अजय सेतिया / गुरूवार को भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा के काफिले पर हुए हमले के बाद शुक्रवार के अपने कालम में अपन ने लिखा था कि पश्चिम बंगाल में अब राष्ट्रपति शासन की जरूरत है | केंद्र सरकार ने शुक्रवार शाम को ही राज्यपाल जगदीप धनखड से क़ानून व्यवस्था पर रिपोर्ट मांग ली थी , अपनी नियुक्ति के समय से ममता बेनर्जी का फूहडपन झेल रहे राज्यपाल ने तुरत फुरत करीब 15 पेज की विस्तृत रिपोर्ट भेज भी दी | चन्द्र शेखर सरकार में मंत्री रहे जगदीप धनखड़ सुप्रीमकोर्ट के धाकड़ वकील रहे हैं | वह मेधावी छात्र थे, आईआईटी, एनडीए और आईएएस तक की परीक्षाएं पास करने के बावजूद उन्होंने वकालत को चुना था | अपन उन्हें कोई 20 साल से जानते हैं और उन की कार्यशैली भी जानते हैं , पिछले साल जब उन की नियुक्ति हुई थी , अपन ने तभी कहा था कि ममता बेनर्जी से निपटने के लिए उन से बेहतर राज्यपाल और कोई नहीं हो सकता था | हालांकि अपनी फितरत के विपरीत उन्होंने पिछले डेढ़ साल में ममता और ममता के गुंडेनुमा कार्यकर्ताओं के अलावा वामपंथी गुंडों के हाथों भी अपमान का घूँट पिया है |
कोई एतराज कर सकता है कि अपन ने ममता को फूहड़ और गुंडों की सरगना बता कर चुनी हुई मुख्यमंत्री के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया है | बेशक , अपन को करना पड़ा , जब संवैधानिक पद पर बैठ कर ममता बेनर्जी केंद्र सरकार में मंत्री रहे माननीय सांसद और देश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के लिए “चड्डा, नड्डा, फड्डा,भड्डा “ कह सकती हैं , तो उन के लिए किसी मर्यादा का ख्याल क्यूं रखना | ममता बेनर्जी की इस अमर्यादित टिप्पणी पर राज्यपाल धनखड़ भी बेहद व्यथित हैं , केंद्र को अपनी रिपोर्ट भेजने के बाद शुक्रवार को राज्यपाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की | ममता की बेहूदा भाषा पर अफ़सोस जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि वह तो दंग रह गए कि कोई मुख्यमंत्री किसी राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष के लिए इस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर सकती हैं | ममता बनर्जी को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें संविधान का पालन करना होगा | राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति लंबे समय से लगातार बिगड़ रही है |
सत्ता ममता के हाथ से खिसक रही है , वह इस बात के लिए बेहद परेशान है कि भाजपा के कार्यकर्ता चुनावी तैयारियों के सिलसिले में देश भर से बंगाल पहुंच रहे हैं | वैसे यह कोई पहली बार नहीं हो रहा और सिर्फ भाजपा नहीं कर रही | प्रादेशिक विधानसभाओं के चुनावों में कांग्रेस , भाजपा और वामपंथियों समेत सभी राष्ट्रीय पार्टियां हमेशा से दूसरे राज्यों के अपने कार्यकर्ताओं की चुनाव ड्यूटी लगाती रही है | लेकिन ममता उन्हें बाहरी बता कर अपने कार्यकर्ताओं को उन के खिलाफ हिंसा करने के लिए उकसा रही हैं | राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से सवाल करते हुए कहा, 'राज्य में कौन बाहरी है, उनका इससे क्या मतलब है ? किसी भी भारतीय नागरिक को बाहरी कहना संविधान का अपमान है | संविधान में हम भारत के नागरिक शब्द का इस्तेमाल हुआ है , बाहरवाला, अंदरवाला कहना एक खतरनाक खेल है , ममता संविधान के हिसाब से काम करें |'
राष्ट्रपति राज की सिफारिश का इशारा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि " मुख्यमंत्री अपने रास्ते से भटकेंगी तो भारत के संविधान की रक्षा की मेरी भूमिका शुरू हो जाएगी | मैंने केंद्र को अपनी रिपोर्ट भेज दी है , लेकिन उस का मजमून नहीं बता सकता | "यह बात सही है कि वह मजमून नहीं बता सकते क्योंकि चुनाव से पहले बंगाल में राष्ट्रपति राज लगाने का फैसला केंद्र सरकार को नफा नुकसान देख कर करना है और किसान आन्दोलन के चलते मोदी – शाह जल्दबाजी नहीं करेंगे | गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यपाल की रिपोर्ट मिलते ही जैसे मुख्यसचिव और डीजीपी को दिल्ली तलब किया है , उस से साफ़ है कि केंद्र राज्यपाल धनखड़ की तरह जल्दबाजी में नहीं है | हांलांकि ममता ने दोनों को दिल्ली जाने से मना कर के केंद्र से संवैधानिक टकराव का मन बना लिया है । धनखड़ ने अपनी रिपोर्ट में मुख्यसचिव और डीजीपी पर आरोप लगाया है कि ये दोनों अधिकारी टीएमसी के कार्यकर्ताओं की तरह काम कर रहे हैं | इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने 21 अफसरों की लिस्ट बना रखी है , राष्ट्रपति राज लगते ही उन की खैर नहीं |
ख़ास बात यह है कि गुरूवार सुबह ही राज्यपाल धनखड़ ने मुख्य सचिव और डीजीपी को फोन कर के कह दिया था कि देश के सब से बड़े राजनीतिक दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगाल में हैं , तो उन की सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाने चाहिए , राज्य में जैसे आए दिनों राजनीतिक हिंसा की घटनाएं हो रही हैं , उन की सुरक्षा में कहीं कोई चूक न हो जाए | इस के बावजूद यह घटना हो गई , भारतीय प्रशासनिक सेवा के इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ राज्यपाल के पास कई तरह के पुख्ता सबूत हैं | डीजीपी तो ममता बेनर्जी की शह पा कर संवैधानिक मर्यादाओं की धज्जियां उड़ाते हुए अपने ट्विटर हेंडल पर राज्यपाल के खिलाफ टिप्पणियाँ करते रहे हैं , जिन का उल्लेख राज्यपाल ने अपनी शुक्रवार की प्रेस कांफ्रेंस में भी किया | अब उन का दिल्ली आने से इन्कार केंद्र राज्य मे नया टकराव खड़ा करेगा । मीडिया इसे किस रूप में लेता है , धनखड़ ने मीडिया की चुप्पी पर भी उन्हें खरी खरी सुनाई |
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