अजय सेतिया / कांग्रेस के पूर्व और भविष्य अध्यक्ष राहुल गांधी का जवाब नहीं | वह इटली के एयर कंडीशन कमरे बैठे दिल्ली बार्डर पर ठिठुर रहे किसानों की चिंता में दुबले हुए जा रहे हैं | उन्होंने ट्विट में लिखा है कि मोदी ट्रेक्टर रैली से डर गए हैं | सुप्रीमकोर्ट की ओर से बनाई गई चार सदस्यीय कमेटी पर राहुल गांधी ने लिखा है-“ कृषि-विरोधी कानूनों का लिखित समर्थन करने वाले व्यक्तियों से न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती | यह लड़ाई किसान विरोधी कानूनों के खत्म होने तक जारी रहेगी | ” अब इस से जाहिर होता है कि अमरेन्द्र सिंह ने राहुल गांधी के इशारे पर ही पंजाब के किसानों को भडका कर दिल्ली भेजा है | क्योंकि किसानों ने तो उन्हें अपना प्रवक्ता बनाया नहीं कि वह किसानों की ओर से एलान करें कि उन की लड़ाई तीनों क़ानून वापस लिए जाने तक जारी रहेगी |
और जिन कमेटी सदस्यों को वह कानूनों का समर्थक बता रहे हैं , उनमें से दो तो मनमोहन सिंह सरकार में ही कृषि विशेषग्य के तौर पर बड़े पदों पर रहे हैं और एक कांग्रेसी है | सब से पहले अपन भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह मान की बात करते हैं , वह उसी पंजाब के बटाला शहर से आते हैं , जहां के किसान दिल्ली के बार्डर पर बैठे हैं , 80 साल के भूपेन्द्र सिंह 1970 से कृषि को लाभकारी बनाने और किसानों का जीवन खुशहाल करने के लिए विभिन्न आंदोलनों का नेतृत्व कर चुके हैं | 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा और कांग्रेस के घोषणापत्रों की तुलना करने के बाद कांग्रेस को समर्थन देने का एलान किया था और कांग्रेस के समर्थन में किसानों को लामबंद किया था | भूपिंदर सिंह मान को किसानों के संघर्ष में योगदान के लिए 1990 में राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया था | .
कमेटी के दूसरे सदस्य डा.प्रमोद जोशी ने गोबिंद वल्लभ पन्त कृषि विश्व विद्यालय से कृषि में ग्रेजुएशन करने के बाद कृषि में ही एमएससी , पीएचडी की और सारी जिंदगी कृषि और कृषकों के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में काम किया | 2006 में मनमोहन सिंह सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय कृषि आर्थिकी और नीति अनुसन्धान केंद्र का निदेशक बनाया था, 2009 में कृषि अनुसन्धान प्रबन्धन अकादमी का निदेशक नियुक्त किया था , इस के बाद मनमोहन सिंह सरकार ने ही उन्हें 2012 में अंतर्राष्ट्रीय फ़ूड पालिसी अनुसन्धान संस्थान में दक्षिण एशिया का निदेशक नियुक्त किया था |
कमेटी के तीसरे सदस्य अशोक गुलाटी विश्व प्रसिद्ध कृषि अर्थशास्त्री हैं | मनमोहन सिंह सरकार में कृषि लागत एंव मूल्य आयोग के अध्यक्ष रहे गुलाटी को श्रेय जाता है कि उन्होंने इस पद पर रहते हुए सरकार को 17 रिपोर्टें प्रस्तुत की थीं | उन्हें 2015 में पद्मश्री मिला था , वह अब तक 13 किताबें लिख चुके हैं | कमेटी के चौथे सदस्य महाराष्ट्र की सब से बड़ी किसान यूनियन शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल धनवंत हैं | चार सदस्यों में दो खुद किसान और किसान संगठनों के ऐसे नेता हैं , जो लम्बे अरसे से किसानों के लिए संघर्ष कर रहे हैं | बाकी दो विशेषग्य तो हैं ही , कांग्रेस सरकारों के समय कृषि से सम्बन्धित सरकारी प्राधिकरणों में प्रमुख पदों पर तैनात किए गए थे | और राहुल गांधी उन्हें मोदी का एजेंट बताने की कोशिश करते हुए कहते हैं कि वे चारों कृषि कानूनों के समर्थक हैं , वह भूल गए हैं कि 2019 में कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र में भी इन्हीं कानूनों का वायदा किया गया था |
कांग्रेस आज कल कर क्या रही है , उस की बानगी देखिए | पाक पर सर्जिकल स्ट्राईक करने वाली भारतीय सेना खारिज , क़ानून बनाने वाली भारतीय संसद खारिज , चुनाव करवाने वाला चुनाव आयोग खारिज , वोटिंग मशीन खारिज, कोरोनावायरस की टिका बनाने वाले भारतीय वैज्ञानिक खारिज , अब सुप्रीमकोर्ट भी खारिज | चीन लद्दाख में घुस आए तो चीन की भाषा , पाक सर्जिकल स्ट्राईक को फर्जी बताए तो पाक की भाषा , खालिस्तानी गणतन्त्र दिवस पर ट्रेक्टर रैली का आह्वान करे तो उस का समर्थन | अमेरिका से “सिख फार जस्टिस “ ने ट्रेक्टर रैली का समर्थन करते हुए दो दिन पहले एलान किया है कि जो सिख गणतन्त्र दिवस के मौके पर इंडिया गेट पर खालिस्तान का झंडा फहराएगा उसे अमेरिका में राजनीतिक शरण दिलाएंगे और ढाई लाख डालर का नगद इनाम देंगे |
कांग्रेस को चाहिए था कि खालिस्तान का समर्थन करने वालों की ओर से ट्रेक्टर रैली का आह्वान किए जाने के बाद वह पीछे हटती , लेकिन गणतन्त्र दिवस पर ट्रेक्टर रैली का समर्थन कर देने के बाद अब बस खालिस्तान का समर्थन करना ही रह गया है | राहुल गांधी भूल रहे हैं कि भिंडरावाला को खड़ा कर के उन की दादी ने मौत हासिल की थी |
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