हर थाने में होते हैं परमवीर और वाजे

Publsihed: 17.Mar.2021, 21:06

अजय सेतिया / मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह शायद इतने मशहूर न होते , अगर वह टीआरपी के मामले में अपने आका मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इशारे पर प्रेस कांफ्रेंस कर के रिपब्लिक टीवी को कटघरे में खड़ा न करते | बदले में रिपब्लिक टीवी के मालिक सम्पादक अर्नब गोस्वामी ने उन्हें अपने चेनल के प्राईम शो के कटघरे में  खड़ा करना शुरू कर दिया , जो अनवरत जारी रहा | परमवीर सिंह को घमंड था कि मुख्यमंत्री का हाथ उन के सिर पर है , इस लिए अर्नब गोस्वामी तो क्या पूरा मीडिया भी इक्कठा हो जाए , तो भी उन का कुछ नहीं बिगाड़ सकता | वह खुद को खुदा समझने लगे थे , उन्होंने सचिन वाजे को भेज कर अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार कर लिया | सचिन वाजे की कहानी अपन बाद में बताएंगे |  परमवीर सिंह ने क़ानून की धज्जियां उड़ाते हुए  रिपब्लिक मीडिया के दर्जनों पत्रकारों और दफ्तर के अन्य स्टाफ को पुलिस थानों में बुला कर बेसिर पैर की पूछताछ करवाई | उन के सिर पर घमंड सवार था , हालांकि यह घमंड नेताओं , मुख्यमंत्रियों , प्रधानमंत्री को भी हो जाता है , और एक दिन टूटता ही है |

सचिन वाजे का घमंड 13 मार्च को एनआईए की ओर से उन्हें गिरफ्तार करने पर टूट गया था , जबकि परमवीर सिंह के घमंड टूटने की पहली झलक तीन दिन बाद 16 मार्च को मिली जब अर्नब गोस्वामी के मामले में हाईकोर्ट ने पूछा कि परमवीर सिंह ने टीआरपी मामले में प्रेस कांफ्रेंस क्यों की थी | चौथे दिन बुधवार को वास्तव में टूट गया , जब उन्हीं गृहमंत्री अनिल देखमुख ने ट्विटर पर उन्हें हटाए जाने का एलान कर दिया , जो उन के सरपरस्त बने हुए थे | उन्हें मुम्बई पुलिस कमीश्नर के पद से हटा कर छोटे से पद होमगार्ड का डीजी बना दिया गया है | हेमंत नगराले अब मुंबई के नए पुलिस कमिश्नर हैं | यह मामला मुकेश अम्बानी के घर के बाहर जिलेटिन (विस्फोटक) से भरी स्कार्पियो मिलने के बाद से शुरू हुआ | शिवसेना सरकार मामले को रफा दफा करना चाहती थी , लेकिन केंद्र सरकार ने मामले की जांच एनआईए को सौंप दी , शिवसेना ने एतराज किया था , लेकिन अम्बानी के घर के बाहर जिलेटिन भरी स्कार्पियो खडी करने के मामले में वाजे की गिरफ्तारी के बाद उद्धव सरकार के होश फाख्ता है |

मंगलवार रात से उद्धव ठाकरे के घर पर बैठकों का सिलसिला शुरू हुआ था , जो बुधवार को परमवीर सिंह को हटाने के बाद रुका | इस बीच शरद पवार और अनिल देशमुख ने उद्धव ठाकरे से कई मुलाकातें की , परमवीर को मंगलवार रात और बुधवार सुबह भी मातोश्री में तलब किया गया | आप जान लीजिए कौन है सचिन वाजे | पुलिस सेवा छोड़ चुके सचिन वाजे को उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनने के बाद पुलिस में वापस लाए थे, जबकि वह शिवसेना के नेता थे | किसी राजनीतिक दल के नेता को सरकारी नौकरी में कैसे लिया जा सकता है , लेकिन उद्धव ठाकरे ने यह कर के दिखाया | असल में 2004 में सचिन वाजे को पुलिस कस्टडी में ख्वाजा यूनुस नाम के एक अपराधी की मौत के सिलसिले में सस्पेंड कर दिया गया था | अपनी सस्पेंशन के दौरान ही 30 नवंबर 2007 को  वाजे ने इस्तीफा दे दिया था | 2008 में उन्होंने शिवसेना का दामन थाम लिया | इसके करीब 16 साल बाद जैसे ही उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने छह जून 2020 को उन्हें पुलिस सर्विस में दोबारा से ले लिया गया |

सचिन वाजे एक मामूली सहायक सब इंस्पेक्टर था , लेकिन हर रोज नई लग्जरी गाडी पर घूमता था , वह किसी को भी डरा धमका कर उस की गाडी अपने घर पर या क्राईम ब्रांच में खडी करवा लेता था | एनआईए की मानें तो जिस विस्फोटक भरी स्कार्पियो को अम्बानी के घर के बाहर खड़ा किया गया था , वह पहले से ही सचिन वाजे के कब्जे में थी और सीपी आफिस में खडी वाजे की इनोवा कार ने 24 फरवरी की रात को स्कार्पिओ को अम्बानी के घर तक एस्कार्ट किया था | एनआईए को सीसीटीवी में पीपी किट पहने एक आदमी दिखा था , लेकिन अब खुलासा हुआ है कि वह सचिन वाजे ही था , जिस ने पीपी किट नहीं अपितु अपनी पहचान छुपाने के लिए लम्बा कुर्ता पहना हुआ था और सिर ढका हुआ था | एनआईए ने सचिन वाजे की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली एक काली मर्सिडीज कार भी रिकवर की है , जिसमें सचिन वाजे के कपड़े , स्कार्पियो की नम्बर प्लेट , नोट गिनने वाली मशीन और पांच लाख रुपए बरामद हुए हैं | इस बीच देवेन्द्र फडनविस का बयान है कि उद्धव ठाकरे ने वाजे को वसूली के लिए बहाल किया था | वैसे तो आप को हर शहर के हर पुलिस थाणे में एक परमवीर और वाजे मिलेगा | पर मुम्बई के वाजे की जांच शुरू हुई है तो बहुत दूर तक जाएगी और सवाल खड़ा होगा कि क्या सचिन वाजे और परमवीर सिंह मिल कर काम कर रहे थे | और उस से भी बड़ा सवाल कि ये शातिराना आपराधिक हरकतें वे खुद कर रहे थे या अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर |

 

 

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