अजय सेतिया / ममता बेनर्जी नंदीग्राम में जीत सकती हैं , क्योंकि नंदीग्राम में 30 प्रतिशत मुस्लिम वोट हैं | इसी लिए तो वह भवानीपुर छोड़ कर नंदीग्राम आई थी | लेकिन उन्हें क्या पता था कि नंदीग्राम में इतने पापड़ बेलने पड़ेंगे कि छह दिन तक डेरा डाल कर बैठना पड़ेगा | कम से कम सौ पोलिंग बूथों पर पोलिंग एजेंट तक नहीं मिला | जिस मुस्लिम राजनीति के घोड़े पर सवार हो कर वह फुदक रही थी , वह भी साथ देता दिखाई नहीं देता | ममता का भरोसा बीच में टूट गया , इसलिए वह भी राहुल गांधी की तरह मंदिर मंदिर घूमने लगी , चंडी का पाठ करने लगी , हनुमान चालीसा पढने लगी और खुद को शाडिल्य गौत्र का ब्राह्मण बता कर हिन्दू होने का दम भरने लगी | गुजरात के चुनाव में राहुल गांधी ने भी खुद को दत्तात्रेय कौल ब्राह्मण बताया था | हालांकि वह फ़िरोज़ जहांगीर घैंडी के पोते हैं | किसी ने पूछा भी नहीं कि घैंडी या गांधी दत्तात्रेय कौल ब्राह्मण कैसे हो सकते हैं |
खैर आज सवाल ममता और राहुल गांधी के ब्राह्मण होने का नहीं है | 2014 के बाद सेक्यूलरिज्म की राजनीति पूरी तरह बदल गई है | तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चन्द्र शेखर राव को भी आभास हो गया है कि ओवेसी के साथ चुनावी गठबंधन अगले चुनाव में कितना भारी पड़ेगा , इसलिए उन्होंने अभी से मंदिरों में सरकारी खजाना लुटाना शुरू कर दिया है | घुर हिन्दू विरोधी डीएमके के नेता स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन इस बार विधानसभा का चुनाव लड रहे हैं , उन्हें भी हिन्दू जागृति की समझ आ गई है | इस लिए इंडिया टूडे टीवी को दिए इंटरव्यू में उदयनिधि ने खुलासा करना उचित समझा कि उन के घर में विनयागार की मूर्ति है और उन की मां मंदिर में जाती हैं | आंध्र के मुख्यमंत्री वाई एस जग्गन मोहन रेड्डी वैसे तो ईसाई हैं , उन्होंने पादरियों का पांच हजार रुपए वेतन भी सरकारी खजाने से देना शुरू किया है , लेकिन अगले विधान सभा चुनावों में वह भी मंदिरों में दिखाई देंगे , जिस की रिहर्सल शुरू भी कर चुके हैं | और तो और वामपंथी पिनाराई विजयन भी सबरीमाला के भक्तों की गिरफ्तारी पर प्रायश्चित कर रहे हैं |
असल में दिल्ली में बैठ कर समझा ही नहीं जा सकता कि 30 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले बंगाल में भाजपा 294 सीटों में से 200 सीटें जीतने का दावे किस बूते पर कर रही है | अपन ने कोलकाता के अपने एक पूर्व वामपंथी पत्रकार मित्र से समझने की कोशिश की तो उन्होंने बताया कि पिछले दो-ढाई साल से हिन्दुओं में छटपटाहट शुरू हो चुकी थी , वे एक ऐसे विकल्प की तलाश में थे , जो मुस्लिम परस्त ममता को हरा सके | लोकसभा चुनाव में भाजपा को 18 सीटें दे कर उन्होंने एक प्रयोग किया था , भाजपा ने इस प्रयोग को आगे बढाने के लिए बंगाल में हिंदुत्व की राजनीति खेलने की रणनीति बनाई तो उस का समर्थन बढ़ता चला गया | उधर तृणमूल कांग्रेस में जब तक ममता दीदी के रूप में थी, तृणमूल का कुनबा जुड़ा हुआ था , जैसे ही दीदी बुआ बनी , कुनबा बिखरने लगा , भाजपा को प्रदेश में स्थानीय नेतृत्व की जरूरत थी ही , भाजपा ने उस मौके को तुरंत लपक लिया | इस तरह 30 प्रतिशत मुस्लिम वोटों वाले राज्य में जगह जगह जय श्रीराम के नारे लगने लगे , ममता ने उन नारों का विरोध कर के भाजपा के उस आरोप की खुद ही पुष्टि का दी कि वह मुस्लिम परस्त है | इस तरह भाजपा ने बंगाल में सरकार बनाने का सपना देखना शुरू किया |
गुरूवार को जब नंदीग्राम में वोटिंग हो रही थी ममता बेनर्जी गाँवों और पोलिंग बूथों पर घूम रही थी , जहां जहां जा रही थी उन्हें जयश्री राम के नारे सुनाई दे रहे थे | ममता पूरी तरह घबराई हुई थीं और गुस्से से तमतमा रही थी , दूसरी तरफ शुभेंदू अधिकारी मीडिया वालों से खिलखिलाते हुए बता रहे थे कि पिछले तीन दिन से जय श्रीराम का नारा कितनी ऊंची आवाज में गुंजा है | अपन पहले भी बता चुके हैं कि कांग्रेस किसी भी हालत में ममता को सीएम बनवाना चाहती है , लेकिन उस की साझीदार माकपा किसी भी हालत में ममता को सत्ता से बाहर करना चाहती है | उस की तो अंदरखाने रणनीति है कि इस बार “ राम” , अगली बार “वाम” | यानी ममता सत्ता से बाहर होगी तो 2026 में वही भाजपा के सामने होगी | इस की रणनीति माकपा ने इसी बार बनाना शुरू कर दिया है | ममता के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने और मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए वाममोर्चा ने फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा और कट्टरपंथी अब्बास सिद्दीकी के इंडियन सेक्युलर फ्रंट को अपने साथ जोड़ लिया | राज्य की 110 सीटें ऐसी हैं , जहां मुस्लिम ही हार जीत का फैसला करते हैं , 2016 के चुनाव में इन 110 में से 90 ममता जीती थीं | त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा को फायदा होगा | यहाँ तक कि ममता नंदीग्राम में फँस गई है । कांग्रेस को वामदलों की यह कुटिल रणनीति समझ ही नहीं आई |
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