बधाई तो कश्मीर की जनता को। जिसने बायकाट का बाजा बजा दिया। हुर्रियत कांफ्रेंस की तो टैं बोल गई। पहले फेज में 69 फीसदी वोट पड़े। तो अलगाववादियों ने दूसरे फेज से पहले खूब बम फोड़े। पर दूसरे फेज में भी 65 फीसदी वोट पड़ गए। अलगाववादी अब जनता की पेशानी पर लिखी इबारत पढ़ लें। बैलेट की ताकत को समझें। बायकाट, हड़ताल और हिंसा की राजनीति छोड़ दें। फर्जी वोटिंग के आरोप अबके नहीं चलने। पूरी दुनिया ने पोलिंग बूथ पर लगी लंबी-लंबी लाइनें देख ली। इंटरनेशनल ऑबजर्वरों ने भी देख लिया। आवाम ने हुर्रियत से तौबा कर ली। इसका कुछ सेहरा तो अपन क्यूम खान के पोते के सिर भी बांधेंगे।
पीओके के पहले पीएम थे क्यूम खान। लगते हाथों अपन बताते जाएं- क्यूम खान महाराजा हरिसिंह की फौज में थे। उनने 1939 में महाराजा के खिलाफ बंदूक उठाई। सो क्यूम को मुजाहिद-ए-अव्वल कहा जाने लगा। उसी क्यूम खान का पोता घाटी में आकर बोला- 'बायकाट नहीं, अपनी सरकार चुनो। चुनाव कश्मीर का भाग्य नहीं लिखेगा। कश्मीर का गवर्ननेंस लिखेगा।' पहली बार यह बात कश्मीरियों के भेजे में पड़ी। सो कश्मीरियों को बधाई। सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद बनें। फारुख या उमर अब्दुल्ला। या फिर अपने गुलाम नबी आजाद। बात गुलाम नबी की चली। तो बताते जाएं- मुफ्ती मोहम्म्द ने रिटायर्ड गवर्नर सिन्हा पर मालेगांव में पकड़े गए दयानंद पांडे से रिश्ते बताए। तो गुलाम नबी ने कहा- 'जनरल सिन्हा की देशभक्ति पर कोई शक नहीं कर सकता।' वैसे यह भी अजीब फैशन चला। साध्वी प्रज्ञा के साथ राजनाथ सिंह का फोटू दिख जाए। तो राजनाथ कटघरे में। दयानंद पांडे के साथ उमर अब्दुल्ला का फोटू दिख जाए। तो उमर कटघरे में। भोपाल में 'अभिनव भारत' की मीटिंग का कोई वीडियो मिल जाए। तो भले ही मंच पर 'अभिनव भारत' का बैनर लगा हो। गोपनीय मीटिंग बता दी जाएगी। यों 'अभिनव भारत' अभी भी बैन नहीं। फिर भी 'अभिनव भारत' से रिश्तों पर ऐसे टिप्पणियां होने लगी। जैसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई हो। खैर मालेगांव केस की बात चल ही पड़ी। तो ताजा घटनाक्रम बता दें। सोमवार को प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित, दयानंद पांडे समेत सभी अदालत में पेश हुए। तो सभी ने एटीएस की पोल खोल दी। प्रज्ञा ने ब्ल्यू फिल्म दिखाने का खुलासा करते कहा- 'मुझे इस तरह नंगा करने की धमकी दी गई।' कर्नल पुरोहित ने कहा- 'पुलिस ने मेरी पत्नी और बेटी को नग्न करने की धमकी दी।' मार-पिटाई के आरोप तो लगे ही। कर्नल पुरोहित की तो ऊंगली का मांस फट गया। कटघरे में तो मानवाधिकार आयोग भी। जिसने मंगलवार को हुए खुलासे पर अभी तक कार्रवाई नहीं की। सो रविशंकर प्रसाद ने आयोग को याद कराया। खुद पुलिस कमिश्नर कटघरे में। उन पर भी जान से मारने की धमकी देने का आरोप। आडवाणी ने बुध को मनमोहन से पुलिस बर्बरता का जिक्र किया। तो मनमोहन ने भी तवज्जो नहीं दी। एनएसए नारायणन ने जांच का वादा किया। पर चार दिन से कोई जांच नहीं हुई। आडवाणी-राजनाथ के तेवर अब और तीखे होंगे। बात धरने-प्रदर्शन तक पहुंचे। तो हैरानी नहीं होगी। एटीएस की भूल भुलैया अब सबको समझ आने लगी। कभी हिंदू आतंकवाद का हौव्वा। कभी संघ परिवार कटघरे में। कभी संघ के नेता मोहन भागवत-इंद्रेश की हत्या की थ्योरी। कभी इंद्रेश को आईएसआई का एजेंट बताने की थ्योरी। आतंकवाद के मुद्दे पर देश को उलझाकर रख दिया। तो अब पीएम कहते हैं- 'सौ दिन में आतंकवाद से लड़ने का रोडमैप बनाएंगे।' इस पर आडवाणी बोले- 'मनमोहन सिंह के इस बयान पर मैं हसूं, रोऊं या तरस करूं।' उनने कहा- 'सोलह सौ दिन बर्बाद कर दिए। अब जब बिस्तर बांधने का वक्त आ गया। तो कहते हैं- सौ दिन में नीति बनाएंगे। अब तो जनता ही तैयार करे, सरकार का बिस्तर गोल करने का रोडमैप।'
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