अजय सेतिया / डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के नस्लवादी श्वेतों को हवा दे कर अश्वेतों को अपने खिलाफ कर लिया था | भारतीय न श्वेतों में आते हैं , न अश्वेतों में , लेकिन जो बाइडेन ने कमला देवी हैरिस को अपना उपराष्ट्रप्ति पद का उम्मीन्द्वार बना कर भारतीय मूल के अमेरिकियों को अपने पाले में कर लिया था | हालांकि बाइडेन की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति भारतीयों के अनुकूल नहीं है , फिर भी भारतीय मूल के हिन्दू वोटर उन के साथ जुड़ गए | बाइडेन की मुस्लिम तुष्टिकरण वाली नीति के कारण पाकिस्तान मूल के अमेरिकी मुस्लिम भी बाइडेन के पक्ष में आ गए | बाइडेन ने अपनी राजनीतिक चाल से एशियाई देशों के हिन्दुओं और मुसलमानों को अपने पक्ष में कर के ट्रंप को मात दे दी , जो मुस्लिम आतंकवाद के खिलाफ जंग लड रहे थे | बाइडेन ने शपथ के दौरान अपने भाषण में नस्लीय भेदभाव को खत्म करने की बात करते हुए कहा कि अमेरिका एक महान देश है और लोकतंत्र को मजबूत करते हुए अब एकता के साथ आगे बढ़ने का समय है |
बाइडेन ने बात तो नस्लीय भेदभाव खत्म करने की , लेकिन जैसा कि अपन ने लिखा था उन्होंने आग से खेलना शुरू कर दिया है | शपथ लेने के तुरंत बाद जिन 17 बड़े फैसलों पर दस्तखत किए हैं , उन में सब से बड़ा फैसला मुस्लिम देशों से लोगों के आगमन पर प्रतिबंध हटाना है | यह आगे जा कर अमेरिका के लिए आत्मघाती साबित होगा | 2015 से मुस्लिम शरणार्थियों को खुले मन से शरण देने वाले यूरोपिन देश खुद पर हुए सांस्कृतिक हमले को पहले से ही झेल रहे हैं | जर्मनी ने सब से पहले मुस्लिम शरणार्थियों को शरण देने की नीति अपनाई थी , लेकिन अब तक 15 लाख मुस्लिमों को शरण देने वाले जर्मनी में अब इस नीति का कडा विरोध हो रहा है , क्योंकि मुस्लिम शरणार्थी जर्मनियों पर अपनी संस्कृति लादना चाहते हैं | मस्जिदों से आने वाली अजानों से परेशान लोग अदालतों में जा कर उन्हें बंद करवाने की गुहार लगा रहे हैं | कई देशों की अदालतों ने अजानों पर प्रतिबंध लगाया है तो मुसलमानों ने अपने धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए आन्दोलन शुरू कर दिया है |
बाइडेन के मुस्लिमों सम्बन्धी फैसले की भारत के मीडिया में कोई चर्चा तक नहीं हो रही , क्योंकि भारत के बड़े मीडिया घरानों पर मुस्लिम परस्त सेक्यूलिस्तों का कब्जा है , लेकिन अमेरिका के मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया हुई है | ट्रंप अमेरिका में जिस श्वेत अश्वेत की खटास को छोड़ गए थे , बाइडेन ने उस में मुस्लिम-गैर मुस्लिम का तडका लगा दिया है | अमेरिका में बाइबल पर हाथ रख कर शपथ खाई जाती है और बाइडेन ने सवा सौ साल पुरानी बाइबल पर हाथ रख कर पद और गोपनीयता की शपथ ली है , लेकिन उन के पहले ही फैसले से ईसाईयों में रोष व्याप्त होने की आशंका है क्योंकि यूरोप की तरह अमेरिकन भी इसे भविष्य में होने वाले सांस्कृतिक हमले के रूप में देख रहे हैं | हालांकि बाइडेन समर्थक अमेरिकन मीडिया उन के इस फैसले की अनदेखी कर के जलवायु और डब्ल्यूएचओ सबंधी फैसले को ज्यादा तवज्जो दे रहा है |
भारतीय मीडिया में भी इस मुद्दे की अनदेखी कर के ग्लोबल वार्मिंग सबंधी ट्रंप का फैसला पलटने को अहमियत दी जा रही है | चीन के बाद अमेरिका दूसरा देश है जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार है , क्योंकि वह कार्बन उत्सर्जक के लिए जिम्मेदार है | लेकिन ट्रंप ने अपनी सनक के चलते अमेरिका को ग्लोबल वार्मिंग कम करने की जिम्मेदारी से बाहर कर लिया था | ग्लोबल वार्मिंग कम करने के लिए भारत समेत 195 देशों ने पैरिस समझौते पर दस्तखत किए हुए हैं | बाइडेन ने बुधवार को अपने पहले भाषण में इस का जिक्र करते हुए कहा था कि “ ग्रह खुद को बचाने की गुहार लगा रहा है ,यह गुहार पहले कभी इतनी हताशा भरी और स्पष्ट नहीं थी |” और शपथ ग्रहण करने के कुछ घंटे बाद ही उन्होंने ‘पेरिस जलवायु' समझौते में अमेरिका को फिर शामिल करने के लिए शासकीय आदेश पर दस्तखत कर के अपने बड़े चुनावी वादे को पूरा किया | इसी तरह कोरोनावायरस के मुद्दे पर चीन का बचाव करने वाले डब्ल्यूएचओ से बाहर निकलने वाले ट्रंप के फैसले को भी बदला गया है |
लेकिन अपन चर्चा कर रहे हैं उन के आत्मघाती फैसलों की , तो मैक्सिको के रास्ते से एशियाई मूल के मुसलमानों की अमेरिका में अवैध घुसपैठ रोकने के लिए बनाई जा रही दीवार के निर्माण को भी रोक दिया गया , और उस के जारी फंडिंग को भी तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है | अपना मानना है कि आने वाले समय में उन के इन दोनों आत्मघाती फैसलों के खिलाफ उबाल खड़ा होगा |
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