कमान के खिलाफ उठा बवंडर अभी थमा नही है कि युवा नेता जतिन प्रसाद ने दकियानूसी विचारों वाली अपनी पार्टी के लिए नई मुसीबत खडी कर दी है | उन्होंने नरेंद्र मोदी के स्वतन्त्रता दिवस पर लालकिले से दिए गए भाषण में जनसंख्या नियन्त्रण वाले विषय का समर्थन किया है | नरेंद्र मोदी ने देश की बढती जनसंख्या को सभी समस्याओं की जड बताते हुए उसे रोकने के उपाओं की बात उठाई थी | असल में नरेंद्र मोदी के भाषण का यह अंश भाजपा के युवा सांसद राकेश सिन्हा के प्राईवेट मेंबर बिल से प्रभावित था | राकेश सिंहा ने 14 जुलाई को राज्यसभा में यह बिल पेश किया है |

कांग्रेस का दकियानूसी नेतृत्व पार्टी को अल्पसंख्यकवाद पर ही बनाए रखने के पक्ष में है , जबकि कांग्रेस की इन नीतियों के खिलाफ देश में आक्रोश के कारण ही हिन्दू नवजागरण ने उसे लोकसभा में विपक्ष के दर्जे लायक भी नहीं छोड़ा है | मोदी सरकार धीरे धीरे उन सभी मुद्दों पर आगे बढ़ रही है , जिन के कारण उसे इतना बड़ा जनसमर्थन मिला है और भाजपा की सदयता संख्या 18 करोड़ को पार कर गई है | कांग्रेस का हमेशा से यह नजरिया रहा है कि 370 हटाने और जनसंख्या नियन्त्रण करने से उस के मुस्लिम वोटर खफा हो जाएंगे , इस लिए कांग्रेस ने कभी निष्पक्ष हो कर इन दोनों मुद्दों पर मंथन नहीं किया | हालांकि आपातकाल में जनसंख्या नियन्त्रण संजय गांधी का मुख्य मुद्दा था | कांग्रेस का एक आकलन यह था कि 1977 में उस की हार का एक कारण आपातकाल में जबरी नसबंदी से मुसलमानों की नाराजगी भी था | कांग्रेस ने उस के बाद सारे काम मुसलमानों को खुश करने के लिए किए , भले ही वह हज की सब्सिडी हो , तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ते से वंचित करना हो , अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक का दर्जा देना हो या राष्ट्रीय संसाधनों पर उस का पहला हक मानना हो | जनसंख्या नियन्त्रण और 370 जैसे मुद्दों पर चुप्पी भी उसी में शामिल थे |

मोदी सरकार ने उन सारी तुष्टिकरण वाली नीतियों को बदलना शुरू कर दिया है , हज की सब्सिडी खत्म हो चुकी है , 370 हट चुकी है , मोदी ने लाल किले की प्राचीर से जनसंख्या नियन्त्रण का बिल लाने का इरादा जता ही दिया है | अयोध्या का मामला सुप्रीमकोर्ट से इसी साल हल हो जाने की उम्मींद है , जरूरत पड़ी तो सरकार बिल लाने में भी नहीं हिचकेगी | कोई माने या न माने मोदी सरकार 2022 में समान नागरिक संहिता का बिल भी ले आएगी | जिस के संकेत मायावती ने भी 370 हटाने का समर्थन करने के बाद अपनी प्रेस कांफ्रेंस में दिए हैं | पिछली लोकसभा में भाजपा के सांसद संजीव बलियान ने जनसंख्या नियन्त्रण का निजी बिल पेश किया था , लेकिन अब जनसंख्या नियन्त्रण बिल मोदी सरकार का 2020 का एजेंडा बन गया है , जिस का श्रीगणेश राकेश सिंहा के निजी बिल से हो चुका है | हालांकि राकेश सिंहां के बिल में वोटिंग राईट का जिक्र नहीं है , लेकिन मोदी सरकार का इरादा पहले चरण में सरकारी सुविधाएं दे क्र लोगों को प्रेरित करना है तो दूसरे चरण में इसे वोट और चुनाव लड़ने के अधिकार से भी जोड़ने का है | हालांकि इस पर बवाल खड़ा होगा , क्योंकि विपक्ष इसे मुसलमानों को वोटिंग राईट से वंचित करने के नजरिए से देखेगी | हाल ही में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दो से ज्यादा बच्चों वाले को पंचायतों के चुनाव लड़ने से वंचित करने वाले क़ानून पर स्टे लगा दिया है |

सिंहा ने जब यह बिल राज्यसभा में पेश किया , तभी यह संकेत मिल गया था कि खुले विचारों वाले विपक्ष के युवा सांसद बिल का समर्थन करेंगे | बिल पेश करते हुए राकेश सिन्हा ने उद्देश्यों और कारणों का तार्किक खुलासा किया है , जिसे पढ़ कर कोई भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता | सिन्हा ने अपने बिल में वैसे तो दो बच्चों की बात कही है , लेकिन सिर्फ एक बच्चा रखने वालों को कई तरह के सरकारी लाभ देने का प्रावधान रखा है जिन में सरकारी नौकरी वालों को एक अतिरिक्त इन्क्रीमेंट , प्रीमियम शिक्षण संस्थाओं में एडमिशन ,नौकरी में प्राथमिकता, हवाई यात्राओं में सब्सिडी जैसी 17 सुविधाएं शामिल है | अगर मोदी सरकार राकेश सिन्हा के ही बिल को जस का तस स्वीकार कर लेती है ,तो लोग परिवार को एक बच्चे तक सीमित रखने को भी प्रेरित होंगे और बेटे-बेटी का भेद भी मिट जाएगा | 

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