तो कांग्रेस का आपरेशन आजमगढ़ शुरू होगा अब

Publsihed: 10.Feb.2010, 10:06

तो दिग्गी राजा ने कांग्रेसी प्रवक्ताओं की हवा खिसका दी। अपन भी हैरान थे। दस जनपथ के इशारे बिना तो आजमगढ़ नहीं गए होंगे दिग्गीराजा। वही सच निकला। दिग्गी राजा ने सोनिया को आजमगढ़ दौरे की रपट दी। तो कांग्रेसी प्रवक्ताओं की घिग्गी बंध गई। अभिषेक मनु सिंघवी, मनीष तिवारी, शकील अहमद को पता ही नहीं था। इसीलिए परेशानी का इजहार कर गए। प्रवक्ताओं को पता ही नहीं लगती- सोनिया-राहुल की रणनीति। खुद सोनिया गांधी और राहुल ने दिग्गी को सौंपा था आपरेशन आजमगढ़। जो दिग्गी राजा की रपट से पूरा नहीं हुआ। अलबत्ता आपरेशन तो अब शुरू होगा। सोनिया को सौंपी लिखित रपट दाखिल खारिज नहीं होगी। अलबत्ता रपट की एक-एक सिफारिश पर अमल होगा।

उनने सिफारिश की है- 'आजमगढ़ के मुस्लिम युवकों पर दायर मुकदमों की सुनवाई विशेष अदालत से कराई जाए। चार राज्यों में दायर मुकदमे एक अदालत के सुपुर्द किए जाएं। मुकदमों की सुनवाई तेजी से करवाई जाए।' उनने एक और सिफारिश भी की। जिसका जिक्र अपन बाद में करेंगे। यों तो ऊपर बताई सिफारिशों का ताल्लुक भी वोट बैंक की राजनीति से। पर वोट बैंक की राजनीति शुरू कैसे होगी। उसका खुलासा भी अपन करेंगे। वरुण और राहुल यूपी में जो कुछ कर रहे। उससे अपने कान खड़े होना स्वाभाविक। एक हिंदू वोट बैंक को रिझाने की कोशिश में। तो दूसरा मुस्लिम वोट बैंक को रिझाने की कोशिश में। दोनों की कोशिशें कामयाब रहीं। तो उत्तर प्रदेश सांप्रदायिकता का अखाडा बनेगा। कांग्रेस-बीजेपी की इस सांप्रदायिक जंग से बेखबर नहीं हैं मुलायम-माया। धु्रवीकरण होगा। तो जातीय राजनीति धरी रह जाएगी। सो मुलायम-माया की जवाबी कार्यवाही क्या होगी। अपन को उस पर भी नजर रखनी होगी। फिलहाल बात दिग्गी राजा की। तो उनने सबसे पहले बाटला हाऊस मुठभेड़ पर सवाल उठाए। फिर कहा- 'मैं कौन होता हूं मुठभेड़ पर सवाल उठाने वाला।' यों बयानों से मुकरना नेताओं की पुरानी आदत। पर कई बार नदी में कंकड़ फेंककर भी देखते हैं नेता। सो मुठभेड़ की जांच वाली बात नदी में कंकड़ फेंकने वाली थी। पानी में उथल-पुथल ज्यादा हुई। तो पलटी मार गए दिग्गी राजा। सोनिया से मुलाकात के बाद उनने कहा- 'मैंने तो कभी बाटला हाऊस मुठभेड़ पर सवाल नहीं उठाया। न मुठभेड़ की दुबारा जांच मांगी। मैं जानता हूं, सुप्रीम कोर्ट जांच की मांग खारिज कर चुकी। मैंने तो अलबत्ता स्पीडी ट्रायल की मांग की। वह कैसे हुई सांप्रदायिक।' स्पीडी ट्रायल की मांग का दिग्गी राजा को पूरा हक। आखिर बाटला हाऊस के बाद जमकर मुकदमे हुए। इंडियन मुजाहिद्दीन और आजमगढियों का संबंध गहरा निकला। तो आजमगढ़ के दर्जनों युवाओं पर मुकदमे दायर हुए। जिन चार राज्यों में मुकदमे दायर हुए। उनमें तीन कांग्रेस शासन वाले। सिर्फ गुजरात बीजेपी शासन वाला। दिल्ली, महाराष्ट्र और राजस्थान में तो कांग्रेस की सरकारें। सो आजमगढ़ियों का गुस्सा कांग्रेस पर ही। बड़ी मुश्किल से यूपी में पैर जमने लगे थे कांग्रेस के। आजमगढ़ियों का फच्चर कांग्रेस का 'वाटर लू' बनने लगा। तो आपरेशन आजमगढ़ की रणनीति बनी। आपको पता होगा- दो साल पड़े हैं यूपी विधानसभा चुनाव में। आपरेशन आजमगढ़ उसी की तैयारी। दिग्गी राजा तो आजमगढ़ियों को समझाने गए थे- 'स्पीडी ट्रायल और मुकदमे क्लब करने की मांग करें।' सभी राज्यों के मुकदमे एक जगह लाने में मुश्किल भी नहीं होगी। तीन कांग्रेसी राज्यों की सहमति तो सोनिया के इशारे पर हो जाएगी। अपन नहीं जानते- दिग्गी राजा की रपट सोनिया पीएम, एचएम को भेजेगी या नहीं। पर आखिरकार होगा वही। भले अभी न हो। राहुल गांधी के आजमगढ़ दौरे के बाद हो। तो बता दें- दिग्गी राजा ने सिफारिश की है- 'राहुल गांधी को आजमगढ़ भेजा जाए।' आपरेशन आजमगढ़ तो राहुल के दौरे से शुरू होगा। इंतजार करिए।

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