अजय सेतिया / अपन थोड़ा कन्फ्यूज हैं कि सामरिक मामलों के विशेषग्य ब्रह्म चेलानी से शुरू करें , रक्षा पत्रकार अजय शुक्ला से शुरू करें या चीन के विशेषग्य राहुल गांधी से शुरू करें | राहुल गांधी को अपन चीन का विशेषग्य इस लिए मानते हैं , क्योंकि उन्होंने अपनी पार्टी का चीन सरकार के साथ गोपनीय समझौता किया हुआ है | जिस की तस्वीरें तो सामने आ चुकी हैं, लेकिन कंटेंट सामने नहीं आया | अगर दस्तखत करने वाली तस्वीरें सामने नहीं आती तो ऐसे किसी समझौते से उसी तरह इनकार कर दिया जाता , जैसे चीन के राजदूत के साथ गुप्त मुलाक़ात से इनकार किया था | पर तस्वीर ने उस मुलाक़ात का भी भेद खोल दिया था | राहुल गांधी का अपना विजन तो साफ़ समझ आ जाता है , जब किसानों की बात हो रही होती है तो वह गुमसुम बैठे रहते हैं , जब चीन सीमा पर रक्षा मंत्री का बयान हो रहा होता है , तो वह गुमसुम बैठे रहते हैं | फिर अगले दिन जब खिलौने में चाबी भरी जाती है , तो बोलते हैं , यानी उन्हें कोई और बुला रहा होता है |
वह चौथी बार के सांसद हैं , पर कभी किसी बहस में हिस्सा नहीं लेते , जब बहस हो चुकी होती है , तो चीबी भरे जाने के बाद संसद के बाहर बोलते हैं , लेकिन संसद के अंदर नहीं बोल पाते | बजट के बाद बजट पर प्रतिक्रिया दी थी , पर संसद में बजट पर बहस हुई तो नहीं बोले | गुरूवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद के दोनों सदनों में पेंगोंग झील से भारत चीन की सेनाओं के पीछे हटने के समझौते की जानकारी दी थी | उस बयान पर तुरंत प्रतिक्रिया देना तो सम्भव ही नहीं था , अगले दिन शुक्रवार को जब संसद चल रही थी तो उन्होंने संसद में अपनी बात कहने की बजाए प्रेस को बुला कर वही बात कही , जो ब्रह्म चेलानी और अजय शुक्ला ने एक दिन पहले ही कह दी थी | राजनाथ सिंह ने जो तीन बड़ी बातें कही थी , जरा उन्हें याद कर लें | पहली बात यह थी कि दोनों सेनाएं , जो एक दुसरे के सामने आ कर खडी हो गई हैं , वे पीछे हटेंगी | दूसरी बात यह कि चीन अपनी सेना को पेंगोंग झील के फिंगर 8 के पूर्व में रखेगा और भारत फिंगर 3 पर अपनी स्थाई पोस्ट थनसिंह थापा पोस्ट पर रखेगा | तीसरी बात यह कि पेंगांग झील से डिसएंगेजमेंट के 48 घंटे बाद सीनियर कमांडर स्तर की बातचीत में बाकी बचे मुद्दों पर बातचीत होगी और झील के उत्तरी किनारे की तरह दक्षिणी किनारे पर भी डिसएंगेजमेंट होगा |
अजय शुक्ला तो खैर हमेशा चीन को भारत पर हावी और मोदी को कमजोर बताते रहते हैं , तो उन्होंने पूरे डिसएंगेजमेंट को झूठ बता दिया | चीन के मुद्दे पर राहुल गांधी शुरू से ही अजय शुक्ला के कहे को ब्रह्म वाक्य मानते रहे हैं | इस लिए शुक्रवार को जब राहुल गांधी ने फिंगर 3-4 के बीच की जमीन चीन को सौपने और चीन के सामने मत्था टेकने का आरोप लगाते हुए मोदी को महा डरपोक कहा तो वह अजय शुक्ला की ही भाषा थी | आप अजय शुक्ला का ट्विट पढ़ लेंगे तो आप को पूरा भरोसा हो जाएगा | राजनाथ सिंह के राज्यसभा में बयान के कुछ मिनट बाद ही अजय शुक्ला ने लिखा-“ पेंगोंग सेक्टर में सेनाओं के पीछे हटने को ले कर झूठ बोले जा रहे हैं , कुछ हथियारबंद गाड़ियों और टेंकों को पीछे लिया गया है , सेनिकों की पोजीशन में कोई बदलाव नहीं हुआ है | चीन को फिंगर 4 तक पेट्रोलिंग का अधिकार दे दिया गया है | इस का मतलब है कि एलएसी फिंगर 8 से फिंगर 4 पर शिफ्ट हो गई है |“ अब गुरूवार का ही दूसरा ट्विट पढिए "शुरुआत से ही, चीन की सेना का असल मक़सद पूर्वी लद्दाख में डेपसांग पर कब्ज़ा करना रहा है | डेपसांग के बारे में एक शब्द सुनने को नहीं मिला | मसलन, डेपसांग से पीछे हटने का चीनी सेना का कोई प्लान नहीं है | इसीलिए पेंगोंग पर शोर मचाया जा रहा है |"
राहुल गांधी ने शुक्रवार को हू-ब-हू वही बोला , जो अजय शुक्ला ने ट्विट में लिखा था , जबकि राजनाथ सिंह ने तीसरी बड़ी बात क्या कही थी | उन्होंने कहा था कि पेंगांग झील से डिसएंगेजमेंट के 48 घंटे बाद सीनियर कमांडर स्तर की बातचीत में बाकी बचे मुद्दों पर बातचीत होगी और झील के उत्तरी किनारे की तरह दक्षिणी किनारे पर भी डिसएंगेजमेंट होगा | काश राहुल गांधी लोकसभा में गुमसुम बैठने की बजाए राजनाथ सिंह को गौर से सुन लेते | सामरिक मामलों के विशेषग्य ब्रह्म चेलानी ने एक दिन पहले ही लिख दिया था , उसे ही पढ़ लेते - "चीन की सेना ने अपने बयान में सिर्फ़ पैंगोंग झील से पीछे हटने की बात कही है, जबकि चीन ने डेपसांग समेत कुछ अन्य सेक्टरों में भी अतिक्रमण किया है | इस इलाक़े को लेकर कमांडर स्तर की वार्ता होनी अभी बाकी है |" न तो चीन ने अपने बयान में डेपसांग का जिक्र किया था और न ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया | कूटनीतिक और सामरिक मामलों में शब्दों का बहुत मतलब होता है , उतनी ही बात कही जाती है , जितनी उपयोगी हो | डेपसांग पर बात होना अभी बाकी है और राहुल गांधी ने कह दिया कि डेपसांग चीन को दे दिया | शुक्रवार को केंद्र सरकार ने राहुल गांधी और अजय शुक्ला को कड़ी भाषा में जवाब दिया कि न तो पूर्वी लद्दाख में कोई भी जमीन छोड़ी है और न ही फिंगर 8 तक का दावा छोड़ा है | अलबत्ता भारत का दावा उस 43000 वर्ग किलोमीटर पर भी है , जिस पर 1962 की जंग के बाद उस ने अवैध कब्जा किया हुआ है |
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