संसद का मानसून सेशन कल से। यों पहले दिन चलना नहीं। लोकसभा के श्रीकांथपा और किशन लाल दलेर नहीं रहे। दोनों को श्रध्दांजलि देकर उठ जाएगा। अपन को शुक्रवार से सत्र शुरू करने की बात पल्ले नहीं पड़ी। यूपीए ने यह नई रिवायत कायम की। किसी ज्योतिषी ने कहा होगा। वरना तो हमेशा सोमवार से शुरू होता था। यों कहने को कांग्रेस सेक्युलर। पर ज्योतिषियों के चक्कर में खूब। लेफ्टियों ने पता नहीं कैसे चार साल झेला।
ज्योतिषियों की बात चली। तो बताते जाएं। कांग्रेस आठ साल बाद सत्ता में लौटी। चौदहवीं लोकसभा कहीं जल्दी भंग न हो। सो ज्योतिषियों को कांग्रेस की कुंडली दिखाई। ज्योतिषी ने कुंडली दोष बताया। दोष खत्म करने का उपाय भी बताया। उपाय था- 'कांग्रेस की ब्रीफिंग चार बजे न हो। अलबत्ता चार बजकर बीस मिनट पर हो।' सो साढ़े चार साल से कांग्रेस संसद में 'चार सौ बीसी'। सो लेफ्ट से भी 420 हुई। तो लेफ्ट ठगी सी रह गई। पर अपन बात कर रहे थे मानसून सेशन की। जो मानसून खत्म होने के बाद शुरू होगा। संसद से ऐसा खिलवाड़ तो किसी सरकार ने नहीं किया। जैसा मनमोहन सिंह ने किया। न्यूक डील पर संसद को धोखे में ही नहीं रखा। अलबत्ता धोखा दिया। अपन ने जो कहा था, वही हुआ। न्यूक डील तक मानसून सेशन टाला। अब सेशन से पहले प्रणव दा दस्तखत कर आए। संसद अब क्या बिगाड़ लेगी। लेफ्टिए-भाजपाई हल्ला करें, तो करें। चाहे तो इस्तीफा दे दें। कांग्रेस ने अमेरिका से करार करना कर लिया। अब हो जाए, तो हो जाए चुनाव। तो क्या यह चौदहवीं लोकसभा का आखिरी सेशन। इसके बाद लोकसभा भंग होगी। बुधवार को यह सवाल राजनीतिक गलियारों में खूब उठा। आडवाणी तो उम्मीदों पर बैठे रहे। पर मनमोहन साढ़े चार साल निकाल ले गए। लेफ्ट खिसका, तो सपा आ गई। कांग्रेस ने 'यूज एंड थ्रो' फार्मूला लेफ्ट पर ही अपनाया। खैर, सर्दी के मौसम में मानसून की बात। तो बुधवार को दिल्ली के मौसम ने करवट ले ली। पत्ते झड़ने लगे। सेशन के दौरान स्वाटर न भी निकलें। फुल बाजू की शर्ट तो निकल ही आएगी। दासमुंशी की गैर मौजूदगी में वायलार रवि ने सेशन पर ब्रीफ किया। पहले बात दासमुंशी की। अपन को खुशी हुई- दासमुंशी की हालत सुधरने लगी। बुधवार को राहुल बाबा अस्पताल में देखने गए। वैसे दासमुंशी तीन महीने पहले ही बाईपास करा लेते। तो यह दिन देखना न पड़ता। उनने अमेरिका से बाईपास कराने के चक्कर में एनजिओप्लास्टी करा ली। एनजिओप्लास्टी से मिली मोहलत का वक्त रहते फायदा उठाते। तो नौबत यहां तक न आती। खैर बात वायलार रवि की। उनने बताया- 'सेशन में 71 बिल आएंगे। उनतीस नए होंगे। इनमें से तेरह तो पास भी करवाएंगे।' बच्चों की मुफ्त शिक्षा के हक का बिल। बीमा बिल। आरक्षण का दायरा बढ़ाने वाला बिल। केंद्रीय विवि बिल। जजों की जांच का बिल। देखिए- जजों की अकाउंटेबिलिटी तय होगी। पर सांसदों, मंत्रियों, पीएम की नहीं। लोकपाल बिल 35 साल से ठंडे बस्ते में। हां, सांप्रदायिकता विरोधी बिल आएगा। कंधमाल-मंगलूर के बाद चर्च की यही मांग। पर महिला आरक्षण बिल का जिक्र तक नहीं। चर्च उसकी भी मांग कर लेती। यों सेशन चलेगा कितने दिन। विधानसभा चुनावों की घंटी बज चुकी। सांसद मजबूरी में ही बैठेंगे। जब तक लेफ्ट-यूपीए का कंधमाल-मंगलूर न निपटे। जब तक रायबरेली पर कांग्रेस-बसपा में दंगल न निपटे। सोमित्रसेन के महाभियोग का क्या होगा। अपन को उसका भी इंतजार। पर महंगाई पर कितनी गंभीर होगी सरकार। कितना गंभीर होगा विपक्ष। यह भी अपन देखेंगे। पर लाख टके की बात चौदहवीं लोकसभा के कार्यकाल की। वायलार रवि से पूछा- 'क्या अगला सत्र होगा?' वह बोले- 'मैं ज्योतिषी नहीं। जो बता सकूं- अगला सेशन होगा या नहीं।'
आपकी प्रतिक्रिया