अजय सेतिया / यह बात अकसर सामने आती रही है कि बाल मजदूरी और बाल यौन शोषण में सरकारी अधिकारी , कर्मचारी ज्यादा शामिल रहते हैं | यहाँ तक कि चाइल्ड ट्रेफिकिंग भी सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से होती है | हाल ही में उत्तराखंड में एक सिविल जज चाइल्ड लेबर में पकड़ी गई और सरकार ने उसे बर्खास्त किया है | इस से पहले जब मैं उत्तराखंड बाल अधिकार सरंक्षण आयोग का अध्यक्ष था तो एक इंजीनियर के घर में बाल मजदूर पाया गया था | आयोग के आदेशों के बावजूद देहरादून की पुलिस ने इंजीनियर को बचाने की कोशिश की थी | जब मैंने एसएसपी को तलब किया तो पुलिस भी घुटनों पर आ गई थी | उस समय बाल मजदूरी का क़ानून इतना सख्त नहीं था , जितना मोदी सरकार ने बना दिया है | फिर भी इंजीनियर से 20 हजार रूपए जुर्माने की वसूली और बच्चे को उस के घर भिजवाने का सारा खर्चा वसूल किया गया था |
इसी तरह बाल मजदूरों के यौन शोषण के मामलों में भी सरकारी अधिकारी बड़ी मात्रा में शामिल होते हैं | पुलिस अपराधियों को बचाने और निरपराधों को गिरफ्तार करने के लिए बदनाम ऐसे ही नहीं है | छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में एक शादी के दौरान एक नाबालिग आदिवासी लड़की के साथ सात लोगों ने बलात्कार किया था, तीन महीने पहले अगस्त में उसने खुदकुशी कर ली लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया | पिछले महीने चार अक्टूबर को बच्ची के पिता ने भी जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की तब जाकर मामला दर्ज हुआ |
अभी 9 अक्टूबर को गुजरात के बड़ोदरा में बच्ची के साथ यौन शोषण का मामला तब प्रकाश में आया , जब क्लास रूम में बच्चियों को “गुड टच बेड टच” के बारे में समझाया जा रहा था , ताकि वे बदमाशों से सावधान रहें | तभी क्लास में बैठी एक बच्ची रोने लगी | पूछने पर उसने टीचर को अपने साथ हुई घटना की जानकारी दी | फिर इस घटना की जानकारी पुलिस को दी गई, जिसके बाद रजनीकांत महतो नाम के शख्स को गिरफ्तार किया गया | जांच में पता चला कि उस ने कई अन्य बच्चियों का भी यौन शोषण किया है |
इसी साल जुलाई में भोपाल में उर्दू का अखबार हिन्दी में चलाने वाले प्यारे मियाँ को बच्चियों के साथ यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था | 68 साल के प्यारे मियां पर आरोप है कि उस ने कई नाबालिग लड़कियों का बलात्कार किया | आरोप तो यह भी है कि वह नाबालिग बच्चियों का सेक्स रैकेट चला रहा था |
बिहार के मुजफ्फरपुर में एक बालिका गृह में 34 बच्चियों के यौन शोषण के मामले में बालगृह के करता धर्ता बृजेश ठाकुर के साथ वहां की महिला मंत्री मंजू वर्मा का पति भी शामिल पाया गया था | मंजू वर्मा ने कहा था कि अगर उन का पति जिम्मेदार पाया गया तो वह राजनीति से सन्यास ले लेंगी | यह कह कर वह खुद अंडरग्राऊंड हो गई थी , आखिर दुनिया भर में थू थू के बाद नीतीश कुमार ने दस दिन बाद उसे बर्खास्त कर दिया था | जांच अभी चल रही है , वह खुद जमानत पर है , इसी विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने उसे फिर टिकट दिया गया , पर जनता अब ऐसे लोगों को माफ़ नहीं करती | मंजू वर्मा जो 2010 और 2015 का चुनाव 70 हजार के अंतर से जीती थी , वह 40 हजार से ज्यादा वोटों से हारी |
इसी तरह का एक मामला अब उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में सामने आया है | सीबीआइ की टीम ने 50 से अधिक बच्चों- बच्चियों के यौन शोषण मामले में सिंचाईं विभाग के एक जूयिनर इंजीनियर राजभवन को गिरफ्तार किया है | वह पिछले दस साल से मासूमों को अपने जाल में फंसा कर यह कुकृत्य कर रहा था | रिश्वतखोर भी खूब था , छापेमारी में उस के घर से आठ लाख रुपया नकद, 12 मोबाइल फोन, लैपटॉप, वेब-कैमरा और इलेक्ट्रॉनिक स्टोरेज डिवाइस जिनमें पेन ड्राइव, मेमोरी कार्ड और कई यौन टॉय मिले हैं | वह ऑनलाइन यौन पोनोग्राफ वीडियो और फोटोग्राफ की बिक्री भी करता था | पोक्सो एक्ट की धारा 14(2) के अनुसार पोनोग्राफी में पुलिस अधिकारी / स्कूलकर्मी / अस्पताल कर्मी शामिल होते हैं तो उन के लिए उम्र कैद का प्रावधान हैं | इसी तरह कोई पुलिस कर्मी , सैनिक , अर्धसैनिक , जनसेवक, रिमांड होम का स्टाफ , जेल , अस्पताल या स्कूलकर्मी बच्चों का यौन शोषण करते हैं तो उन के लिए भी धारा 6 में उम्र कैद का प्रावधान है , लेकिन चित्रकूट का यह मामला सामने आने के बाद अब यह जरूरी हो गया है कि पोक्सों में संशोधन करके स्पष्ट प्रावधान किया जाए कि बच्चों का किसी तरह का भी शोषण करने वाले सभी विभागों के सरकारी कर्मचारियों की तुरंत बर्खास्तगी , रिटायरमेंट के बाद सारे लाभों से वंचित किए जाने और उम्र कैद का प्रावधान किया जाना चाहिए |
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