अजय सेतिया / पश्चिम बंगाल की चुनावी जंग का अपन दिल्ली या भोपाल में बैठ कर अंदाज नहीं लगा सकते | टीवी चैनल अपन को जो दिखा रहे हैं , वह असल में अपन को दिखाने के एवज में सिर्फ विज्ञापन हथियाने का धंधा है | अपन मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा की रैलियों को लाईव देख कर अंदाज लगाते हैं कि बंगाल में बदलाव की हवा चल पड़ी है | भारतीय जनता पार्टी को बस अपने मुख्यमंत्री का ही चुनाव करना है | पर कई बार जो होता है , वह दिखता नहीं , जो दिखता है वह होता नहीं | वैसे यह अपन बंगाल के संदर्भ में नहीं कह रहे , जिंदगी में जो होता है , वह कह रहे हैं | क्योंकि दिल्ली , भोपाल या देश के किसी अन्य हिस्से में बैठ कर अपन बंगाल की जमीनी हकीकत का अंदाज इस लिए नहीं लगा सकते , क्योंकि अपन उत्तर भारतीय सिर्फ हिन्दी सुनते समझते हैं , ममता और उनकी टीम के जवाबी भाषण न तो अपन को उतने दिखाए जा रहे हैं , न अपन को समझ आते हैं | इसलिए अपन एक तरफा ही अनुमान लगा सकते हैं |
टीवी चेनलों ने अभी चुनावी सर्वेक्षणों का अपना खेल भी शुरू करना है , उस में भी शुरुआती रुझान भाजपा के पक्ष में आना है , फिर धीरे धीरे अपनी इज्जत बचाने के लिए सर्वेक्षण में उतार चढाव दिखाया जाएगा | शुरुआती तैयारी के तौर पर मीडिया के एक वर्ग ने ममता बेनर्जी को जमीन पर भाजपा से ज्यादा मजबूत बताना शुरू कर दिया है , ताकि बाद में कहा जा सके कि हम ने तो पहले ही कहा था |
यह कोई पहली बार नहीं है कि बंगाल में हिंसक चुनाव होगा , कांग्रेस के जमाने से ही हिंसा की शुरुआत हो गई थी | कांग्रेस ने कम्युनिस्टों को सत्ता में आने से रोकने के लिए हिंसा शुरू की थी , कम्यूनिस्टो ने कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस को सत्ता में आने से रोकने के लिए हिंसा शुरू की थी | और अब तृणमूल कांग्रेस भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए हिंसा का सहारा ले रही है | भाजपा के 135 कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है | नतीजतन केंद्र में सत्ताधारी भाजपा ने ममता का तख्त उखाड़ फैंकने के लिए सारी ताकत झोंक दी है | मोदी-शाह इसे अभी नहीं , तो कभी नहीं वाले अंदाज में लड रहे हैं | इसलिए भाषा की मर्यादाएं भी टूट रही हैं | भाजपा के नेता तृणमूल कांग्रेस को “तोलाबाज” (जबरी वसूली करने वाले) और “कोयला चोर” कह रहे हैं तो ममता बेनर्जी ने भी नरेंद्र मोदी को “दगाबाज” और “दैत्य” कह कर बदला ले लिया है |
बुधवार को हुगली में हुई रैली में ममता बेनर्जी ने कहा कि मोदी देश का सब से बड़ा दगाबाज है और उन का हाल डोनाल्ड ट्रंप से भी बुरा होगा | भारतीय जनता पार्टी ने केन्द्रीय जांच एजेंसियों सीबीआई और ईडी को सामने रख कर तृणमूल कांग्रेस पर गोल दागने शुरू कर दिए हैं तो ममता बेनर्जी ने एलान किया है कि वह भी गोलकीपर हैं , एक भी गोल नहीं होने देंगी | अपने भतीजे अभिषेक बेनर्जी की पत्नी रुजिरा और साली से कोयला घोटाले में पूछताछ के जवाब में उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार में हिम्मत है तो उन्हें गिरफ्तार कर के दिखाए | मंगलवार को जब सीबीआई पूछताछ करने अभिषेक बेनर्जी के घर गई थीं , तो उस से ठीक पहले ममता बेनर्जी खुद उन के घर पहुंच गई थीं | बुधवार को ममता बेनर्जी ने कहा कि आप मेरे घर की बहु बेटियों को कोयला चोर कहेंगे , लेकिन क्या आप में अपने घर की मां-बहनों को कोयला चोर कहने की हिम्मत है , आप दूध के धुले नहीं हैं | ममता ने जो इशारा किया है , उस से साफ़ है कि आने वाले दिनों में कीचड़ जम कर उछाला जाएगा |
अब अपन चुनावी समीकरणों को भी समझ लें | मोदी राज में ही 2016 में हुए पिछले चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को 211 , कांग्रेस-वाम गठबंधन को 76 सीटें मिलीं थी , जिनमें से 44 कांग्रेस की थी | तीन सीटें भाजपा को और तीन ही सीटें गोरखा मुक्ति जन मोर्चा को मिलीं थी | इस बार भी कांग्रेस-वाम गठबंधन हो रहा है | कांग्रेस ज्यादा उत्साहित नहीं है , वह वाम मोर्चे से गठबंधन के बावजूद पर्दे के पीछे से तृणमूल कांग्रेस की मदद करना चाहती है | जबकि वामपंथी पर्दे के पीछे से भाजपा की मदद करना चाहते हैं , उन्हें लगता है कि भाजपा की सरकार बनी तो बंगाल की राजनीति में उन का पुनरोदय हो सकता है, लेकिन अगर तृणमूल फिर जीत गई तो उन का पुनरोदय सम्भव नहीं | इस तरह वाम-कांग्रेस एक दूसरे को धोखा देते हुए भाजपा-तृणमूल की लड़ाई को आमने सामने की बनाए दे रहे हैं | इस से वाम-कांग्रेस दोनों का नुक्सान होगा ही , और उस नुक्सान का सीधा फायदा भाजपा को होगा | इस बीच दस साल की एंटी इन्केम्बेन्सी भी काम कर रही है , इसलिए तृणमूल कांग्रेस में भगदड़ मची है |
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