इंडिया गेट से अजय सेतिया / छतीसगढ़ में विष्णु देव साय आदिवासी मुख्यमंत्री बनाए जा रहे हैं| विष्णु साय तीन टर्म विधायक, चार टर्म सांसद रहे, 2014 से 2019 तक मोदी सरकार में मंत्री थे| उसके बाद पिछले साल तक वह प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष थे, विधानसभा चुनावों से पहले पिछले साल उनकी जगह पर ओबीसी समुदाय के अरुण साव को अध्यक्ष बनाया गया था| अब संकेत हैं की उनके साथ एक ओबीसी उप मुख्यमंत्री होगा, वह या तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव हो सकते हैं, या फिर पूर्व आईइएस अफसर ओपी चौधरी हो सकते हैं| अगर सन्गठन की चली तो अरुण साव होंगे, और अगर सन्गठन की नहीं चली, तो ओपी चौधरी होंगे| यह मैं इस लिए कह रहा हूँ क्योंकि नरेंद्र मोदी को पूर्व आईएएस आईपीएस आफिसर बहुत पसंद हैं| भाजपा में दो दर्जन से ज्यादा पूर्व आईएएस आईपीएस घुस चुके हैं, जो केंद्र सरकार और राज्य सरकारों में अहम पदों पर हैं| पहले ऐसा माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री पद के लिए मोदी की पहली पसंद केन्द्रीय मंत्री रेणुका सिंह हैं, उन्हें विधानसभा चुनाव लडाया गया था| 9 दिसंबर को ही मेरी छतीसगढ़ के पत्रकार अजय भान से बात हो रही थी, तो उन्होंने दावे के साथ कहा था कि भले ही वह दौड़ में कितनी भी आगे हो, आखिर में वह पिछड़ जाएगी| आखिर वही हुआ, डाक्टर रमन सिंह और आरएसएस के लोगों ने भी रेणुका सिंह के खिलाफ वीटो लगा दिया था| अब तो वह मंत्री भी बन पाएंगी या नहीं, कह नहीं सकते|
एक आदिवासी मुख्यमंत्री देने के बाद मध्यप्रदेश और राजस्थान पर निगाह टिकी है| मध्यप्रदेश में सोमवार को मीटिंग है और राजस्थान का मामला मंगलवार तक टल गया है, क्योंकि सोमवार को राष्ट्रपति के दौरे के कारण राजनाथ सिंह को लखनऊ में रहना है| मध्यप्रदेश में भाजपा के पास ज्यादा विकल्प नहीं है, शिवराज सिंह चौहान के अलावा प्रहलाद पटेल का नाम चल रहा है, दोनों ही ओबीसी समुदाय से आते हैं| तीसरा विकल्प नरेंद्र तोमर का है, तोमर राजपूत होते हैं| योगी और धामी भाजपा के दो राजपूत मुख्यमंत्री पहले से ही हैं| वैसे भी इन दो राज्यों के अलावा हरियाणा, असम और गोवा में भी भाजपा के अपर कास्ट मुख्यमंत्री हैं| इसलिए भाजपा के पास दो ही च्वायस हैं, शिवराज सिंह चौहान और प्रहलाद पटेल| शिवराज सिंह चौहान की संभावना ज्यादा बनी हुई है|
जहां तक राजस्थान का सवाल है, वहां पर भी वही फार्मूला लागू होता है कि अपर कास्ट मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाए| अगर महिला अपर कास्ट होती है, तो अलग बात है| कायदे से राजस्थान में महिला और दलित के विकल्प ही बनते हैं| दलित समुदाय से अर्जुन मेघवाल का नाम चल रहा है, जो अभी केंद्र में क़ानून मंत्री हैं, और मोदी के करीब भी माने जाते हैं, मोदी को पूर्व नौकरशाह आकर्षित भी बहुत करते हैं| वह प्रोमोटेड आईएएस थे,लेकिन राजस्थान में अफसर रहते हुए उनके कई किस्से लोग सुनाते हैं| फिर भी मोदी अगर उन्हें बनाना चाहेंगे, तो कोई नहीं रोक सकता| महिलाओं में वसुंधरा राजे और दीया कुमारी दो विकल्प हैं| वसुंधरा बहुत ज्यादा अनुभवी हैं, जबकि दीया कुमारी का कोई प्रशासनिक अनुभव नहीं है| लेकिन वसुंधरा राजे की खेमेबाजी से हाईकमान की नींद हराम है| दिल्ली में जेपी नड्डा से मुलाक़ात करके वह जयपुर लौटी, तो रविवार को फिर कम से कम बीस विधायकों से मुलाक़ात की| वसुंधरा राजे की मुखालफत करने वाले सांसदों गजेन्द्र सिंह शेखावत, अर्जुन मेघवाल , ओम बिडला और सीपी जोशी को मोदी ने विधानसभा चुनाव तो नहीं लड़वाया, लेकिन चारों सांसदों का नाम मुख्यमंत्री के लिए चल रहा है, अब कौन चला रहा है, यह पता नहीं| हालांकि शेखावत, जोशी, राज्यवर्धन सिंह राठौर, और अश्विनी वैष्णव मोदी के दलित, आदिवासी, ओबीसी के एजेंडे में फिट नहीं बैठते, लेकिन उनके नाम चल रहे हैं| चलने को तो ओम माथुर का नाम भी चल रहा है|
मुझे लगता है अक्लमंदी यह होगी कि न चाहते हुए भी मोदी लोकसभा चुनाव तक राजस्थान में वसुंधरा राजे और मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री बनाए रखें| बाकी आने वाले दो दिनों में सब कुछ पता चल ही जाएगा|
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