अजय सेतिया / भारत में कोरोना का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है | पिछले 7 दिनों में संक्रमण प्रतिदिन औसत 1, 08,202 हैं | शुक्रवार सुबह जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटे के दौरान देशभर में 1,31,968 नए मामले दर्ज किए गए, जिन्हें मिलाकर देश में संक्रमण के कुल पुष्ट मामलों की तादाद 1,30,60,542 हो गई है | पिछले 24 घंटे के दौरान 780 लोगों ने कोरोना संक्रमण के चलते जान भी गंवाई है | मौतों के मामले में महाराष्ट्र 57,028 मौतों के साथ पहले नम्बर पर , कर्नाटक 12,767 मौतों के साथ दूसरे नम्बर पर और दिल्ली 11,157 मौतों के साथ तीसरे नम्बर पर है | संक्रमण के मामले में महाराष्ट्र 32,30,000 , केरल 11,50,000 और कर्नाटक 10,40,000 आंकड़ों के साथ क्रमश पहले दूसरे और तीसरे नम्बर पर हैं | यानी कोरोनावायरस यह नहीं देख रहा कि कहां पर किस पार्टी की सरकार है , इस के बावजूद वेक्सीन को लेकर महाराष्ट्र और दिल्ली सरकारों ने केंद्र सरकार के साथ जंग छेड़ रखी है | अपन को याद है कि जब पिछले साल संक्रमण शुरू हुआ था तो गुजरात में थोड़ा ज्यादा फ़ैल रहा था और केरल में कम फ़ैल रहा था , तब टीवी चेनलों पर बहस के लिए आने वाले कामरेड केरल के स्वाश्थ्य माडल की तारीफ़ करते नहीं थकते थे , लेकिन अब वे केरल के स्वास्थ्य माडल की तारीफ़ नहीं करते , बल्कि इस तरह का सवाल पूछा जाए तो कन्नी काट लेते हैं |
विपक्ष के कुनबे वाली महाराष्ट्र , छतीसगढ़ , आंध्र, तेलंगाना ,उड़ीसा और दिल्ली सरकारों ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि उन्हें जरूरत के अनुसार वेक्सीन नहीं दी जा रही | केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इन आरोपों को गलत बताया है , अलबत्ता उन का आरोप है कि केंद्र सरकार तीन दिन का स्टाक हर सरकार को एडवांस में दे रही है , लेकिन राज्य सरकारों की ओर से मिस-मेनेजमेंट के कारण कई राज्यों में 13 प्रतिशत तक वेक्सीन हर रोज बर्बाद हो रही है | असल में वेक्सीन की एक शीशी में दस इंजेक्शन होते हैं , उम्र की सीमा के कारण हर वेक्सीन सेंटर पर कुछ न कुछ टीके बचे रह जाते हैं , जो अगले दिन इस्तेमाल नहीं किए जा सकते | इस तरह वेक्सीन बर्बाद हो रही है , इस लिए डाक्टरों की भी दलील है कि कम से कम शाम को उम्र की सीमा खत्म की जाए ताकि वेक्सीन बर्बाद न हो सके , हालांकि अपन जानते हैं कि ऐसा करना भ्रष्टाचार के दरवाजे खोलना होगा | लेकिन एक तरफ वेक्सीन बर्बाद होने की खबरें हैं तो दूसरी तरह वेक्सीन सप्लाई में कमी की खबरें आ रही हैं | अपन जानते हैं कि ब्यूरोक्रेसी का मिस मेनेजमेंट विपक्ष को मोदी सरकार के खिलाफ बोलने का मौक़ा दे रहा है | वेक्सीन की सप्लाई मोदी या हर्षवर्धन खुद तो कर नहीं रहे , यह सारा काम नाकारा ब्यूरोक्रेसी के पास है और वही मोदी व हर्षवर्धन को गलत रिपोर्ट दे रहे हैं कि सप्लाई में कोई कमी नहीं है |
शुक्रवार को मोदी सरकार की ब्यूरोक्रेसी गलत साबित हो गई जब मुम्बई महानगर के 19 वेक्सीन सेंटरों पर ताला लगाना पड़ा क्योंकि वेक्सीन का स्टाक नहीं था , जबकि आन लाईन रजिस्ट्रेशन करने वाले वेक्सीन लगवाने पहुंच चुके थे | अपन पहले भी लिख चुके हैं कि कमान राजनीतिक नेतृत्व के हाथों सौंपे बिना किसी समस्या का समाधान नहीं निकलेगा | देश में वेक्सीन की होने वाली किल्लत को अपन पहले से आंक रहे थे , तभी अपन ने 25 मार्च , 26 मार्च और 7 अप्रेल को निर्यात बंद कर देश को प्राथमिकता देने का मुद्दा उठाया था | अपन अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को समझते हैं , अपन समझते हैं कि जिन देशों में वेक्सीन का शोध और टेस्ट हुआ है , वेक्सीन पर उन देशों का हक है | उन देशों को वेक्सीन देना अपनी जिम्मेदारी बनती है | अंतर्राष्ट्रीय नियम यह भी है कि जीवन रक्षक वेक्सीन साझा करनी पडती है | लेकिन अपन 6 करोड़ से ज्यादा वेक्सीन निर्यात कर चुके हैं , इन में से 25 प्रतिशत तो दान में भी दी है , लेकिन अब जब भारत में हर रोज एक लाख से ज्यादा संक्रमण के मामले आने लगे हैं , कर्फ्यू लग रहा है , लाकडाउन सिर पर खड़ा है , स्कूल कालेज फिर बंद किए जा रहे हैं , तो क्या मोदी सरकार को दो महीने के लिए निर्यात पर भी रोक नहीं लगानी चाहिए , ताकि वेक्सीन सेंटरों पर ताले न लगाने पड़ें | वैसे तो अपन को राहुल गांधी की बचकानी बातें गौर करने लायक नहीं लगतीं , लेकिन शुक्रवार को राहुल गांधी के दस्तखतों से प्रधानमंत्री को भेजी गई चिठ्ठी की यह बात गौर करने लायक है कि निर्यात बंद कर और उम्र की सीमा खत्म कर पहले भारत का वेक्सीनेशन किया जाए |
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