अजय सेतिया / पुणे के बाद महाराष्ट्र के ठाणे में भी दिल दहलाने वाली वारदात सामने आई है | 30 लोगों ने 14 साल की लड़की से गैंगरेप किया | सिर्फ 20 दिन पहले पुणे में भी 14 साल की लडकी का गेंग रेप होने की खबर आई थी | सड़क किनारे ऑटोरिक्शा का इंतजार कर रही 14 साल की नाबालिग को कुछ लोग अपने साथ उठा ले गए थे | उठा ले जाने वाले ऑटो ड्राईवर ही थे | पांच अलग-अलग जगह ले जाकर उसके साथ गैंगरेप किया गया था | पुणे पुलिस ने जिन 14 लोगों को अरेस्ट किया था | इसमें 11 ऑटो ड्राइवर और दो रेलवे के कर्मचारी भी शामिल थे | पुलिस की रिपोर्ट पर कितना विशवास करें , कितना न करें , क्योंकि पुलिस ने लडकी के प्रेमी को भी गिरफतार कर के मामले को कमजोर करने की कोशिश की | हालांकि पोक्सो का मामला इतना कमजोर नहीं हो सकता | पुलिस की ऐसी करतूतों पर अदालतें कई बार फटकार लगा चुकी हैं |
अब नया मामला ठाणे का है | इस मामले में भी प्रेमी का एंगल है | पुलिस का वर्शन यह है कि बलात्कार की शिकार बच्ची के साथ 8 महीने पहले नाबालिग प्रेमी ने दुष्कर्म किया था | इस दौरान आरोपी ने रेप का वीडियो भी बना लिया था | इस वीडियो के आधार पर अन्य आरोपियों ने पीड़ित को ब्लैकमेल कर रेप किया | नाबालिग के साथ 30 लोगों ने अलग-अलग समय और अलग-अलग जगहों पर सामूहिक रेप किया है | इन में से 26 गिरफ्तार किए जा चुके है | गिरफ्तारियां मुम्बई में भी हुई हैं | लड़की को जनवरी 2021 से 22 सितंबर 2021 तक रेप का शिकार बनाया जाता रहा | यह सिलसिला आगे भी जारी रहता | अगर इससे तंग आकर पीड़ित ने खुद मानपाड़ा थाने में शिकायत दर्ज न कराई होती | पुलिस ने इस मामले में डोम्बिवली, बदलापुर, रबाले और मुरबाद से भी आरोपियों को अरेस्ट किया है | गिरफ्तार किए गए कई आरोपी विभिन्न राजनीतिक दलों से भी जुड़े हुए हैं | आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (रेप), 376 (एन), 376 (3), 376 (डी) (ए) लगाई | स्वाभाविक है कि यह पोक्सो का मामला है तो पॉक्सो एक्ट की धाराएं भी लगाई गई हैं |
पर मामला सरकार की असंवेदनशीलता पर आ कर अटक गया है | उद्धव सरकार इतने घिनोने अपराध पर भी घटिया राजनीति करने की हिमाकत कर रही है | इस मुद्दे पर राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने विधानसभा का दो दिन का विशेष सत्र बुलाने के लिए सिफारिश की थी | कोश्यारी ने कोई अपराध तो नहीं नहीं किया था | राज्यपाल का काम ही यह होता है कि वह अपनी सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह बनाए | पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे राज्यपाल की चिठ्ठी से तिलमिला गए हैं | पालघर में दो साधुओं की हत्या के समय भी मुख्यमंत्री इसी तरह तिलमिलाए थे | करीब करीब तभी से राज्यपाल और मुख्यमंत्री में विभिन्न मुद्दों पर पत्र युद्ध चल रहा है | तो इस बार भी उद्धव ठाकरे ने कोश्यारी को मुहं तोड़ जवाब दिया है | उन्होंने इस बात की जरा प्रवाह नहीं की कि उन की कैसी छवि बनेगी | बाल ठाकरे ज़िंदा होते तो अपने बेटे की इस हरकत पर जरुर शर्मिंदा होते |
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सत्र बुलाने की मांग ठुकराते हुए घोर राजनीतिक बात लिखी है | अपने पत्र में उन्होंने राज्यपाल से कहा कि वह बीजेपी शासित राज्यों में महिलाओं पर बढ़ते हमलों पर चर्चा के लिए संसद का 4 दिनों का सत्र बुलाने के लिए केंद्र से अनुरोध करें | उन्होंने राज्यपाल से कहा कि वह इस सम्बन्ध में प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखें | उद्धव ठाकरे यह भूल गए कि कोश्यारी संवैधानिक पद पर हैं , और उन की संवैधानिक और नैतिक जिम्मेदारी महाराष्ट्र तक सीमित है | निकृष्ट राजनीति करते हुए उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल को लिखे अपने पत्र में उन के गृहराज्य उत्तराखंड का जिक्र कर के वहां महिलाओं के खिलाफ अपराधों के आंकड़े दिए हैं | क्या किसी जिम्मेदार मुख्यमंत्री से ऐसी उम्मींद की जा जानी चाहिए | गलत नहीं होता अगर वह राज्यपाल को इस तरह का राजनीतिक जवाब देने की बजाए अपने नागरिकों की सुरक्षा के प्रति जिम्मेदारी दिखाते |
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