अजय सेतिया / होने को राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है | पर अपन इतना जानते हैं कि अमरेन्द्र सिंह जुबान के पक्के हैं | उन ने कह दिया है कि वह कांग्रेस छोड़ रहे हैं | पर भाजपा ज्वाईन नहीं कर रहे | तो यह सोचना कि वह भाजपा के हिसाब से राजनीति नहीं करेंगे , यह गलत होगा | अपना मानना है कि वह भाजपा के हिसाब से ही राजनीति करेंगे | अपन ने कल जब लिखा था कि वह कभी भी भाजपा के खेमे में आ सकते हैं , तो अपन ने यह जानबूझ कर लिखा था | क्योंकि अपन जानते हैं कि वह भाजपा में नहीं जाएंगे | पंजाब की किसान राजनीति के चलते वहां भाजपा की साख बिलकुल नहीं है | पिछली बार तो चलों भाजपा को अबोहर की एक सीट मिल गई थी | इस बार उस का भी कोई चांस नहीं | कृषि कानूनों ने भाजपा की हालत सब से पतली की है | अकाली दल ने मौक़ा देख कर एनडीए से छलांग मार कर अपनी जान बचा ली थी | आम आदमी पार्टी ने भी किसानों के आन्दोलन का समर्थन कर के अपनी साख बढाई हुई है |
भाजपा के नेताओं को तो किसानों ने घरों से नहीं निकलने दिया | अबोहर के एकमात्र विधायक नारंग को तो मलोट में भीड़ ने निर्वस्त्र कर दिया था | जब भाजपा की साख सब से ज्यादा खराब हो , तो अमरेन्द्र सिंह अपने पैरों पर क्यों कुल्हाड़ी मारेंगे | सो खेमे का मतलब यह है कि वह कुछ इस तरह की राजनीति करेंगे कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की सरकार किसी भी सूरत में न बने | इन दोनों को वह सीमान्त पंजाब की सुरक्षा के लिए खतरनाक मानते हैं | कांग्रेस को खतरनाक मानने का कारण साफ़ है कि कांग्रेस उस नवजोत सिंह सिद्धू को अगला मुख्यमंत्री बनाना चाहती है | जो इमरान खान और बाजवा का मित्र है | ये दोनों पंजाब में आतंकवाद को फिर से बढावा देने की रणनीति पर काम कर रहे हैं | जब सिद्धू ने अपनी मर्जी का पुलिस प्रमुख और अटार्नी जनरल नहीं बनने पर कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था | तो अपन को लगा था कि कांग्रेस अब उस के आगे नहीं झुकेगी , बल्कि तेवर दिखाएगी | लेकिन कांग्रेस ने तो 24 घंटे में सिद्धू के सामने घुटने टेक दिए | तो ब्यूरोक्रेसी को मेसेज गया कि चन्नी सिर्फ मुखौटा है , असली मुख्यमंत्री तो सिद्धू ही है |
सोनिया गांधी को किनारे कर के प्रियंका और राहुल ने जुलाई में सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनवाया था | फिर सोनिया को किनारे कर दोनों भाई बहन ने अमरेन्द्र सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने की गोपनीय रणनीति बनाई थी | यह बात अपन नहीं कह रहे | खुद अमरेन्द्र सिंह ने कही है | जब उन्होंने सोनिया गांधी को फोन कर के विधायक दल की बैठक बुलाने का कारण पूछा तो खुद सोनिया ने अपनी मजबूरी और लाचारी बताई थी | यानी राहुल और प्रियंका ने मां को भावनात्मक ब्लैकमेल कर फैसला करवाया था | पर अमरेन्द्र सिंह ने खुद ही इस्तीफा दे कर बाजी पलट दी | अपन ने कल कपिल सिब्बल के बयान और उन के घर पर हुए यूथ कांग्रेसियों के हमले का जिक्र किया था | इस हमले से कांग्रेस में बवाल मचा है | आधी से ज्यादा कांग्रेस इस हमले से खफा है | सोनिया गांधी अब सीडब्लूसी बुलाने की सोच रही है |
लेकिन सीडब्ल्यूसी क्यों बुलाई जा रही है | इस का कारण सिर्फ कई बड़े नेताओं का अमरेन्द्र सिंह को समर्थन करना नहीं है | अलबत्ता राजनीति में पक रही खिचडी इस का बड़ा कारण है | ममता बेनर्जी , शरद पवार , अमरेन्द्र सिंह , कुछ बड़ा सोच रहे हैं | ममता के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने हाल ही में इन तीनों से मुलाक़ात की थी | अगर तीनों मिल कर नया राजनीतिक फ्रंट खड़ा करते हैं तो गुलामनबी आज़ाद का जी-23 इन के साथ आएगा या नहीं | तात्कालिक मकसद सोनिया-प्रियंका-राहुल खानदान के नवजोत सिंह सिद्धू को मुख्यमंत्री बनने से रोकना है | और चुनाव बाद अमरेन्द्र सिंह की रहनुमाई में सरकार बनवाना है | अमरेन्द्र सिंह को सीएम बनवाने की इस पटकथा को भाजपा और केंद्र का समर्थन होगा | अगर ऐसा होता है तो असली कांग्रेस अमरेन्द्र की रहनुमाई वाली होगी | इस पटकथा के लिए पहली रणनीति 20 विधायक तोड़ कर राष्ट्रपति राज लगवाना है | अमरेन्द्र सिंह के पास फिलहाल 12 कांग्रेसी विधायक हैं |
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