तालिबान के तीन यार पाक,चीन और रुस

Publsihed: 18.Sep.2021, 07:27

अजय सेतिया / जैसी की उम्मींद थी अफगानिस्तान को लेकर भारत और चीनआमने सामने आ गए | तजाकिस्तान की राजधानी दुशान्बे में हुईशंघाई सहयोग संगठन की बैठक में जहां चीन ने कहा कि वह सदस्य राज्यों के साथ मिल कर तालिबान नियंत्रित युद्धग्रस्त देश में एक खुला और समावेशी राजनीतिक ढांचा बनाने के लिए कामकरेगा | वहीं भारत ने इस बैठक में क्षेत्र की सुरक्षा के लिएचरमपंथ और कट्टरपंथ की चुनौतियों से निपटने के लिए एक खाका विकसित करने का आह्वान किया | भारत के प्रधान मंत्रीनरेंद्र मोदी , चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपतिपुतिन तीनों ने ही बैठक को वर्च्युल संबोधित किया , जबकि तीनोंदेशों के विदेश मंत्री दुशान्बे में हो रही बैठक में मौजूद थे | मोदी ने कहा कि इस क्षेत्र शांति, सुरक्षा और विश्वास तभी पैदा होगा जबकट्टरता पर काबू पाया जाएगा | इस क्षेत्र में विकास कीसमस्याओं का "मूल कारण" कट्टरता बढना है और ऐसे हालात मेंअफगानिस्तान में विकास एक  बड़ी चुनौती है | मोदी ने बिना लागलपेट कहा कि एससीओ को इस्लाम से जुड़े उदार, सहिष्णु और समावेशी संस्थानों और परंपराओं के साथ एक मजबूत नेटवर्क विकसित करने पर काम करना चाहिए | मजेदार बात यह थी किपर्यवेक्षक के तौर पर अफगानिस्तान भी बैठक में मौजूद था | ईरानजो कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार की शिया विरोधीनीतियों के कारण उस का कट्टर विरोधी है , वह भी पर्यवेक्षक केतौर पर बैठक में मौजूद था | भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेईरान का तो स्वागत किया , लेकिन अफगानिस्तान का जिक्र तकनहीं किया | यहाँ यह बताना भी जरूरी है कि शंघाई सहयोगसंगठन के आठ में से तीन देशों रूस , चीन और पाकिस्तान केदूतावास ही इस समय अफगानिस्तान में काम कर रहे हैं | भारतसमेत बाकी सारी दुनिया ने अपने दूतावासों पर ताला जड करअपना सारा स्टाफ वापस बुला लिया था | 

इस से पहले गुरूवार रात को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकरने गुरुवार को दुशांबे में चीन के विदेश मंत्री वान यी से मुलाकातकी थी | इस मुलाक़ात में जयशंकर ने यी से कहा कि समग्र संबंधोंमें विकास के लिए पूर्वी लद्दाख में शांति की बहाली जरूरी है | याद रहे कि पिछले साल कोविड के बावजूद चीन की सेना नेभारतीय इलाके में घुसपैठ की थी | पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी हथियारों के साथ अपनी तैनाती बढ़ा दी थी | हालांकि वार्ताके बाद दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटी हैं , लेकिन अविश्वास कीखाई इतनी घरी है कि नियन्त्रण रेखा के दोनों ओर लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक अभी भी मौजूद हैं | चीनी विदेश मंत्रीसे बैठक के बाद जयशंकर ने कहा कि भारत सभ्यताओं के सिद्धांत के किसी भी टकराव का समर्थन नहीं करता और चीन कोभारत के साथ अपने संबंधों को किसी तीसरे देश के चश्मे से नहींदेखना चाहिए | शायद उन का इशारा पाकिस्तान की ओर था | उन्होंने यह भी कहा कि एशियाई एकजुटता के लिए चीन और भारत को एक उदाहरण स्थापित करना है | 

शंघाई सहयोग संगठन 2001 में चीन की पहल पर क्षेत्र की सुरक्षा, स्थाईत्व और व्यापारिक संबंधों के मुद्दे पर बना था , जिस मेंचीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान पांच देशशामिल हुए थे | बाद उसी साल उज्बेकिस्तान जुडा और मोदी केपहले शासन काल में जब मोदी और चीन के राष्ट्रपति शीजिनपिंग में ज्यादा ही प्यार की पींगे चल रही थी , भारत को भीशंघाई सहयोग संगठन में शामिल कर लिया गया , साथ मेंपाकिस्तान को भी शामिल किया गया क्योंकि आर्थिक कोरिडोरके कारण वह तो उस का सब से करीबी सहयोगी देश है | लेकिनक्योंकि चीन संगठन का संस्थापक देश है , इस लिए वह नीतियोंऔर फैसलों को प्रभावित करने की कोशिश करता है | अफगानिस्तान के मामले में तो रूस और पाक भी उस के साथ हैं , इस लिए भारत की आवाज नकारखाने में तूती जैसी ही साबितहोती दिखाई दी | शुक्रवार को दुशान्बे में शिखर सम्मेलन के बादशंघाई सहयोग संगठन और मध्य एशियाई राज्यों से युक्त सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (सीएसटीओ) की भी अफगानिस्तान पर एक संयुक्त शिखर बैठक हुई | हालांकि भारत की चिंताओं कोशामिल करते हुए इस बैठक के बाद चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि "अफगान स्थिति क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता पर निर्भर करती है" |नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में सेंट्रल एशिया के साथ कनेक्टिविटीबढाने की इच्छा जाहिर की थी | चीनी प्रवक्ता ने कटाक्ष करते हुएकहा कि कोई भी कनेक्टिविटी पहल "वन-वे स्ट्रीट" नहीं हो सकती है और कनेक्टिविटी परियोजनाएं परामर्शी, पारदर्शी और भागीदारीपूर्ण होनी चाहिए | इस से साफ़ है कि भारत औरचीन दोनों ही एक दूसरे हमलावर होने का कोई मौक़ा नहीं चूक रहे| 

 

 

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