अजय सेतिया / जब वेक्सीन लगाने जाने वालों को वापस लौटना पड़ा था | तो अपन ने भी लिखा था कि वेक्सीन का निर्यात तुरंत रोक कर पहले भारत को वेक्सीनेट किया जाए | सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का हवाला दिया था | पर असली गलती ब्यूरोक्रेसी की थी जिसने कोवाशील्ड बनाने वाली कंपनी को पर्याप्त आर्डर ही नहीं दिए थे | न ही अग्रिम का इतना भुगतान हुआ था कि अदार पूनावाला निर्यात की चिंता छोड़ पहले भारत को सप्लाई करते | जब चारों तरफ से आलोचना हुई तो नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन के भीतर स्थिति संभाली | निर्यात पर रोक लगाई गई और सीरम इंस्टीच्यूट को पर्याप्त अग्रिम आर्डर दे कर चेक भेजा गया | पर आलोचकों की आलोचना जारी रही | राहुल गांधी सरकार पर वेक्सीन के आयात का दबाव बनाते रहे | विदेशी कंपनियों को फायदा पहुंचा कर कमिशन खाने की भारत में पुरानी परंपरा रही है | अपन को नरसिंह राव सरकार का किस्सा बार बार याद आता है , जब देश में बहुतियात के बावजूद खाद आयात का ठेका दे देकर अग्रिम भुगतान भी कर दिया गया था |
सरकार के मंत्रियों और ब्यूरोक्रेट्स की मिलीभगत से ऐसा होता रहा है | विपक्ष में रहते हुए भी कांग्रेस आयात से विदेशी कंपनियों को फायदा पहुँचा कर कमिशन के जुगाड़ में थी | खासकर फाईजर की वेक्सीन लेने का दबाव था | जबकि फाईजर तरह तरह की ऐसी शर्ते लगा रही थीं , जो देश के लिए घातक होती | मोदी ने न विपक्ष को खेल करने दिया , न भ्रष्ट अफसरों की बदमाशी चलने दी | रूस और अमेरिकी कंपनियों को भारत में निर्यात करने और मेन्युफेक्चर करने की छूट दी , पर सरकार ने खुद धेले की विदेशी वेक्सीन नहीं खरीदी | कोवाशिल्ड और भारत बायोटेक की स्वदेशी कोवेक्सीन ने भारत का बड़ा पेट भर दिया | आज जब भारत में सौ करोड़ वेक्सीन लग चुकी है तो उन नकारात्मक पत्रकारों को खुद पर जरुर शर्म आई होगी , जो कहते और लिखते रहे कि भारत अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर सकेगा | अलबत्ता तीसरी लहर का खौफ दिखा कर सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश करते रहे | अब अपन को लगता है कि भारत में तीसरी लहर आएगी ही नहीं | यह सब वेक्सीन आयात का दबाव था |
बृहस्पतिवार को भारत ने 100 करोड़ वेक्सीन लगा कर दुनिया को आत्मनिर्भरता का बड़ा संदेश दिया है | भारत को इस पर गर्व है कि मोदी सरकार रूस , चीन या अमेरिका से वेक्सीन खरीदने के दबाव में नहीं आई | अप्रत्यक्ष रूप से विपक्ष की ओर से चीन की वेक्सीन खरीदने का दबाव भी था | हालांकि चीन से वेक्सीन खरीदने वाले पाकिस्तान में चीनी वेक्सीन की शिकायतें बेशुमार थीं | पाकिस्तान में सरकार पर भारत से वेक्सीन खरीदने का दबाव था | जबकि भारत में विपक्ष के नेता कोवेक्सीन और कोवाशिल्ड को भाजपा की वेक्सीन बता कर देश की जनता में अविश्वास पैदा कर रहे थे | खैर चीन ही एक मात्र ऐसा देश है जो 100 करोड़ वेक्सीन का आंकडा भारत से पहले पूरा कर चुका है | पर उस कम्युनिस्ट देश में वेक्सीन लगवाने का विरोध करने की किसी में हिम्मत नहीं हो सकती , जैसी विपक्ष के उकसावे पर जगह भारत में हुई | मुसलमानों में वेक्सीन से नपुंसक होने का भ्रम तक फैलाया गया |
अदार पूनावाला ने सिर्फ 9 महीनों में 100 करोड़ का लक्ष्य पूरा होने का श्रेय नरेंद्र मोदी को दिया है | जिन्होंने देश भर में फ्री वैक्सीनेशन का बड़ा फैसला लिया था | मीडिया का एक वर्ग ताल ठोक कर कह रहा था कि यह लक्ष्य अगले साल भी पूरा नहीं होगा | देश में 94 करोड़ ऐसे लोग हैं , जिन की उम्र 18 साल से ज्यादा है | यानि 188 वेक्सीन लग जाएगी , तब सभी को डबल डोज़ का लक्ष्य पूरा होगा | अभी क्योंकि 100 करोड़ वेक्सीन ही लगी हैं , तो बता दें कि लक्ष्य से काफी दूर हैं | सरकारी लक्ष्य दिसंबर तक सभी के वेक्सीनेशन का है | अभी सिर्फ 75 फीसदी ने पहली डोज़ लगवाई है | 25 फीसदी अभी बाकी हैं | भारत में आलसियों और लापरवाहों की कमी नहीं है | 23 करोड़ लोगों ने मुफ्त वेक्सीन होने के बावजूद पहली डोज़ भी नहीं लगवाई और 10 करोड़ लोगों ने समय-सीमा निकल जाने के बावजूद दूसरी डोज़ नहीं लगवाई |
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