अजय सेतिया / 13 सितम्बर 2008 का वह दिन, शाम साढे छह बजे का वक्त , अपन को आज भी याद है | मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह को यह दिन एक हफ्ते बाद ही भूल गया था | उस दिन दिल्ली में आधे घंटे के भीतर ग्रेटर कैलाश , कनाट प्लेस और करोल बाग़ में पाच बम धमाके हुए थे , जिन में 26 लोग मारे गए थे और सौ से ज्यादा जख्मी हुए थे | शिवराज पाटिल देश के गृह मंत्री थे , वह घटना स्थल पर पहुंच कर सरकारी अमले को चुस्त दुरुस्त करने में इस लिए लेट हो गए , क्योंकि उन्हें कपड़े बदलने थे | वह दिन में आठ-दस बार कपड़े बदलने के शौक़ीन थे | इसी लिए सोनिया गांधी 2007 में उन्हें राष्ट्रपति बनाना चाहती थी , लेकिन सहयोगी दलों ने समर्थन देने से इनकार कर दिया था | इस लिए सोनिया गांधी ने प्रतिभा देवी पाटिल को राष्ट्रपति पद के लिए चुना था | सहयोगी दलों की उन के बारे में धारणा सही साबित हुई | वह निक्कमें गृहमंत्री के तौर पर याद किए जाते हैं , आतंकवादियों ने उन के निक्क्मेंपन का जम कर फायदा उठाया था | दो महीने बाद ही पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने 26 से 28 नवम्बर तीन दिन तक मुम्बई में आतंकवाद का नंगा नाच किया , जिस में 210 लोग मारे गए थे,तब जा कर सोनिया गांधी ने उन्हें इस्तीफा देने को कहा | मनमोहन सिंह तो तब भी मौनी बाबा बने हुए थे |
आप पूछेंगे कि अपन ने दिग्विजय सिंह का जिक्र क्यों किया | तो वह इस लिए क्योंकि बम धमाकों के छह दिन बाद 19 सितम्बर 2008 को जब दिल्ली पुलिस ने एक गोपनीय सूचना के आधार पर मुस्लिम बहुल जामिया नगर के बाटला हॉउस के एक फ्लेट पर छापा मारा था तो मुठभेड़ में दो आतंकी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए थे | तब दिग्विजय सिंह ने मुठभेड़ को फर्जी बता कर मरने वालों को जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी का छात्र बताया था , वह चाहते थे कि मुठभेड़ की न्यायिक जांच हो , लेकिन उसे सुप्रीमकोर्ट तक हर अदालत ने खारिज किया | हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर मानवाधिकार आयोग ने जांच के बाद मुठभेड़ को सही पाया था | काग्रेस के एक बड़े नेता सलमान खुर्शीद ने खुलासा किया था कि “फर्जी मुठभेड़” में बेगुनाह साजिद और आतिफ के मारे जाने की खबर सुन कर सोनिया गांधी फफक फफक कर रोई थी | कांग्रेस की मुस्लिम वोट बैंक को बनाए रखने के लिए आतकवादियों के प्रति सहानुभूति का इस से बड़ा प्रमाण और क्या होगा कि मुठभेड़ में मारे गए इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा की बहादुरी की तारीफ़ करने की बजाए वे मुठभेड़ को फर्जी बता रहे थे और कांग्रेस की अध्यक्ष आतंकवादियों के लिए आंसू बहा रही थी |
दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम को उसी दिन सूचना मिली थी कि इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी बाटला हॉउस के एल-18 फ़्लैट में मौजूद हैं | स्पेशल पुलिस टीम ने बिना समय गवाएं छापा मारा तो आतंकवादियों ने फायरिंग शुरू कर दी थी | आतिफ और साजिद मुठभेड़ में मारे गए , रात के अँधेरे का फायदा उठा कर सैफ मोहम्मद और आरिज खान भागने में सफल हो गए , या किसी के घर में छुप गए या छुपा लिए गए | जबकि एक आतंकी जीशान गिरफ्तार कर लिया गया था | हालांकि कहा यह भी जाता है कि आतंकियों की तादाद ज्यादा थी , 21 लोगों को दो दिन के भीतर गिरफ्तार भी किया गया था और उन में से ज्यादातर आजमगढ़ के थे | स्वय:भू मानवाधिकार्वादियों ने भी मुठभेड़ को फर्जी कहा था | बाटला हॉउस इलाके के मुस्लिमों और जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों ने तब भी कई दिन तक इलाके को शाहीन बाग़ बनाए रखा था | शाहीन बाग़ की तरह तब भी कांग्रेस , सपा , बसपा, तृणमूल , आम आदमी पार्टी के नेता उन के समर्थन में खड़े थे | दिग्विजय सिंह अपनी राजनीति करने आजमगढ़ गए थे , सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह भी मुस्लिम वोट बैंक पर दावा जताने आजमगढ़ गए | अरविन्द केजरीवाल और ममता बेनर्जी भी मुठभेड़ को फर्जी बताते नहीं थकते थे |
आखिर सोमवार को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने दूध का दूध , पानी का पानी कर दिया | कोर्ट ने आतंकी आरिज खान को सजा-ए-मौत दी है | यह वह आतंकी है , जो मौके से भाग गया था , दिल्ली , अहमदाबाद , जयपुर, हैदराबाद अनेकों जगहों पर बम धमाकों में इस का हाथ था , जिन में 165 बेगुनाह मारे गए थे | आरिज खान पर 15 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था और इसके खिलाफ इंटरपोल के जरिए रेड कॉर्नर नोटिस निकला हुआ था | आजमगढ़ के रहने वाले आरिज खान उर्फ जुनैद को स्पेशल सेल की टीम ने फरवरी 2018 में गिरफ्तार किया | इस से पहले एक अन्य भगोड़े शहजाद अहमद को भी यूपी से गिरफ्तार करने के बाद 2013 में उम्र कैद की सजा हो चुकी है | अपने यहाँ अदालते फैसला दशकों बाद ही देती हैं | इस बीच निखिल आडवानी की बाटला हॉउस पर फिल्म बना कर भी 15 अगस्त 2019 को रीलिज कर दी थी | पर एक सवाल अभी बाकी है , क्या आतंकियों के सरपरस्त अब चुप्पी साध लेंगे | या अजमल कसाब और याकूब मेमन की तरह आरिज खान की फांसी रुकवाने की कोशिशों में जुटेंगे |
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