अजय सेतिया / भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने सुप्रीमकोर्ट की बनाई चार सदसीय कमेटी से इस्तीफा दे कर कांग्रेस के सुप्रीमकोर्ट को नीचा दिखाने वाले रूख को और साफ़ कर दिया | भूपिंदर सिंह मान ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का यह कहते हुए समर्थन किया था कि वह कृषि में पूजीनिवेश का रास्ता साफ़ करेगी , जो कि वक्त की जरूरत है | कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में मंडियों के क़ानून में बदलाव और कृषि में पूजी निवेश के लिए कांट्रेक्ट फार्मिंग का वायदा किया था | भूपिंदर सिंह पिछले 50 साल से किसानों की समस्याओं को लेकर आन्दोलन करते रहे हैं | सत्तर के दशक में जब किसान आत्महत्याएं कर रहे थे तो उन्होंने बाकायदा एक आन्दोलन शुरू कर के हजारों किसानों को अकाल तख्त के सामने ले गए थे , जहां उन्होंने सब से शपथ दिलाई थी कि संघर्ष करेंगे , आत्महत्या नहीं करेंगे | किसानों को फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए भारत पाकिस्तान में व्यापार खुलवाने के लिए उन्होंने वाघा बार्डर पर किसान मार्च भी करवाया था | वह मोदी सरकार की ओर से बनवाए गए उन दोनों कानूनों के पक्ष में हैं, जिन का कम्युनिस्ट , कांग्रेसी, अकाली और आम आदमी पार्टी के स्म्र्तक किसान विरोध कर रहे हैं | चौबीस घंटे के भीतर उन पर इतना मानसिक दबाव बनाया गया कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया |
सुप्रीमकोर्ट ने यह चार सदसीय कमेटी सरकार और किसानों में बीच बचाव के लिए नहीं बनाई है | सुप्रीमकोर्ट ने यह कमेटी इस लिए बनाई है ताकि वह किसानों से समझ कर सरकार को निर्देश दे सके | चीफ जस्टिस ने खा भी था कि कमेटी हम ने अपने लिए बनाई है , इसलिए भूपिंदर सिंह मान का इस्तीफा अफसोसनाक है , क्योंकि उन के अनुभव का फायदा मिलता | वैसे भी कमेटी कायम रही तो कमेटी के सामने क़ानून का समर्थन करने वाले ज्यादा किसान जाएंगे , क्योंकि पंजाब के पचास फीसदी, हरियाणा के 20-25 और यूपी के 10-15 फीसदी किसानों को छोड़ कर देश भर के किसान क़ानून का फायदा उठा कर अपनी आमदनी बढाने की सम्भावना ज्यादा देखते हैं | राजस्थान में हनुमान बेनीवाल का आन्दोलन पूरी तरह फेल हो गया और बाकी राज्यों में आन्दोलन हुआ ही नहीं |
लगता नहीं कि 26 जनवरी तक कोई समाधान निकलेगा , क्योंकि सरकार क़ानून वापस लेने के मूड में नहीं है | इसलिए आंदोलनकारियों की ट्रेक्टर परेड हो कर रहेगी और उन्हें परेड करने दी जानी चाहिए | बस यही दुआ करनी चाहिए कि किसान खालिस्तानियों के बहकावे में आ कर कहीं हिंसा न करें | अपन को समाधान की सम्भावना इस लिए भी नहीं दिखती , क्योंकि कम्युनिस्ट समाधान होने नहीं देंगे | पंजाब के कम्युनिस्ट किसान लीडरों ने पहले दिन ही कह दिया था कि वे छ महीने का राशन ले कर आए हैं | दिल्ली के बार्डरों पर जा कर देखा जा सकता है , नेशनल हाईवे हू-ब-हू शाहीन बाग़ की तरह एक तरफ से घिरा हुआ है | सरकार किसानों को समझा कर अपने पाले में लाने में नाकाम रही है | किसानों को कम्युनिस्टों के चंगुल से निकालने के लिए सरकार अब राहत का नया पॅकेज ले कर आने की तैयारी कर रही है | इस पॅकेज की घोषणा पहली फरवरी को बजट में हो सकती है , या उस से पहले भी | यह योजना पीएम किसान योजना के सभी लाभार्थियों को निर्धारित समय में किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) देने की है |
केसीसी की सुविधा से किसानों को कृषि कार्य से जुड़े कर्ज आसानी से कम ब्याज दर पर मिलने लगेंगे | केसीसी के तहत कृषि एवं इनसे जुड़े कार्यों पर मिलने वाले तीन लाख रुपये तक के कर्ज पर ब्याज दर में दो फीसद की छूट मिलती है | समय पर कर्ज का भुगतान करने पर ब्याज दरों में अतिरिक्त छूट का भी लाभ भी मिलता है | फिलहाल पीएम-किसान से 11.5 करोड़ किसान जुड़े हुए हैं, लेकिन देश में केसीसी की सुविधा सिर्फ 6.5 करोड़ किसानों के पास हैं | सरकार की इस घोषणा के बाद बाकी बचे पांच करोड़ किसान भी इस योजना का फायदा उठा सकेंगे | इन बचे हुए किसानों के पास अपनी खुद की जमीन भुत कम है , वे दूसरों की जमीन पर खेती कर के गुजारा करते हैं , लेकिन उन के पास क्रेडिट कार्ड नहीं | पीएम किसान स्कीम के तहत सरकार किसानों के खाते में सीधे तौर पर पैसे देती है | उनका सारा रिकॉर्ड सरकार के पास पहले से उपलब्ध होने की वजह से बैंकों को इन सभी किसानों को केसीसी देने में कोई दिक्कत नहीं आएगी | सरकार बजट में इन छोटे व सीमांत किसानों को कृषि के अलावा अन्य प्रकार के कार्य में मदद के लिए भी फंड की घोषणा कर सकती है |
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