अजय सेतिया / जनरल बिपिन रावत की हेलीकाप्टर क्रेश में मृत्यू को ले कर साजिश के एंगल पर जांच की जरूरत महसूस की जा रही है | संसद के भीतर और बाहर विदेशी साजिश के एंगल से जांच की मांग उठी है , रिटायर्ड ब्रिगेडियर और कांग्रेस के पूर्व सांसद सुधीर सांवत ने लिट्टे का हाथ होने की आशंका जताई है , यह वही सुधीर सांवत हैं , जो रिटायर होने के बावजूद कारगिल में वर्दी पहन कर लड़े थे | तो दूसरी ओर सांसद संजय राऊत ने पाकिस्तान और चीन पर ऊंगली उठाई है | चीन ने अपनी तरफ से अमेरिका की साजिश होने का शक जाहिर किया है | लेकिन इंडियन एयर फ़ोर्स ने साजिश के एंगल पर विराम लगाने की कोशिश करते हुए एक बयान जारी किया है | जिस में कहा गया है कि हेलीकाप्टर क्रेश पर अटकलबाजी न लगाई जाए , वायुसेना बड़ी तेजी से जांच कर रही है और जल्द ही सच्चाई सामने लाई जाएगी |
लेकिन सवाल यह है कि क्या कोर्ट आफ मार्शल इन्क्वारी सचमुच सच्चाई सामने लाने में सक्षम है | वह आशंकाओं पर क्यों विराम लगाना चाहती है | वायु सेना को यह बयान जारी करने के लिए किस ने कहा था | सेना की तरफ से यह सफाई क्यों दी गई है | इस से पहले घटनास्थल से भी ब्रिगेडियर नील जॉन ने एक आँखों देखा वृतांत सार्वजनिक करते हुए साजिश के एंगल को मूर्खतापूर्ण बताया है | सवाल पैदा होता है कि सेना की तरफ से विदेशी साजिश के एंगल को नकारने की कोशिश क्यों हो रही है | क्या सच्चाई कभी सामने आ भी पाएगी या नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और लाल बहादुर शास्त्री की मौत की तरह गुत्थी कभी नहीं सुलझेगी ? और क्या विदेशी साजिश आसान नहीं है , याद करो जब ईरान ने अमेरिकी ड्रोन को मार गिराया था , तो अमेरिका ने उस का खंडन किया था , लेकिन जब ईरान ने फोटो जारी किए तो अमेरिका को कबूल करना पड़ा था |
मेजर जनरल एसपी सिन्हा , ब्रिगेडिर सुधीर सांवत , रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी और सांसद संजय राऊत विदेशी साजिश एंगल से जांच की मांग उठा चुके हैं | जैसा कि मैंने पहले सवाल उठाया , क्या सेना विदेशी एंगल की जांच करने में सक्षम है ? तो सच यह है कि वह बाकी तकनीकी कारणों की जांच तो कर सकती है , लेकिन विदेशी एंगल की नहीं | इस के लिए मोदी सरकार को अलग तरह की जांच करवानी होगी , जिसमें विदेशी जांच एजेंसियों को भी शामिल करना पड सकता है | ब्रिटेन की कुछ जांच एजेंसी फर्मों ने बिपिन रावत के हेलीकाप्टर क्रेश की जांच करने में सहयोग की इच्छा जताई है | लेकिन यह राजनीतिक और कूटनीतिक दृष्टि से बहुत रिस्की है | क्या कोई भी सरकार इस तरह की जांच करवाने की हिम्मत दिखा सकती है , जिसमें पाकिस्तान चीन , अमेरिका जैसे देश कटघरे में खड़े किए जा सकें |
17 अगस्त 1988 को जब इसी तरह पाकिस्तान के फ़ौजी तानाशाह जनरल जिया उल हक की प्लेन क्रेश में मौत हुई थी , तब भी कुछ ब्रिटिश और यूरोपियन एजेंसियों ने जांच में शामिल होने की इच्छा जताई थी , लेकिन पाकिस्तान इस के लिए तैयार नहीं हुआ था | क्योंकि प्लेन अमेरिका का बना हुआ था और प्लेन क्रेश में अमेरिकन राजदूत भी मारा गया था , इस लिए अमेरिकन एजेंसी जांच में शामिल हुई थी | तो सवाल खड़ा होता है कि क्या रूस Miv5 क्रेश की जांच में शामिल किया जा सकता है , क्योंकि यह रूस निर्मित है | लेकिन बड़ा सवाल यह है कि साजिश के एंगल से जांच हो भी जाए तो क्या नतीजे बाहर आ सकेंगे | जैसे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्लेन क्रेश में कथित मौत की जांच के नतीजे कभी सामने नहीं आए थे , क्योंकि ताईवान ने तो आन रिकार्ड कहा था कि 18 अगस्त 1945 को ताईहोकू में कोई प्लेन क्रेश ही नहीं हुआ था |
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