अजय सेतिया इंडिया गेट से/ अरविन्द केजरीवाल ने खुद को आज़ाद भारत का सब से शातिर मुख्यमंत्री साबित कर दिया है| केजरीवाल को देखकर मुझे 1984 में रीलिज हुई दीलिप कुमार की फिल्म मशाल की याद आती है| फिल्म में दीलिप कुमार एक ईमानदार पत्रकार है, और अमरीश पुरी स्मगलिंग करने वाला खलनायक है| दीलिप कुमार माफिया के खिलाफ मुहीम चलाते हैं| लेकिन माफिया अखबार के मालिक से कह कर उसे नौकरी से निकलवा देता है| दीलिप कुमार खुद अपना छोटा सा अखबार निकालते हैं| अमरीश पुरी दीलिप कुमार के दफ्तर में जा कर उसकी खिल्ली उडाता है| तब दीलिप कुमार कहते हैं कि तुम्हारे पास पैसा बहुत होगा, लेकिन मेरे पास दिमाग है| अगर तुम्हारे जैसा कम बुद्धि का इंसान क़ानून तोड़कर यहाँ तक पहुंच जाता है, तो सोचो कि अगर मेरे जैसा बिद्धिमान व्यक्ति गुनहगार बन गया, तो तेरे जैसों की क्या हालत होगी|
अब आप याद कीजिए जब मनमोहन सरकार को लुच्चे लफंगे चला रहे थे| मनमोहन सिंह खुलेआम कहते थे कि गठबंधन की मजबूरी है| उन्हीं लुच्चे लफंगों के खिलाफ अन्ना हजारे धरने पर बैठे थे| मैं दुबारा फिल्म पर आता हूँ| बाद में एक छोटा गुंडा दीलिप कुमार को समझाता है कि अगर वह उसके साथ मिल जाए, तो अमरीश पुरी जैसे बड़े माफिया को खत्म कर सकते हैं| अमरीश पुरी से बदला लेने के लिए दीलिप कुमार उससे मिल जाता है, और दोनों मिल कर अमरीश पुरी को जमीन पर ले आते हैं| लेकिन दीलिप कुमार अमरीश पुरी से बड़ा गुंडा बन चुका होता है, जिसकी पुलिस मुठभेड़ में मौत होती है| फिल्म का मतलब यह है कि गुनहगार कोई बुद्धि वाला हो, तो क़ानून की धज्जियां उड़ाने में उसे टाईम नहीं लगेगा|
अब अपन वापस अन्ना हजारे पर आते हैं, वह न मनमोहन सरकार का कुछ बिगाड़ सके, न लोकपाल बनवा सके, लेकिन धरने पर बैठे बुद्धिमान केजरीवाल ने उसी दिन दीलीप कुमार बनने की ठान ली थी| अब उसी दीलिप कुमार ने कट्टर ईमानदारी के नाम पर जमकर लूट मचा रखी है, और क़ानून उसका कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा| जैसे ही उसे लगता है कि वह क़ानून के शिकंजे में फंसने वाला हैं, वह सोचने लग जाता हैं कि आने वाले संकट से कैसे निपटना है| फिर वह कुछ ऐसा करता हैं, जो किसी ने सोचा नहीं होता| नरेंद्र मोदी और अमित शाह, जिन्होंने कांग्रेस को निपटा दिया, वह केजरीवाल की अगली चाल को समझ ही नहीं पाते|
अब केजरीवाल की नई चाल बताता हूँ| उनके सभी घोटालों की शिकायत करने वाले चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार की रिटायरमेंट 30 नवंबर को होनी है, लेकिन अमित शाह उन्हें एक्स्टेंशन देने के मूड में हैं| यह केजरीवाल की सब से बड़ी टेंशन है| उनकी एक्टेंशन रोकने के लिए उन्होंने दो बड़े कदम उठाए| पहला तो यह किया कि सुप्रीमकोर्ट में याचिका डाल दी| दूसरा यह किया कि रातों रात एक जमीन अधिग्रहण मामले की सतर्कता विभाग से जांच करवाई| जिसमें चीफ सक्रेटरी को दोषी करार देकर उन्हें निलंबित करने की सिफारिश कर दी| जब उनके इन दो कदमों से भी नरेश कुमार का एक्स्टेंशन होने की संभावना बनी हुई थी, तो केजरीवाल सरकार ने नरेश कुमार के खिलाफ सीबीआई और ईडी जांच की सिफारिश कर दी, ताकि जांच की वजह से उन्हें एक्स्टेंशन न मिल सके और सरकार उन्हें सस्पेंड करने को मजबूर हो|
हालांकि जमीन अधिग्रहण का यह मामला एलजी और खुद चीफ सक्रेटरी नरेश कुमार ने ही पकड़ा था, जिसमें जिम्मेदार अधिकारी डीएम हेमंत कुमार को निलंबित करके सीबीआई जांच के आदेश पहले ही दिए जा चुके हैं| लेकिन केजरीवाल ने उसमें चीफ सक्रेटरी को जोड़ दिया| क्योंकि उनका एक्स्टेंशन रुकवाना है| लेकिन एलजी तो खुद जानते हैं कि हुआ क्या है, वह खुद इस मामले में दो-तीन मीटिंगे ले चुके हैं, मामला खुद उन्होंने ही पकड़ा था, उन्होंने खुद चीफ सक्रेटरी की सिफारिश पर सीबीआई जांच के आदेश दिए हुए हैं| वह केजरीवाल की सिफारिश को आगे क्यों बढ़ाएंगे| लेकिन केजरीवाल ने राजनीतिक खेल कर दिया|
यह मामला द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए जमीन अधिग्रहण का है| दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के बामनोली गांव में जमीन के टुकड़े का मुआवजा 22 बार बढाया गया, जो शुरू में 41.52 करोड़ रुपये था, जमीन के मालिक को मंजूर नहीं था, बार बार बढाने के बाद मुआवजा 353.79 करोड़ रुपये तक चला गया| इसी 18 मई को जब नितिन गडकरी और एलजी के साथ चीफ सक्रेटरी ने जब मौक़ा मुआईना किया तो यह घोटाला सामने आया| अगले दिन एलजी ने मीटिंग बुलाई और वहां के डीएम हेमंत कुमार को नोटिस जारी किया गया| हेमंत कुमार को निलंबित करके सितंबर में जांच का काम सीबीअई को भेजा जा चुका है| सब कुछ खुद चीफ सक्रेटरी की सिफारिश पर हुआ, लेकिन अब केजरीवाल ने एक वकील से चीफ सक्रेटरी के खिलाफ शिकायत अरेज करवाई, कि जमीन के मालिक के दामाद की एक कंपनी है, जिसमें कथित तौर पर चीफ सक्रेटरी का बेटा काम करता है| चीफ सक्रेटरी इन सब आरोपों को फर्जी बता रहे हैं|
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