ट्रेनों में रद्द रियायतें कभी बहाल होंगी क्या

Publsihed: 18.Dec.2020, 21:25

अजय सेतिया / कोरोनाकाल में आम जनता की आमदनी पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है | इसी लिए वितमंत्री ने कई तरह की राहतों का एलान किया था | लोगों की गाडी अभी भी पटरी पर नहीं आई है , देश भर के उद्धोग धंधे अभी भी चौपट पड़े हैं , क्योंकि लोग सिर्फ जिंदगी जरूरियात की चीजें ही खरीद रहे हैं , हिन्दू त्योहारों दशहरा, दिवाली गुरुपूर्ब के दिनों में भी बाज़ार सूने पड़े रहे थे | अब क्रिसमस के मौके पर भी सभी बड़ी कम्पनियां रिकार्ड तोड़ रियार्तों की घोषणा कर रही हैं , लेकिन ग्राहक मार्केट में कहीं दिखाई नहीं दे रहा | अंबानी के जिओ मार्ट ने भी 50-60 प्रतिशत तक कम दाम पर ग्रासरी की सेल का विज्ञापन दिया है | जूते बनाने वाली कम्पनियां 70 फीसदी कम पर जूते बेचने का विज्ञापन दे रही हैं , क्योंकि उन का माल डम्प हो गया है , वैसे इस से यह भी साबित होता है कि असली कीमत एमआरपी का 30 प्रतिशत ही होती है , 70 फीसदी मुनाफ़ा होता है |

जब सरकार फेक्ट्री में बनने वाले माल का 70 फीसदी तक मुनाफ़ा कमाने की छूट देती है , तो किसानों को उन के उत्पादन की लागत भी क्यों नहीं देती | सरकार को आखिर कुछ तो हल निकालना चाहिए कि किसान से 2 रूपए किलो में लिया गया आलू मार्केट में 6-7 रूपए से ज्यादा कीमत पर न बीके , किसान के उत्पादन की भी तो एमआरपी होनी चाहिए | ऐसा क्यों है कि फेक्ट्री में बनने वाले सामान की एमआरपी ( मेक्सीमम रिटेल प्राईस ) और खेत में उत्पादित होने वाले सामान की एमएसपी ( मिनिमम सपोर्ट प्राईस ) | अगर मूल प्राईस और अधिकतम प्राईस तय हो जाएगा , तभी पता चलेगा कि फेक्ट्री मालिक कहाँ खड़ा है और किसान कहाँ खड़ा है |

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में किसानों से गुफ्तगू के बाद शुक्रवार को मध्य प्रदेश में किसानों से बात की , प्रधानमंत्री की इस बात में तो दम है कि सभी राजनीतिक दलों के पुराने घोषणापत्रों , उनके पुराने बयानों को देखें तो वे भी इसी तरह के सुधारों की बात करते रहे हैं , जो मोदी सरकार ने किए हैं | मोदी का दावा है कि उन्होंने स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट बाहर निकाला और उसकी सिफारिशें लागू कीं, किसानों को लागत का डेढ़ गुना एमएसपी दिया | मोदी की बात सिर माथे , पर वह यह भी तो जांच करवाएं कि किसानों का कुल उत्पादन कितना हुआ और उस में से कितना उत्पादन एमएसपी पर बिका | वह भी जांच करवाएं कि उपभोक्ता को वह सामान बिचौलियों को कितने मुनाफे के बाद मिला | किसानों का शोषण हुआ या नहीं |

खैर मोदी सरकार और सुप्रीमकोर्ट अभी किसानों के आन्दोलन से जूझ रही हैं | लेकिन कोरोनाकाल में सिर्फ किसान ही प्रभावित नहीं हुए हैं , देश का हर नागरिक प्रभावित हुआ है | एक तरफ सारा देश आर्थिक तंगी से जूझ रहा है , वित्त मंत्री पैकेजों का एलान कर रही हैं , तो दूसरी ओर बैंक के बयाज़ से बुढापा काटने की उम्मींद लगा कर बैठा बुजुर्ग दो वक्त की रोटी के लिए जूझ रहा है , क्योंकि बैंको ने एफडी पर ब्याज 7.5 प्रतिशत से घटा कर 5.5 प्रतिशत कर दिया है | ऐसे समय में जब आम नागरिकों को मिलने वाली राहतें जारी रहनी चाहिए थी , रेलवे ने सारी राहतें वापस ले ली हैं , सीनियर सीटीजन को रेल टिकट पर मिलने वाली रियायत भी वापस से ली गई है | वरिष्ठ नागरिकों के साथ ही कुल तीस श्रेणियों में मिलने वाली रियायत अब बीती बात हो गई है |

अनलाक होने के बाद भी पहली जून से चलने वाली 200 मेल व एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेनों में सफर करने वालों को रियायत नहीं मिल रही | ऐसा लगता है कि जैसे कोरोना के बहाने संसद के सेंट्रल हाल से पत्रकारों को बाहर किया गया , वैसे ही उन को ट्रेनों में सफर के समय मिलने वाली रियायत भी वापस ले ली गई | सिर्फ सीनियर सीटीजन और पत्रकार क्यों किसानों, दूधियों, सेंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड, भारत सेवा दल, रिसर्च स्कॉलर्स, पदक विजेता शिक्षकों, सर्वोदय समाज, स्काउट-गाइड, वॉर विडो, आर्टिस्ट व खिलाड़ियों सहित 30 से ज्यादा कैटेगरी के लोगों को टिकटों पर मिलने वाली छूट हमेशा के लिए बंद कर दी गई है | और जिस तरह अनलाक के बावजूद ट्रेनें नहीं चलाई जा रहीं उस से आशंका पैदा हो रही है कि सारी रियायतें बंद कर के ट्रेनों को मुनाफे का सौदा बनाने के लिए प्राईवेट हाथों में सौंपने की पूरी तैयारी हो चुकी है | पर सवाल यह है कि क्या सार्वजनिक यातायात को व्यापार बनाना चाहिए |

 

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