संक्रमण ज्यादा है ,तो एहतियात भी ज्यादा

Publsihed: 14.Apr.2021, 20:36

अजय सेतिया / शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक पहले कदम उठाने से चूक गए | दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने खुद को बच्चों के बारे में ज्यादा संवेदनशील साबित किया | उन्होंने वक्त रहते प्रधानमंत्री से सीबीएसई की परीक्षाएं रद्द करने की मांग की | राजनीति में अपन देखते आए हैं सरकार ने जब कोई लोकप्रिय फैसला लेना होता था तो सत्ताधारी पार्टी की तरफ से मांग उठाई जाती थी | अपनी पार्टी को लोकप्रिय फैसले का श्रेय दिया जाता था | लेकिन इस मामले में केजरीवाल श्रेय ले गए | केजरीवाल की सार्वजनिक मांग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहल कर के शिक्षामंत्री को बुला कर फैसला करवाया | यह घटना मोदी सरकार की कार्यशैली पर भी एक टिप्पणी है कि मंत्री जनहित के फैसले लेने में भी तब तक पहल नहीं करते , जब तक ऊपर से इशारा न हो | यह लोकतंत्र के लिए अच्छी बात नहीं है |

प्रधानमंत्री के आदेश पर मेट्रिक की परीक्षाएं रद्द हो गई है और बाहरवीं की परीक्षाएं स्थगित | यह उन्हीं का बनाया हुआ फार्मूला है कि स्टूडेंट्स का मूल्यांकन इंटर्नल एसेसमेंट के आधार पर किया जाएगा | जिन छात्रों को इंटरनल एसेसमेंट मंजूर नहीं होगा , उन्हें सही समय पर इम्तिहान में बैठने का विकल्प दिया जाएगा | छात्रों के पास दोनों विकल्प हो गए | दोनों हाथों में लड्डू हैं , जो चाहे खा लें | हालांकि एक सवाल सहज ही पूछा जा रहा है कि जब छात्रों के इम्तिहान रद्द किए जा सकते हैं , उन्हें बिना परीक्षा दिए पास किया जा सकता है , तो पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव क्यों करवाए जा रहे हैं | जिन में दो गज की दूरी , मास्क और सेनेटाईजर की धज्जियां उडाई जा रही हैं | चुनावी रैलियाँ हो रही हैं , जिन में हजारों की भीड़ उमड रही है | क्या चुनावों को टाला नहीं जा सकता था , क्या न्यूनतम अधिकारों के साथ विधानसभाओं का कार्यकाल नहीं बढाया जा सकता था | देश भर में पालिका , पंचायतों के चुनाव भी करवाए जा रहे हैं , जिनमें कोविड नियमों का पालन नहीं किया जा रहा | सत्ता के स्वार्थी राजनीतिक दलों ने चुनाव टालने की ऐसी मांग भी नहीं रखी | कांग्रेस को असम , केरल और पांडिचेरी में जीतने और तमिलनाडू में द्रमुक के साथ जीतने की उम्मींद न होती , तो वह ऐसी मांग जरुर रखती | बंगाल को छोड़ कर बाकी राज्यों में कांग्रेस उम्मींद से है ,इस लिए उस ने चुप्पी साध ली, लेकिन मेट्रिक की परीक्षाएं स्थगित करने की मांग की |

उधर जैसे मोदी ने दसवीं की परीक्षा का बड़ा संकट चुटकियों में हल कर लिया , वैसा मामला लगातार बढ़ रहे संक्रमण पर काबू पाने का नहीं बन रहा | हालात पिछले साल से भी ज्यादा बिगड़ रहे हैं | देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर अब काफी तेजी से फैल रही है | मंगलवार से बुधवार शाम तक के 24 घंटे में 1.84 लाख लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं,  तो 1 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी | पिछले बारह महीनों में यह एक दिन में मिले मरीजों की सर्वाधिक संख्या है | कुछ हफ्ते पहले जहां देश में एक्टिव केसों की संख्या घटकर 1.5 लाख तक रह गई थी, अब यह आंकड़ा 13 लाख के पार जा चुका है | लेकिन मोदी ने पिछले साल के लाकडाउन से सबक सीखा है, जिस ने आर्थिकी तबाह कर दी और बेरोजगारी बढा दी , इसलिए अब वह खुद लाकडाउन जैसा कोई कदम नहीं उठा रहे | फैसला राज्यों पर छोड़ दिया है , ताकि आर्थिकी की बर्बादी का ठीकरा अब उन्हीं के सिर फूटे |

महाराष्ट्र में जहां हर रोज 50 से साथ हजार तक नए संक्रमित मरीज मिल रहे हैं ,उस ने लाकडाउन जैसे कर्फ्यू की पहल की है | महाराष्ट्र में यह जरूरी भी था क्योंकि वहां एक्टिव केसों की संख्या करीब 6 लाख तक पहुंच गई है, जबकि अब तक 58 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है | पिछली बार दिल्ली के बाद महाराष्ट्र ऐसा राज्य था , जहां से लाखो मजदूर पलायन को मजबूर हुए थे , रेलवे मंत्रालय में ट्रेनें बंद कर दी थीं और लाखों मजदूरों को सैंकड़ों किलोमीटर पैदल तय करना पड़ा था | उन तस्वीरों ने दुनिया भर में भारत की किरकिरी करवाई थी , लेकिन इस बार रेलवे मंत्रालय ने भी सबक लेकर ट्रेनें चालू रखने का एलान किया है | बताते जाएं कि अब तक बाकी राज्यों से बेहतर रहा उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर आ गया है , जहां सक्रिय मरीजों की संख्या 1,11,835 हो गई है , शायद यह कुंभ का असर हो | एक्टिव केसों के मामले में छत्तीसगढ़ तीसरे नंबर पर है जहां 1,09,139 मरीजों का इलाज चल रहा है | इसके बाद कर्नाटक में 78,636, केरल में 52,450, तमिलनाडु में 49,985, मध्य पदेश में 43,539, दिल्ली में 43,510, राजस्थान में 40,690, गुजरात में 34,555, पश्चिम बंगाल में 29,050, पंजाब में 28,184, आंध्र प्रदेश में 2,850, तेलंगाना में 25,459 और हरियाणा में 24,207 मरीजों का इलाज चल रहा है | दिल्ली में एक दिन में 17 हजार नए केस आए हैं | हालांकि, देश में 9 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अब भी ऐसे हैं, जहां कोरोना की दूसरी लहर का खास असर नहीं दिखा ह | इनमें कुल मरीजों की संख्या अब भी 500 से कम है |

 

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