वेक्सीन का निर्यात रुकेगा, आयात भी होगा

Publsihed: 13.Apr.2021, 21:25

अजय सेतिया / विक्रमी सम्वत 2078 के पहले दिन मंगलवार शाम आठ बजे जब अपन यह कालम लिख रहे थे , दुनिया भर में 29,62,470 लोग कोरोना का शिकार हो कर स्वर्ग सिधार चुके थे | अमेरिका जो अभी तक पहले नम्बर पर है , वहां 5,62,000 लोग मौत का शिकार हुए हैं , भारत की संख्या 1,71,058 है | लेकिन कोरोना की शुरूआत से ही मोदी विरोध के कारण भारत के बारे में नाकारात्मक सोच रखने वाले मीडिया ने शोर मचाना शुरू कर दिया है कि क्या अमेरिका को पीछे छोड़ेगा भारत | राजनीतिक तौर पर मात नहीं दे सके तो कोरोना महामारी को आगे कर के मोदी को मात देने की इस कुत्सित मानसिकता पर क्या कहा जाए | हालांकि अपन भी मोदी सरकार की पहले 60 से ऊपर और अब 45 से ऊपर उम्र वालों को वेक्सीन दिए जाने की राशनिंग से सहमत नहीं है | सरकार की इस दलील को भी अपन खारिज नहीं करते कि भारत की दोनों वेक्सीन उत्पादक कम्पनियां इतनी वेक्सीन नहीं बना रही हैं कि सब को वेक्सीन लगाने के दरवाजे एक साथ खोल दिए जाएं | लेकिन इस में भी कोई मापदंड रख कर रास्ता निकाला जा सकता था | जैसे महानगर मुम्बई और दिल्ली के आधार कार्ड धारकों को 25 साल की उम्र से वेक्सीन लगाई जाती | फिर महाराष्ट्र और कर्नाटक के उन इलाकों को सभी को वेक्सीन के लिए खोला जाता , जहां महामारी ज्यादा तेजी से फ़ैल रही थी | लेकिन मोदी सरकार की सारी नीति ब्यूरोक्रेसी बनाती है , जो वैज्ञानिक ढंग से सोचने का मादा ही नहीं रखती | राजनीतिक निर्णय से यह अब भी किया जा सकता है |

अब तक कुल 10,85,33,085 वैक्सीनेशन डोज़ दिए जा चुके हैं | पहली अप्रेल से 45 साल आधार आयु करने के बाद वेक्सीनेशन में तेजी आई है , लेकिन आधा लक्ष्य भी पूरा नहीं हुआ है | 45 साल से उम्र वालों की आबादी 20 करोड़ से ज्यादा है | भारत अगर 25 साल से ज्यादा उम्र वालों को वेक्सीनेशन का लक्ष्य तय करता है तो उसे 70 करोड़ वेक्सीन यानी 7 करोड़ वायरल की जरूरत पड़ेगी , क्योंकि एक वायरल में दस टीके होते हैं | पर अपन जानते हैं कि बीमारी फैलने के बावजूद भारतीय लापरवाह बने रहते हैं | अपना वोट प्रतिशत भी 60 से 70 प्रतिशत के बीच ही रहता है , इस लिए अभी तो साठ साल से ज्यादा उम्र वालों का पूर्णतय टीकाकरण का लक्ष्य भी पूरा नहीं हुआ | जब इतने प्रचार और मुफ्त में वेक्सीनेशन के बावजूद लोग टीका लगवाने नहीं आ रहे और सरकारी अस्पतालों में भी 13 प्रतिशत वेक्सीन बर्बाद हो रही है , तो ऐसे में सरकार को कोसना सिवा राजनीतिक एजेंडे के और कुछ नहीं | हालांकि अपन शुरू से ही दो महीनों के लिए निर्यात रोक कर “इंडिया फर्स्ट “ की पालिसी अख्तियार करने की वकालत करते रहे हैं | मोदी सरकार अपनी कूटनीतिक रणनीति के कारण इस पर विचार नहीं कर रही थी , लेकिन अब जब संक्रमण  रिकार्ड तोड़ रहा है , 13 अप्रैल को लगातार तीसरा दिन था , जब देश में एक दिन में डेढ़ लाख से ज्यादा मामले सामने आए | संक्रमण के नए मामले दर्ज होने के बाद देश में अब तक कुल मामलों की संख्या 1,36,89,453 हो चुकी है |

विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने निर्यात रोकने की गुहार लगाते हुए प्रधानमंत्री को चिठ्ठी लिखी है तो चारों तरफ से दबाव के बाद मोदी सरकार ने वेक्सीनेशन की रफ्तार बढाने के लिए दुनिया भर की सभी वेक्सीन के दरवाजे खोल दिए हैं | राहुल गांधी की चिठ्ठी पर प्रतिक्रिया देते हुए मोदी सरकार के एक मंत्री ने कहा था कि वह विदेशी वेक्सीन के आयात का दबाव बना रहे हैं , उन के इस बयान से साफ़ था कि सरकार आयात के बारे में सोच ही नहीं रही , लेकिन 24 घंटे बाद ही पहले रूसी वेक्सीन स्पुतनिक वी को आयात करने की इजाजत मिली और उस के 24 घंटे बाद यानी मंगलवार सुबह नेशनल एक्‍सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्‍सीन एडिमिनिस्‍ट्रशन फॉर कोविड-19 की बैठक में उन सभी वेक्सीन के आयात के रास्ते खोल दिए गए ,जिन्हें डब्ल्यूएचओ और दुनिया के अन्य देशों की मंजूरी मिल चुकी है , फिर भले ही वह अमेरिकन हो , जापानी हो या कोई और , लेकिन उस में चीन की वेक्सीन शामिल नहीं है | हालांकि एलान नहीं हुआ है , पर अब निर्यात भी रुकेगा , आयात भी होगा | विदेशों में बनी जो वैक्सीन भारत मे आयात की जाएगी. यह सबसे पहले सिर्फ 100 लोगों को दी जाएगी और 7 दिनों तक उनकी निगरानी की जाएगी | उसके बाद ही टीकाकरण अभियान में शामिल किया जाएगा | विदेशी वेक्सीन भारत में आते ही उम्मींद करनी चाहिए कि  मार्केट में भी उपलब्ध होगी , जिसे आधार कार्ड के साथ जोड़ कर बेचा जा सकता है | हालांकि उस की कीमत चार गुना यानी 1000 रूपए तक हो सकती है ,क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में स्पुतनिक वी की कीमत दस डालर है ,लेकिन यह सरकार को तय करना है कि वह मार्केट में उपलब्ध करवाती है या नहीं |

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