आडवाणी के रास्ते में लाख रुकावटें। पर एनडीए में आडवाणी के सिवा पीएम पद का दावेदार नहीं। कांग्रेस, शेखावत-मोदी को लेकर खिल्ली जितनी चाहे उड़ाए। पर खुद यूपीए में ईट उठाओ तो पीएम पद का दावेदार। एनडी तिवारी तो मन मसोसकर रह गए। लालू अपनी दबी इच्छा गाहे-बगाहे जाहिर करते ही रहे। भले ही अर्जुन-पवार दबी इच्छा छुपाते रहे हों। पर अब शेखावत के मित्र पवार दांव चलने के मूड में। यों पवार अब इस उम्र में लोकसभा चुनाव लड़ने के मूड में नहीं। यह बात उनने अपन को कई महीने पहले बता दी थी। जब उनने कहा- 'मैं आईसीसी का चुनाव लडूंगा।' पर राजनीति की घोड़ा चालें कौन नहीं जानता। यह कोई पुरानी बात नहीं। जब एनसीपी के प्रवक्ता डीपी त्रिपाठी ने पीएम पद पर शेखावत का समर्थन किया। उस खबर की सुर्खियां अभी सूखी नहीं। अब उनने पवार को पीएम पद का उम्मीदवार बता दिया। बोले- 'यह चुनाव के हालात पर निर्भर करेगा। पवार की यूपीए से बाहर भी पहुंच। जैसे शेखावत और जयललिता। वह मुलायम और मायावती दोनों के करीब।' पर कांग्रेस जैसे मोदी के नाम से तिलमिलाई थी। वैसे ही पवार के नाम से तिलमिलाई।
मनीष तिवारी बोले- 'हम पवार की दावेदारी नहीं जानते। यूपीए सोनिया-मनमोहन की रहनुमाई में ही लड़ेगा। यूपीए में तीसरे की कोई गुंजाइश नहीं।' मनीष तिवारी एक नाम भूल गए। उनने राहुल का नाम ही नहीं लिया। जिसे सामने रखकर चुनाव लड़ेगी कांग्रेस। यानी पीएम पद के दावेदार एनडीए से ज्यादा यूपीए में। बात राहुल की चली। तो याद करा दें- मध्यप्रदेश की हार पर राहुल बाबा बेहद खफा थे। उनने पचौरी से एक-एक की रिपोर्ट मंगवाई। पर राहुल की फटकार के बाद मध्यप्रदेश के कांग्रेसी एआईसीसी में सिर जोड़कर बैठे। अर्जुन-दिग्गी-सिंधिया-पचौरी-कमलनाथ ने हार से सबक सीखने की कसम ली। पर खुद राहुल दिनभर लीडरशिप ट्रेनिंग मैनेजमेंट क्लास में रहे। बात चुनाव नतीजों से सबक सीखने की चली। तो बता दें- सबक सिर्फ कांग्रेसी नेता नहीं सीख रहे। सबक राजस्थान की हार से बीजेपी ने भी सीखा। तभी तो जसवंत सिंह की शिकायत पर आडवाणी हरकत में आए। उनने मंगलवार को वसुंधरा-माथुर को बुलाकर क्लास ली। पर अपन बात कर रहे थे आडवाणी की। इंडस्ट्री ने नरेंद्र मोदी की वाहवाही में कसीदे गढ़े। तो एनडीटीवी ने आडवाणी को लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड से नवाजा। बुधवार रात दिए अवार्ड में कहा गया- 'आडवाणी जमीन से जुड़े देश के नेता। उनने बीजेपी को शिखर पर पहुंचाया। आतंकवाद के खिलाफ कड़े कानून के हामी। सूचना प्रसारण मंत्री थे। तो प्रेस सेंसरशिप खत्म की। प्रेस विरोधी कानून खारिज किया।' ज्यूरी में प्रणव राय तो थे ही। फाली एस नरीमन, राहुल बजाज, शशि थरूर जैसी हस्तियां भी। थरूर की बात चली। तो बता दें- यूएनके सेक्रेट्री जनरल का चुनाव हारकर भारत लौट आए। अब केरल से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। आडवाणी को लाइफ टाइम अवार्ड देने पर टिकट गंवा लें। तो अलग बात। आखिर मोदी की तारीफ करके सांसद अब्दुल्ला कुट्टी भी तो सीपीएम से सस्पेंड हो चुके। पर बात आडवाणी की। आडवाणी पूरी तरह ओबामा की तर्ज पर। गुरुवार को उनने तीसरी बार रेडिफ पर युवाओं से चैट किया। डेढ़ घंटा चली चैट में दर्जनों सवाल हुए। उनने मांगने पर युवाओं को अपना टेलीफोन नंबर भी दिया। कश्मीर-आतंकवाद पर सवाल हुए। देश की सुरक्षा, पाक, जंग पर भी सवाल हुए। एक जवाब में उनने वादा किया- 'जैसे वाजपेयी के समय देश आशाओं से भरा था। वैसे ही देश को निराशाओं से आशा में लाएंगे।' एक सवाल था- 'क्या आप नहीं सोचते- देश को युवा पीएम चाहिए? जो मार्डन इंडिया की समझ रखता हो। जो दुनिया के हालात समझ सके।' आडवाणी ने सधा सा जवाब दिया- 'बड़े अदब से कहना चाहूंगा- देश को नेतृत्व देने की दोनों ही क्षमताएं हैं मेरे पास।'
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