पेंगोंग समझौता और राहुल गांधी

Publsihed: 17.Feb.2021, 20:56

अजय सेतिया / कूटनीतिक और सामरिक मामलों में सब कुछ खोल कर नहीं कहा जाता , इस की वजह सामने वाले के कदमों का इंतजार करना होता है | अब ताजा खबर यह आई है कि चीन ने पैंगोंग त्सो झील के किनारे फिंगर पांच से पीछे हटना शुरू कर दिया है | समझौते  के अनुसार वह अब फिंगर आठ से आगे नहीं आएगा | कांग्रेस पार्टी के चीन सरकार के साथ हस्ताक्षरित समझौते के कारण राहुल गांधी भारत सरकार से ज्यादा चीन सरकार के नजदीक हैं, इसलिए उम्मींद की जाती थी कि उन्हें चीन से सही जानकारी मिली होगी | उन्होंने जब ट्विट कर के और बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर यह कहा कि भारत ने अपनी जमीन गवां दी है , तो अपने जैसे लोगों को भी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर शक पैदा हुआ कि वह देश को सच बता रहे हैं या नहीं |

राजनाथ सिंह के संसद में दिए गए बयान के बाद राहुल गांधी का कहना था कि भारत ने समझौते में अपनी जमीन खो दी है | उन का यह बयान मोदी विरोधी रक्षा पत्रकार अजय शुक्ला के ट्विट पर आधारित था , जिन का कहना है कि भारत ने फिंगर 3 से फिंगर 8 के बीच का दस किलोमीटर का क्षेत्र खो दिया है | राजनाथ सिंह के बयान में कहा गया था कि भारतीय सेना फिंगर 3 पर रहेंगी , जबकि चीन की पीपुल्स आर्मी फिंगर 8 पर रहेंगी | क्योंकि उन्होंने अपने बयान में कहा था कि जब तक दोनों तरफ से सहमति नहीं हो जाती दोनों सेनाएं फिंगर 3 से 8 के बीच पेट्रोलिंग नहीं करेंगीं | इस से यह आभास हो ही रहा था कि भारत का नुक्सान हुआ है , क्योंकि भारत 1962 की जंग में हार के बाद भी फिंगर 8 तक पेट्रोलिंग करता था , लेकिन अब उसे फिंगर 3 तक ही सीमित रहना पड़ेगा | इसी को आधार बना कर राहुल गांधी ने भारत को हारा हुआ बताना शुरू कर दिया |

अब अपन वस्तुस्थिति को समझें , एलएसी पैंगोंग त्सो झील  के बीच में से गुजरती है | उस के किनारे की पहाड़ियां आठ फिंगर बनाती हैं | यह भयंकर ठंड वाला क्षेत्र है , जहां आज फरवरी के महीने में भी शून्य से 20 डिग्री नीचे तापमान रहता है | अक्टूबर से जनवरी के बीच कई बार शून्य से 40 डिग्री नीचे तक तापमान होता है | भारतीय सेना फिंगर 1 पर रहती थी , लेकिन उस ने फिंगर 3 पर स्थाई चौकी बनाई हुई थी , पेट्रोलिंग फिंगर 8 तक करती थी | चीन की सेना 1962 के बाद से फिंगर 8 पर रहती थी , लेकिन वह फिंगर 4 तक पेट्रोलिंग करती थी | यानी फिंगर 4 से फिंगर 8 तक दोनों सेनाएं पेट्रोलिंग करती थीं | यहाँ से पेट्रोलिंग के समय दोनों सेनाएं अपने हाथों में बेनर लिए होती थीं , जिन में लिखा होता था कि यह उन का क्षेत्र है | यानी यह विवादास्पद क्षेत्र था | मजेदार बात यह है कि चीन ने फिंगर चार तक सडक बना ली थी और भारतीय सेना चीन की बनाई हुई सडक पर ही पेट्रोलिंग करती थी |

अब हुआ यह है कि दोनों देशों में रणनीतिक समझौता होने तक भारत और चीन की सेनाओं में फिंगर चार से फिंगर 8 तक पेट्रोलिंग नहीं करने का फैसला किया है , यानी अब यह नो-मेन-लैंड क्षेत्र हो गया है | राहुल गांधी और उन के राजनीतिक मेंटर अजय शुक्ला को यह बात पता ही नहीं थी कि बातचीत राजनीतिक या कूटनीतिक स्तर पर नहीं , बल्कि सैन्य स्तर पर हो रही थी | हर बात पर मोदी को घसीटने वाले राहुल गांधी को यह बात पचेगी नहीं कि बातचीत में कोई राजनीतिक दखल नहीं हुआ | जबकि आमतौर पर इस तरह के ऐतिहासिक फैसले राजनीतिक स्तर पर होते हैं | यह पहली बार हुआ है कि मोदी सरकार ने सीमा विवाद की बातचीत सेना पर छोड़ दी थी | उधर चीन सरकार ने भी ऐसा किया , उसने भी फैसला पीपुल्स आर्मी पर छोड़ दिया था |

गलवान घाटी की घटना के बाद भारत ने सैन्य दबाव बढा दिया था , पीपुल्स आर्मी को इस बार तनाव के चलते पूरी सर्दी में फिंगर चार –पांच के बीच रहना पड़ा , तो उस की हालत पतली हो गई थी, इसलिए वह फिंगर 8 पर लौटने को आसानी से राजी हुई  | अगर आने वाले कुछ घंटों में पीपुल्स आर्मी अपना सारा टीन-टप्पर उठा कर फिंगर 8 से पीछे हट जाती है , तो इस के बाद एलएसी के बाकी बचे विवादास्पद क्षेत्रों पर बातचीत शुरू होगी और अगर यही फार्मूला अपनाया गया तो विवादास्पद क्षेत्र को नो-मेन-लैंड बना कर हर साल होने वाली मुठभेड़ों को टाला जा सकता है | भारत चीन का व्यापारिक तनाव भी खत्म होगा और प्रतिबन्ध भी ढीले होंगे | अपन ने भारतीय राजनीति का वह दौर देखा है , जब विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी अतंर्राष्ट्रीय मुद्दों पर इंदिरा गांधी , राहुल गांधी और नरसिंहराव के साथ खड़े रहते थे | अपन राजनीति का यह दौर भी देख रहे हैं ,  जब विपक्ष के अपरिपक्व और राजनीतिक तौर पर हताश नेता कूटनीतिज्ञों और सेना का मनोबल गिराने में शर्म महसूस नहीं करते |

 

 

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