कांग्रेस ने सोचा था- मोहन चंद्र शर्मा को अशोक चक्र दे देंगे। तो बाटला मुठभेड़ की जांच का सवाल नहीं उठेगा। अर्जुन, पासवान, लालू जैसे ठंडे जरूर पड़े। पर इन यूपीए वालों की लगाई आग थमी नहीं। गुरुवार को आजमगढ़िए दिल्ली आ धमके। जंतर-मंतर पर दो हजार की भीड़ तो होगी ही। आजमगढ़ियों के साथ दिल्ली के इंटलेक्चुएल भी जुटे। इन इंटलेक्चुएल्ज की मांग है- 'अफजल गुरु को फांसी न दो। मुठभेड़ में आतंकियों को मारने वालों को गिरफ्तार करो।' आजमगढ़ियों ने 'उलेमा काऊंसिल' बना ली है। इसी मुद्दे पर चुनाव में भी कूदेंगे। उलेमा काऊंसिल के चीफ अमीर रशीदी मदनी बोले- 'आजमगढ़ सदर और लालगंज सीट लड़ेंगे।' अपन नहीं जानते बीएसपी सीट छोड़ेगी या एसपी। कांग्रेस भी दोनों जगह उम्मीदवार खड़ा न करे। तो अपन को हैरानी नहीं होगी। यों यूपी पर अभी कांग्रेस की तस्वीर साफ नहीं। मायावती ने जबसे अशोक गहलोत को समर्थन दिया। तब से मुलायम के नुथने फूले हुए हैं। बात कांग्रेस के चुनावी गठबंधन की चली। तो बताते जाएं- सीडब्ल्यूसी के बाद जनार्दन द्विवेदी ने साफ कह दिया- 'गठबंधन स्टेट लैवल पर ही होगा। नेशनल लैवल पर नहीं।' इसका मतलब लालू, पासवान, मुलायम, पवार को औकात में लाना।
चारों बाकी राज्यों में भी सीटें मांग रहे थे। कांग्रेस ने गुरुवार को मापदंड तय कर लिए। कमेटियां बना ली। उम्मीदवारों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी। जब कांग्रेस की सीडब्ल्यूसी चल रही थी। तो बीजेपी की सीईसी चल रही थी। यों बीजेपी चुनावी काम कब से शुरू कर चुकी। कई राज्यों के उम्मीदवारों का तो एलान भी हो चुका। गुरुवार को पांचवीं-छटी लिस्ट बंटी। ताजा लिस्ट में उत्तराखंड से निशानेबाज जसपाल राणा भी। बीजेपी की तैयारियां सिर्फ उम्मीदवारों के एलान तक नहीं। चुनावी रणनीति पर तैयारियां अलग से। कुछ आडवाणी के घर। तो कुछ अनंत कुमार के घर। गुरुवार की शाम एक मीटिंग आडवाणी के घर भी हुई। बीजेपी से सारे सीएम मौजूद थे। अपनी-अपनी तैयारियां बताई। पर येड्डियूरप्पा को मेंगलूर के पब कांड का ब्योरा देना पड़ा। यों अपने अशोक गहलोत ने येड्डियूरप्पा का काम आसान किया। उनने ठीक वक्त पर ही पब कल्चर की मुखालफत की। कर्नाटक के बीजेपी नेता लहर सिंह राजस्थान मूल के। सो उनने गहलोत को सलाह दी- 'अपने कर्नाटक के कांग्रेसी दोस्तों को भी समझाओ।' गहलोत के स्टेंड से कर्नाटक में तो कांग्रेस के होश उड़ गए। दिल्ली में भी गांधीवादी कांग्रेस परेशान दिखी। शकील अहमद बोले- 'गहलोत ने राजस्थान के बारे में कहा। कर्नाटक के बारे में नहीं।' इसका मतलब- कांग्रेस राजस्थान में पब कल्चर के खिलाफ। पर कर्नाटक में पब कल्चर की हिमायती। गहलोत के बयान से दोराहे पर खड़ी हो गई कांग्रेस। कर्नाटक में भी गांधी का रास्ता अपनाए या नहीं। पर अपन बात कर रहे थे येड्डियूरप्पा की। गहलोत ने तो राहत दी। पर अपने ही एमएलए सपंगी ने नई मुसीबत खड़ी कर दी। येड्डियूरप्पा दिल्ली में थे। तो कर्नाटक में सपंगी रिश्वत लेते पकड़ा गया। सो उल्टे पांव लौटना पड़ा। आडवाणी के घर मीटिंग में आधा घंटा भी नहीं रहे। पर जाने से पहले सदानंद गौड़ा से गुफ्तगू कर सपंगी को सस्पेंड करवा गए। अपन लगते हाथों बता दें- सपंगी बीस साल से कांग्रेसी था। चुनाव से ठीक पहले ही बीजेपी में आया था। पर थोड़ी बात कांग्रेस की भी। कांग्रेस यूपीए को ठोकर मारने की रणनीति बनाने लगी। यह रणनीति सहयोगियों की हालत खस्ता होने के कारण। जनार्दन द्विवेदी बोले- 'यूपीए के नाते चुनाव नहीं लड़ेगी कांग्रेस। यूपीए तो शासन के लिए था। चुनाव के बाद शासन के लिए फिर बनेगा। जिसको जितनी सीटें मिलेंगी, उसका उतना हिस्सा। गठबंधन स्टेट लैवल पर होगा। नेशनल लेवल पर नहीं।' यानी एनडीए चुनाव में एकजुट होकर उतरेगा। यूपीए दलों की औकात देखकर बाद में बनेगा। हारने वाले जाएंगे, जीतने वालों के लिए दरवाजे खुलेंगे।
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