अजय सेतिया / आईसीएमआर और भारत सरकार के कोविड पैनल के प्रमुख डॉ. वी के पॉल पूरी तरह कन्फ्यूज्ड हैं कि कोवाशिल्ड और कोवेक्सीन की डबल डोज़ कोविड के ओमिक्रोन वेरियंट पर प्रभावी होगी या नहीं | डाक्टर पाल ने आशंका जताई है कि दोनों वेक्सीन ओमिक्रोन पर प्रभावी नहीं होंगी | वी.के पाल की गलत नीति के कारण ही कोविड की दूसरी लहर के समय खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शर्मसार होना पड़ा था , क्योंकि वी.के पाल दूसरी लहर से पहले उस का मुकाबला करने के लिए तैयारियां करने और प्रोटोकाल बनाने में विफल रहे थे | अब फिर वही हो रहा है , सारी दुनिया में ओमिक्रोन का मुकाबला करने के लिए बूस्टर डोज़ की जरूरत बताई जा रही है | अमेरिका , ब्रिटेन , इजराईल समेत कई देशों ने तो बूस्टर डोज़ शुरू भी कर दी है , लेकिन वी.के.पाल की रहनुमाई वाली टीम कोई फैसला ही नहीं कर पा रही | 14 दिसंबर को वी.के.पाल ने यह कह कर देश भर में दहशत तो फैला दी कि ओमिक्रोन पर दोनों डोज़ भी अप्रभावी हो सकती हैं , लेकिन बूस्टर डोज़ के बारे में फैसला फिर टाल दिया |
उधर अमेरिका के मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल (एमजीएच), हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और एमआईटी के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि अमेरिका की तीनों वेक्सीन मॉडर्न, जॉनसन एंड जॉनसन और फाइजर के टीके कोरोनावायरस के नए पाए गए ओमिक्रोन वेरियंट पर प्रभावी नहीं हैं , लेकिन अगर एक बूस्टर खुराक ले ली जाए तो अधिकतर सुरक्षा बहाल हो जाएगी | यानि तेजी से फ़ैल रहे ओमिक्रोन से बचने के लिए बूस्टर खुराक अत्यंत जरूरी है | वैज्ञानिकों ने अपने शोध में यह भी पाया कि ओमाइक्रोन डेल्टा से अधिक संक्रामक है |
यानि अमेरिकन शोध में बूस्टर को जरूरी बताया गया है , अमेरिका के बीमारी नियन्त्रण केंद्र यानि सीडीसी के डायरेक्टर रोचल वालेंस्की ने कहा है कि अमेरिका के ओमिक्रोन से संक्रमित 80 प्रतिशत मरीज मोडरेना या फाईजर की दोनों डोज या फिर जानसन एंड जानसन की डोज ले चुके थे , और प्रभावितों में से तीस प्रतिशत तो बूस्टर डोज भी ले चुके थे | यह आंकडा साबित करता है कि ओमिक्रोन पहले के किसी भी वेरियंट से ज्यादा खतरनाक है | यह आंकडा और शोध बूस्टर को टॉप प्रियोरिटी पर ले आया है , अमेरिका में ढाई करोड़ से ज्यादा लोग बूस्टर ले चुके हैं | सीडीसी की तरह अमेरिका के राष्ट्रपति जो.बिडेन के चीफ मेडिकल एडवाईजर एंथोनी फोची ने भी साफ़ साफ़ कहा है कि अगर आप खुद को प्रोटेक्ट करना चाहते हैं , तो आप को तुरंत बूस्टर लेना चाहिए |
अमेरिकन और भारतीय वैज्ञानिक इस बात पर सहमत हैं कि बूस्टर अंतिम डोज़ से छह महीने बाद ली जानी चाहिए , लेकिन भारत में जिन्होंने दो डोज़ ली है , उन में से 30 प्रतिशत लोगों को दूसरी डोज़ लिए छह महीने से ज्यादा हो चुके हैं | इस लिए भारत के कोविड नियन्त्रण पैनल को दहशत फैलाने की बजाए बूस्टर पर फैसला लेने में अब कोई देर नहीं करनी चाहिए | भारत में अनेक डाक्टरों का मत है कि फाईजर और जानसन एंड जानसन का बूस्टर ज्यादा प्रभावी है , लेकिन क्योंकि ये दोनों भारत में उपलब्ध नहीं हैं , इसलिए जिन्होंने कोवेक्सीन लगवाई है , उन्हें कोविशिल्ड का बूस्टर लेना चाहिए और जिन्होंने कोविशिल्ड का वेक्सीनेशन करवाया है , उन्हें कोवेक्सीन का बूस्टर लेना चाहिए |
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