अजय सेतिया / जल्दबाजी में कुछ लिख देना ठीक नहीं होता | इसलिए अपन ने कल ममता बेनर्जी के उस बयान पर नहीं लिखा , जिस में उन्होंने कहा था कि उन पर चार पांच आदमियों ने हमला किया | अपन ने लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के उस बयान की भी अनदेखी की , जिस में उन्होंने ममता बेनर्जी के आरोप को नौटंकी बताया था | कैलाश विजयवर्गीय की आशंका जायज थी कि ममता बेनर्जी अब किसी भाजपा कार्यकर्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा देगी | उन्होंने अधीर रंजन की तरह नौटंकी कहने से परहेज किया , लेकिन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने अधीर रंजन वाली लाईन ही अपनाई | उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच होनीचाहिए कि जेड प्लस सुरक्षा के बावजूद मुख्यमंत्री पर हमला कैसे हुआ | कहीं यह घटना वोट हासिल करने के लिए ‘‘रचा गया नाटक'' तो नहीं है |
अधीर रंजन की ममता से रंजिश अपन जानते हैं , और यह भी जानते हैं कि अधीर रंजन चाहेंगे कि तृणमूल कांग्रेस की सरकार नहीं बननी चाहिए , फिर भले ही भाजपा की सरकार बन जाए | जबकि कांग्रेस आलाकमान की यह राय नहीं है , अगर तृणमूल कांग्रेस को जरूरत पड़ी तो कांग्रेस आला कमान ममता को समर्थन कर के उन की सरकार बनवाएगा | इसी लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की | जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह ने घटनाक्रम को हमला बताते हुए आलोचना की | ममता को समर्थक दे रहे अरविन्द केजरीवाल और तपस्वी यादव ने भी उन पर हमला बता कर आलोचना की |
अब जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी या प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष इसे नाटक कहते हैं , तो उस का मतलब यह होता है कि ममता बेनर्जी ने सहानुभूति हासिल करने के लिए योजनाबद्ध ढंग से खुद को चोट पहुंचवाई | ममता बेनर्जी ने जिस तरह चार पांच आदमियों की ओर से हमला बताया था , उस पर यकीन करना मुश्किल था | आखिर अपने सैंकड़ों समर्थकों से घिरे किसी बड़े नेता पर हमला कर के कोई कैसे भाग सकता है | भीड़ क्या उसे ज़िंदा नहीं मार देती | और बाडीगार्ड तो उन के साथ कार पर ही था | आखिर ममता बेनर्जी को यह झूठ बोलने की क्या जरूरत थी कि उन पर चार-पांच आदमियों ने हमला किया | आखिर स्मार्ट मोबाईल फोन , मीडिया के पीछा करते कैमरों और सीसीटीवी के जमाने में कोई न कोई , कहीं न कहीं से सबूत निकल आता है |
अपन को वीडियो का ही इन्तजार था , इसीलिए अपन ने कल चुप्पी साध ली थी ,उधर सारा घटनाक्रम कैलाश विजयवर्गीय की आशंका की तरफ बढ़ रहा था | तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक-ओ-ब्रायन ने चुनाव आयोग में हमले की शिकायत करने बाद कहा कि चुनाव आय़ोग ने राज्य पुलिस का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है और वह केंद्र सरकार और बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है | साफ़ है कि भाजपा के वर्करों के खिलाफ नामजद एफआईआर की तैयारी थी | लेकिन तभी रिपब्लिक टीवी एक वीडियो ढूंढ लाया , जिस में दिख रहा था कि न तो ममता पैदल चल रही थी , और न ही किसी ने उन पर हमला किया था , अलबता वह कार का दरवाजा खोल कर अपना चेहरा बाहर निकाल कर खडी थीं और अभिवादन कर रही थी , फिर वह कराहती हुई कार के अंदर बैठ गई और उन के ड्राईवर ने उन्हें सम्भाला |
इस के तुरंत बाद ममता बेनर्जी का अस्पताल से वीडियो जारी हुआ , जिस में ममता ने अपने कल के बयान का खंडन करते हुए सारी कहानी बदल दी | उन्होंने कहा- “यह सही है कि मेरी बांह, पैर और लिगामेंट में चोट आई है | मैं चेस्ट पेन भी महससू कर रही हूं | मैं कार से लोगों का अभिवादन स्वीकार कर रही थी कि मेरा पैर कार के दरवाजे में आ गया | मुझे दवाएं दी गईं और कोलकाता लाया गया | मेरा इलाज चल रहा है |” फिर उन्होंने सहानुभूति बटोरने के लिए कहा-“मैं दो-तीन में वापस लौटूंगी, मेरी पैर की चोट एक समस्या है लेकिन मैं इस समस्या को मैनेज कर लूंगी , मैं इसका असर अपनी बैठकों पर नहीं पड़ने दे सकती लेकिन मुझे व्हीलचेयर पर रहना होगा, इसके लिए मुझे आपके समर्थन की जरूरत है |”
अब अंतिम खबर आ गई कि भारी भीड़ के कारण ममता की कार का ड्राईवर सडक के किनारे की गली के द्वार पर लगे दो लोहे के खम्भे नहीं देख पाया था , ममता जिस दरवाजे को खोल कर खडी थी , वह दरवाजा उस खम्भे से टकराया , दरवाजा अंदर की तरफ घुसा और ममता का पाँव दरवाजे में आकर टूट गया | आखिर वीडियो के कारण उन्हें सच बोलना पड़ा | दुर्घटना को साजिश बता कर ममता बेनर्जी ने खुद को झूठी साबित कर लिया
आपकी प्रतिक्रिया