अजय सेतिया / कश्मीर से 370 हटाने के लिए चीन से मदद मांगने वाले फारूक अब्दुल्ला के घर पर बृहस्पतिवार को हुई बैठक में सभी क्षेत्रीय पार्टियों के अलावा भारत में चीन की समर्थक कम्युनिस्ट पार्टी भी शामिल हुई | यह अच्छा संकेत है कि लद्दाख सीमा पर चीन से तनाव के मुद्दे पर देश को हतोत्साहित करने वाले बयान देने वाली कांग्रेस ने इस बैठक में शिरकत नहीं की | अभिषेक मनु सिंघवी ने अगर सोनिया गांधी के इशारे पर इस बाबत ट्विट नहीं किया था तो उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व को सही रास्ता दिखा कर सद्बुद्धि दी थी जिस का असर कांग्रेस के फारुक अब्दुल्ला की बुलाई बैठक में शामिल नहीं होने से दिखा |
दिल्ली के राजनीतिक हलकों में एक सवाल गूँज रहा है कि क्या इसी सर्दियों में चीन भारत पर हमला कर सकता है | अमेरिकी गुप्तचर एजेंसियां इस का संकेत दे चुकी हैं | भारतीय गुप्तचर एजेंसियों को भी यह अंदेशा डोकलाम विवाद के बाद से है , इस लिए मोदी सरकार ने पिछले एक साल में लद्दाख से ले कर अरुणांचल तक चीन से लगती सीमा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर सारा जोर लगा दिया है | अनेक सडकों और छोटे से ले कर बड़े दर्जनों पुलों का निर्माण किया गया है , 44 पुलों का शिलान्यास तो इसी हफ्ते रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने किया | जल्दबाजी में लद्दाख को केंद्र शासित कर दिया गया और लद्दाख तक सडक मार्ग से जल्दी पहुंचने के लिए पहले से निर्माणाधीन चल रही अटल सुरंग का भी शिलान्यास हो गया है |
हालांकि बुधवार की भारत चीन वार्ता में चीन ने दोनों तरफ की सेना को पीछे हटाने का प्रस्ताव दे कर पीछे हटने का संकेत दिया है , लेकिन चीन पर कतई भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि जून में भी उस ने पीछे हटने का वादा नहीं निभाया था | चीन इस समय इस लिए घबराया हुआ है कि भारतीय चीन लद्दाख में ऊँची चोटियों पर मोर्चेबंदी कर चुकी है लगभग उतनी ही फ़ौज तैनात कर चुकी है , जितनी चीन ने की हुई है | इस लिए बुधवार को राजनाथ सिंह ने उच्च स्तरीय बैठक में चीन के प्रस्ताव की समीक्षा की | हालांकि भारत की कम्युनिस्ट पार्टी और कम्युनिस्ट-चीन समर्थक भारतीय मीडिया कर्मी नहीं मानते , लेकिन सच यह है कि चीन 15 जून को 40 से ज्यादा जवान कर भारतीय फ़ौज का जलवा देख चुका है , इस लिए उस की यह पेशकश रणनीतिक चालाकी हो सकती है , क्योंकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने सैनिकों से युद्ध की तैयारी पर फोकस करने को कहा है |
चाओझू सिटी में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के मेरीन कार्प्स के दौरे के दौरान जिनफिंग ने कहा कि सैनिकों को पूरी तरह वफादार और विश्वस्त होना चाहिए | शायद उन्होंने यह इस लिए कहा क्योंकि 15 जून को पीएलए के जवान गैर परम्परागत हथियारों से लैस होने के बावजूद दूम दबा कर भागे थे और उन में से कई तो भागते हुए नदी में गिर कर मरे थे | चीनी न्यूज एजेंसी सिन्हुआ ने खबर दी है कि शी ने सैनिकों को कहा कि उन्हें हाईअलर्ट पर रहना चाहिए...अपना दिमाग और ऊर्जा को युद्ध की तैयारी के लिए रखो | हालांकि भारतीय कम्युनिस्ट मीडिया ने गुमराह करने के लिए यह कहना शुरू कर दिया है कि शी का यह बयान अमेरिकी नौसेना के युद्धपोत के ताइवान जलडमरूमध्य से गुजरने से सम्बन्धित है | चीन दक्षिण चीन सागर के कुछ क्षेत्रों पर संप्रभुता का दावा करता रहा है,लेकिन वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस, ब्रुनई और ताइवान की ओर से भी जवाबी दावे किए गए हैं |
शी जिनपिंग के बयान की भारत अनदेखी नहीं कर सकता इसलिए भारत ने चीन को हर मसले पर मुहं तोड़ जवाब दिया है | एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा कि चीन के खिलाफ भारत की भी पूरी तैयारियां है | तो दूसरी तरफ लद्दाख को ले कर आए चीन के बयान पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने साफ साफ कहा है कि चीन को भारत के आंतरिक मसलों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं | रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से सीमावर्ती क्षेत्रों में 44 नए पुलों की एक श्रृंखला खोलने पर चीन ने कहा था कि मौजूदा समस्या की जड़ भारत का सीमा पर इंफ्रास्टरक्टर बनाना है , तो बृहस्पतिवार को भारत ने साफ कहा कि भारत अपने इलाके में कुछ भी करे , चीन को इस से क्या लेना देना
आपकी प्रतिक्रिया