अब सिर्फ ब्रांड मोदी ही मुद्दा

Publsihed: 01.May.2019, 14:51

इंडिया गेट से अजय सेतिया /बालाकोट ने चुनाव की दिशा बदल दी है , जिस में मोदी एक सख्त प्रशासक और पाकिस्तान को सबक सिखाने वाले एक मात्र नेता के रूप में उभर आए थे | नरेंद्र मोदी ने हवा का रूख देख कर अब सिर्फ खुद को मुद्दा बना लिया है | वह हर रैली में कह रहे हैं कि कमल के बटन पर डाला गया हर वोट सीधा उन्हें मिलेगा |

करीब करीब दो तिहाही सीटों पर लोकसभा चुनाव सम्पन्न हो जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जन भावनाओं के अनुरूप मुद्दे तय कर लिए हैं | वह अपनी रैलियों में उन्हीं मुद्दों पर ज्यादा बोलते हैं , जिन से उन्हें पब्लिक का रिस्पांस ज्यादा मिलता है | और ये मुद्दे हैं पाकिस्तान , आतंकवाद और देश की सुरक्षा | हालांकि वह अपनी जनकल्याण योजनाओं का जिक्र भी करते हैं , लेकिन उन मुद्दों पर मोदी को कोई रिस्पांस नहीं मिल रहा | अलबत्ता मोदी जब अपनी योजनाएं गिनाने लगते हैं तो भीड़ बोर हो जाती है और मोदी-मोदी के नारे लगाने लगती है |

चौथे दौर का चुनाव सम्पन्न हो जाने के बाद लोकसभा की अब सिर्फ  170 सीटों पर चुनाव बचा है और इन में से 117 भाजपा के पाले में हैं , जिन में से मोदी ज्यादा से ज्यादा बचाना चाहते है | इन 117 में से 73 सीटें तो पूर्वी उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान से ही हैं | भाजपा के एक वर्ग का मानना है कि हिन्दू हितों की अनदेखी मोदी को महंगी पड़ रही थी , इसलिए साध्वी प्रज्ञा को भोपाल में टिकट दिया गया और मोदी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रचार का आगाज अयोध्या से किया , जहां उन्होंने जयश्रीराम का नारा भी लगा दिया | मोदी भाजपा के तीनों विवादास्पद मुद्दों श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, अनुच्छेद 370 और समान नागरिक संहिता पर अब तक कुछ नहीं बोले | वह अपने बनाए मुद्दों और अपने व्यक्तित्व और छवि पर ही चुनाव को आगे बढ़ा रहे हैं , लेकिन खफा हिन्दुओं के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए उन्होंने अयोध्या जा कर जयश्रीराम का नारा लगा दिया |

मोदी के जयश्रीराम के नारे के बाद उत्तर भारत के चुनाव की दिशा बदल जाएगी | खासकर भोपाल का चुनाव ज्यादा दिलचस्प होने वाला है , जहां “भारत तेरे टुकड़े होंगे” नारों के लिए चर्चा में आए कन्हैया भी बेगुसराए में अपना चुनाव निपट जाने के बाद भोपाल आने वाले हैं | साध्वी प्रज्ञा और कन्हैया की उम्मीन्द्वारी ने भी भाजपा को अपने पक्ष में वातावरण बनाने में मदद की | जहां साध्वी प्रज्ञा के नाम पर हिन्दुओं को कांग्रेस के हिन्दू आतंकवाद की याद दिलाई गई , वहां कन्हैया के नाम पर राष्ट्रीय एकता को मुद्दा बनाने में भाजपा को मदद मिली | कांग्रेस दिग्विजय सिंह को और सीपीआई कन्हैया को टिकट न देती तो भाजपा को इन दोनों मुद्दों को खड़ा करने में थोड़ी मुश्किल होती | इन दोनों दलों ने भाजपा को भावनात्मक मुद्दे खड़े करने में मदद की |  

कांग्रेस ने पांच विधानसभाओं के चुनाव बेरोजगारी और किसानों की दुर्दशा को मुद्दा बना कर लड़े थे , ये वास्तविक जमीनी मुद्दे हैं , मोदी राज में युवा और किसानों की दुर्दशा हुई है | राहुल गांधी का इन दोनों वर्गों को टार्गेट करना लाभकारी साबित हुआ ,कांग्रेस राजस्थान, मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ में सत्ता में आ गई | हालांकि तीनों ही राज्यों में दस दिन के भीतर किसानों के कर्जमाफी का वायदा पूरा नहीं हुआ , इस के बावजूद यही वास्तविक मुद्दे थे | लेकिन कांग्रेस वामपंथियों के सोशल मीडिया पर फैलाए गए इस भ्रमजाल में फंस गई कि नरेंद्र मोदी बहुत अलोकप्रिय हो गए हैं | इस लिए उस ने इन मुद्दों को छोड़ दिया और नरेंद्र मोदी को टार्गेट कर चुनाव लड़ने की रणनीति बनाकर नरेंद्र मोदी को “ब्रांड मोदी“ बनाने में खुद मदद की |

बालाकोट पर एयर स्ट्राइक के बाद चौकीदार चोर का नारा छोड़ कर कांग्रेस को असली मुद्दों पर आना चाहिए था | शुरू शुरू में प्रियंका गांधी ने उन्हीं दोनों मुद्दों पर जोर भी दिया था , लेकिन प्रशांत भूषण , अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा की राफेल पर सुप्रीमकोर्ट में नई याचिका स्वीकार होने पर राहुल गांधी फिर से अति उत्साह में चौकीदार चोर के मुद्दे पर लौट आए , जिससे सुप्रीमकोर्ट में उन की किरकिरी भी हो रही है | जबकि बालाकोट ने चुनाव की दिशा बदल दी है , जिस में मोदी एक सख्त प्रशासक और पाकिस्तान को सबक सिखाने वाले एक मात्र नेता के रूप में उभर आए थे | नरेंद्र मोदी ने हवा का रूख देख कर अब सिर्फ खुद को मुद्दा बना लिया है | वह हर रैली में कह रहे हैं कि कमल के बटन पर डाला गया हर वोट सीधा उन्हें मिलेगा | उन की यह कोशिश भाजपा के सांसद उम्मीन्द्वारों के खिलाफ उत्पन्न एंटी इन्केम्बेन्सी को रोकना भी है |

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