अजय सेतिया / रिहा होने के बाद महबूबा मुफ्ती ने 370 पर वही स्टेंड लिया है , जो फारूक अब्दुल्ला का है , महबूबा ने ट्वीट कर कहा कि पिछले साल पांच अगस्त को लिया गया केंद्र का फैसला दिनदहाड़े लूट थी | हम उसे वापस पाकर रहेंगे | इस से खुश हो कर बुधवार को फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती के घर जा कर उन से मुलाक़ात की और 370 की बहाली के लिए राष्ट्रीय राजनीतिक दलों से समर्थन हासिल करने के लिए सम्पर्क करने की रणनीति बनाई | इस के अलावा आन्दोलन खड़ा करने पर भी विचार हुआ |
महबूबा की रिहाई से सिर्फ 48 घंटे पहले फारूक अब्दुल्ला ने बयान दिया था कि 370 की बहाली के लिए वे चीन से मदद लेंगे | ठीक उस के बाद चीन ने बयान दिया कि वह लद्दाख को भारत का केंद्र शासित क्षेत्र बनाने को उसी तरह मान्यता नहीं देता जैसे अरुणांचल प्रदेश को मान्यता नहीं देता | एक साथ आए इन दो बयानों से ऐसा लगता है कि फारूक अब्दुल्ला के चीन से तार जुड़े हुए हो सकते हैं | भारत की कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के चीन से तार जुड़े होने की बात तो जगजाहिर है | राहुल गांधी की चीन के राजदूत से गोपनीय मुलाकातें भी शुरू में नकारे जाने के बाद जगजाहिर हो चुकी हैं |
फारूक अब्दुल्ला के बयान पर भारत के राजनीतिक दलों को तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करनी चाहिए थी , लेकिन ऐसा नहीं हुआ | मीडिया में भी वैसी प्रतिक्रिया नहीं हुई जैसी होनी चाहिए थी | हाँ मीडिया के एक वर्ग में यह कह कर उन का बचाव करने की कोशिश करनी चाही है कि उन्हें बिना सोचे समझे और गैरजिम्मेदाराना बयान देने की आदत है | कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर कोई बयान जारी नहीं किया | 370 हटाए जाने का स्वागत करने वाले कांग्रेस के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं | तब से कांग्रेस का नेतृत्व 370 को लेकर भ्रमित है कि उसे क्या स्टेंड लेना चाहिए , लेकिन फारूक के बयान के मुद्दे पर खुद को घिरे हुए भी नहीं दिखना चाहती इसलिए अभिषेक मनु सिंघवी से फारूक के खिलाफ ट्विट करवाया गया | जिस में उन्होंने 370 पर स्पष्ट राय रखने से बचते हुए लिखा कि राजनीतिक विचारधारा, मतभेद, मनभेद सब अपनी जगह हैं , लेकिन उस वक्त जब चीन हमारी सरहदों पर नापाक इरादों के साथ तैनात है, तब फारूक अब्दुल्ला का चीन के पक्ष में बयान न केवल बेहद गैर जिम्मेदाराना है बल्कि निंदनीय भी |
लेकिन 370 हटाए जाने का स्वागत करने वाले कांग्रेस से किनारे कर दिए गए जम्मू कश्मीर के पूर्व सद्र-ए-रियासत डाक्टर कर्ण सिंह ने फारूक अब्दुल्ला के बयान की कड़ी निंदा करते हुए आने वाले खतरे से भी आगाह किया है | कर्ण सिंह ने कहा कि इस तरह की टिप्पणियां केंद्रशासित प्रदेश की जनता को वास्तविकता से दूर उम्मीदें पैदा करने के लिए उकसाएंगी जो देश के हित में नहीं है | यहाँ कर्ण सिंह के कहने का मतलब यह है कि घाटी के पाक समर्थक विद्रोही मुसलमान पाकिस्तान के अलावा चीन की ओर भी देख कर आज़ाद कश्मीर के सपने देखने लग सकते हैं , जो देश के हित में नहीं है | इस तरह कर्ण सिंह ने वही लाईन ली है , जो भाजपा ने ली है कि फारूक अब्दुल्ला का बयान देशद्रोह की श्रेणी में आता है |
अब जबकि महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला और उम्र अब्दुल्ला ने संसद में 370 हटाए जाने का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों से सम्पर्क साधने का फैसला किया है तो अब भारत के सभी राजनीतिक दलों को अपनी स्थिति साफ़ करनी चाहिए कि वे कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने वाली 370 हटाने और लद्दाख को अलग केंद्र शासित क्षेत्र बनाए जाने का समर्थन करते हैं या नहीं | यह सवाल अब इस लिए अहम हो गया है क्योंकि चीन ने लद्दाख पर दावा ठोकने के लिए उसे भारत का केंद्र शासित क्षेत्र बनाने का विरोध किया और विपक्ष ने भी संसद में विरोध किया था |
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