अजय सेतिया / अफगानिस्तान में तालिबान सरकार का गठन इस लिए नहीं हो पा रहा , क्योंकि तालिबान का एक ग्रुप पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और दो बार के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार अब्दुल्ला अब्दुल्ला जैसेनेताओं को सरकार में शामिल करवाना चाहता है | जहां तालिबान के सैन्य कमांडर इसके खिलाफ बताए गए हैं, वहीं दोहा में मौजूद ग्रुप इसके पक्ष में है | तालिबान प्रमुख अखुंदाजादा औरहक्कानी ग्रुप मुल्ला बरादर को सरकार में इतना ताकतवर नहींदेखना चाहते कि वह बेलगाम हो जाएं | | अमेरिका ने तालिबान से बातचीत के लिए तालिबान के उप प्रमुख मुल्ला बरादर को चुना था , जो उस समय पाकिस्तान की जेल में बंद था , दोहा में अमेरिका और तालिबान की बातचीत में तालिबान की तरफ से वही मुख्य किरदार था |
हक्कानी ग्रुप और तालिबान प्रमुख अखुंदाजादा की मुल्ला बरादर सेगरमा गर्म बहस की खबरें आई हैं | गतिरोध को खत्म करने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने रविवार को काबुल की उड़ान भरी थी | पेंटागनके पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने अमेरिका स्थित 19फोर्टीफाइव में लिखा कि हमीद की काबुल यात्रा यह साबित करती है कि तालिबान आईएसआई की 'कठपुतली' हैं | पाकिस्तान ने इन आरोपों का खंडन किया तो सोमवार को तालिबान ने भी खंडन किया कि उस ने फैज हमीद को बुलाया है |
अमेरिका को सब से बड़ा झटका तब लगा था , जब अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी साढ़े तीन लाख की सशस्त्र सेना को नेतृत्वहीन छोड़ कर भाग गए | अमेरिकन विशेषज्ञों का मानना है कि अफगान सरकार को सत्ता से हटाने और तालिबान को निर्णायक शक्ति के रूप में स्थापित करने में पाकिस्तान प्रमुख खिलाड़ी रहा है | पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने मांग की है कि आईएसआई प्रमुख फैज हमीद को आतंकी के रूप में नामित किया जाए | उस ने यह भी कहा कि आईएसआई आतंकवादी इकाई के रूप में काम कर रही है | उसी ने लंबे समय से अफगानिस्तान कोपीड़ित किया हुआ है | लेकिन यह सब पहले से जानते हुए भीअमेरिका ने पाकिस्तान पर कोई कार्रवाई नहीं की , अलबत्ता उसीकी बातों में आ कर तालिबान से बातचीत शुरू कर उसे फिर सेताकतवर बना दिया |
अमेरिका ने अफगानिस्तान के साथ नहीं, अलबत्ता मानवता कोधोखा दिया है | दुनिया भर को मानवाधिकारों की सबक देने वाली अमेरिकी विदेश विभाग की संस्था अब अपनी सालाना रिपोर्ट में क्या लिखेंगी | जो भारत को भी कभी कश्मीर पर , कभी तथाकथितफर्जी मुठभेड़ों पर , कभी अल्पसंख्यकों पर और कभी प्रेस की आज़ादी पर हडकाया करती थी | संयुक्त राष्ट्र तो पूरी तरह महत्वहीन हो गया लगता है | सोमवार को अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने संयुक्त राष्ट्र ( यूएन ) को चिठ्ठी लिख कर जब तालिबान की ओर से पंजशीर घाटी की आर्थिकनाकेबंदी कर के मानवाधिकारों के हनन की ओर ध्यान दिलाया तोअपन को लगा कि वह भैंस के आगे बीन बजा रहे हैं | सारी दुनियादेख रही है कि पाकिस्तान तालिबान के साथ मिल कर पंजशीर परड्रोन हमले कर रहा है |
जिस तरह 1947 में अवैध रूप से कश्मीर पर हमला कर के एकहिस्से पर कब्जा किया था , ठीक उसी तरह अपनी फ़ौज भेज करपंजशीर पर तालिबान का कब्जा करवा रहा है | तालिबान ने दावातो यह किया है कि उस का कब्जा हो गया है , हालांकि यह सचनहीं है अहमद मसूद और अमरुल्ला सालेह पंजशीर में बने हुए हैंऔर जंग जारी है | तालिबान और पाकिस्तान की अमानवीय हरकतोंपर न अमेरिका कुछ बोला , न यूरोपियन देश कुछ बोले और न ही संयुक्त राष्ट्र ने राजनीतिक हस्तक्षेप कर शांति सेना भेज करआंतरिक युद्ध रुकवाने की जहमत उठाई | तो अमरुल्ला सालेह के भैंस के आगे बीन बजाने से क्या होगा | पंजशीर प्रांत और बगलान प्रांत के तीन अंद्राब जिलों में बड़े पैमाने पर मानवीय संकट पैदा हो रहा है , नाकेबंदी के कारण खाने पीने की जरूरी वस्तुएं भी नहीं पहुंच रही | तालिबान से डर कर पंजशीर में शरण लेने वाले अफगानिस्तान के बाकी हिस्सों के करीब 10 हजार अफगानी भीअब पंजशीर में बुरे फंस गए हैं |
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