अजय सेतिया / हर घर में कोई न कोई कोविड का शिकार हो रहा है | सरकार को ऐसी दुर्दशा की आशंका नहीं थी | वह तो मान कर चल रही थी कि कोविड पर विजय पा ली गई है | इस लिए भविष्य के किसी संकट और उस की तैयारियों के बारे में सोचा ही नहीं गया | सारा ढांचा सुस्त पड चुका था , अलबता किसी चेतावनी की तरफ ध्यान ही नहीं दे रहा था | पिछले साल बनाई गई दर्जन भर टास्क फोर्सें लम्बी तान कर सोई थीं | जब दूसरी लहर फूटी तो न कोविड टेस्ट की पर्याप्त सुविधाएं थीं , न कोविड केयर सेंटर थे, न अस्पतालों में दवाईयां थीं, न आक्सीजन था | हर बड़े शहर में हर घर में एक या कई मरीज थे | लोग आक्सीजन से तडपते सडकों पर दम तोड़ रहे रहे थे | ऐसी दुर्दशा के कारण देश में प्रधानमंत्री के खिलाफ गुस्से की लहर है |
देश ने खुद देखा कि यह सब देख कर प्रधानमंत्री खुद सदमे थे | वह सदमे में थे , लेकिन अपने अमले पर गुस्से में भी थे | न उन का कोई बयान आ रहा था , न किसी मीटिंग की खबर बाहर आ रही थी | लेकिन संसाधनों को फिर से पटरी पर लाने की तीव्र गति से कोशिशें शुरू हो गईं थी | शुक्रवार को सदमे से उबार कर वह पहली बार जनता के सामने आए | उन्होंने कमियाँ भी स्वीकार कीं और उन्हें तेजी से दूर कर लिए जाने का खुलासा भी किया | जहां एक तरफ संक्रमित लोगों के प्राणों की रक्षा करने के लिए कोविड सेंटरों के निर्माण में डीआरडीओ और सेना तक को झोंका गया | रमडीसीवर इंजेक्शन का उत्पादन बढाया गया | जहां अप्रेल के शुरू में भारत में 25 कम्पनियां हर रोज रमडीसीवर के 25 हजार वायल तैयार कर रहे थीं , वहीं आज 58 कम्पनियां 3 लाख वायल हर रोज तैयार कर रही हैं | जहां 19 अप्रेल को आक्सीजन का उत्पादन 1000 मीट्रिक टन था , वहीं आज 10 हजार मीट्रिक टन हो गया है | अमेरिका समेत दुनिया के 94 देशों ने भी भरपूर मदद भेजी |
एयरफोर्स के विमान भेज कर दुनिया भर से आक्सीजन मंगवाई गई | पीएम केयर फंड से देश के हर जिले के सरकारी अस्पताल में वेंटिलेटर भेजे गए | तो दूसरी तरफ वेक्सीन का निर्यात रोक कर मौजूदा दोनों कम्पनियों को एडवांस दिया गया कि भारत के लिए जल्दी से जल्दी और ज्यादा से ज्यादा वेक्सीन तैयार करें | मोदी सरकार ने 19 अप्रेल को सीरम को 3000 करोड़ रूपए और भारत बायोटेक को 1500 करोड़ रूपए एडवांस दिए हैं | एडवांस मिलने के बाद भारत बायोटेक ने उत्पादन बढाने के लिए इंडियन इम्यूनाजेशन,हैफ्किन , बिबलोक और गुजरात बायोटेक कम्पनियों से उत्पादन का करार कर लिया है | सीरम अगस्त में 36 करोड़ वेक्सीन दे देगी और सितम्बर से 11.5 करोड़ वेक्सीन हर महीने देगी | यह सब बंदोबस्त और तैयारियां प्रधानमंत्री खुद अपनी देखरेख में शांत रह कर कर रहे थे , क्योंकि उन्हें अपने अमले की विफलता का एहसास था | पिछले एक महीने में उन्होंने जितनी मेहनत कर के दवाईयों और आक्सीजन का भरपूर इंतजाम किया , उसे अब महसूस किया जा सकता है |
जहां एक तरफ वैक्सीनेशन को तेज किए जाने की रणनीति है ताकि कोविड संक्रमण को स्थाई तौर पर रोका जाए , लेकिन बड़ी समस्या यह है कि 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की आबादी 94 करोड़ है | सभी को वेक्सीनेशन देने के लिए 188 करोड़ वेक्सीन चाहिए | इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी त्रिस्तरीय रणनीति पर काम कर रहे हैं | मरीजों को बचाने , वेक्सीनेशन तेज करने के बाद तीसरा लक्ष्य 31 दिसम्बर तक 94 करोड़ लोगों को दोनों वेक्सीन दे कर भारत को काफी हद तक कोरोना मुक्त करने का है | इस लिए जहां सीरम और भारत बायोटेक को एडवांस दिया गया है तो दूसरी तरफ भारत सरकार की मदद से पुणे की जिनोवा कम्पनी फाईजर और मोड्रेना की तर्ज पर एम-आरएनए तकनीक से वेक्सीन तैयार कर रही है | सितम्बर तक यह नई वेक्सीन भारतीय वैज्ञानिकता के झंडे गाड सकती है |
जानसन एंड जानसन बायोलोजिकल ई के माध्यम से सितंबर से भारत में वेक्सीन का निर्माण शुरू कर रही है , जिस का एक ही डोज होगा | जानसन सितम्बर में साढे सात करोड़ वेक्सीन का निर्माण करेगा | जाइडस केडीला जुलाई से भारत में अपनी वेक्सीन का निर्माण शुरू कर देगा | रूस की स्पूतनिक –वी का भी अगस्त से डाक्टर रेड्डी की फेक्ट्री से उत्पादन शुरू हो रहा है | सभी को न्योता है , आओ और वेक्सीन बनाओ | मोदी का लक्ष्य यह है कि साल के आखिर में भारत के पास 200 करोड़ वेक्सीन होनी चाहिए ताकि भारत दुनिया को एक बार फिर अपनी क्षमताओं का एहसास करवा सके |
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