विदेशी अखबार राहुल का अंतिम सहारा 

Publsihed: 16.Aug.2020, 21:02

अजय सेतिया / राहुल गांधी की राजनीति आज कल विदेशी अखबारों और विदेशी नेताओं से मिले फीडबैक के आधार पर ट्विट से चल रही है | भारत में न तो मीडिया उन्हें कोई भाव दे रहा है , न जनता कोई भाव दे रही है , और न ही खुद उन की पार्टी के क्षेत्रीय नेता अब उन को कोई भाव देते हैं | खैर अपन बात कर रहे थे राहुल गांधी के विदेशी फीडबैक पर आधारित ट्विटो की , तो चीन के साथ विवाद के समय उन के सारे ट्विट चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स से हासिल होते थे | राहुल गांधी के समर्थक मीडिया ने भी ग्लोबल टाइम्स को अपनी खबरों का स्रोत बनाया हुआ था | राहुल गांधी की यह मीडिया टीम अभी भी ताल ठोक कर कह रही है कि चीनी सेना फिंगर चार पर मौजूद है |

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी पर फब्तियां कसना और कोई भाव देना बिलकुल छोड़ दिया है , पन्द्रह अगस्त को लालकिले की प्राचीर से भी उन्होंने लद्दाख में भारतीय सेना के शौर्य की तारीफ़ के पुल बांधे , यानी सरकार राहुल गांधी की उस रिपोर्ट को नकारती है कि चीन फिंगर चार पर मौजूद है | अपन यह नहीं कहते कि राहुल गांधी चीन के हाथों में खेल रहे होंगे , जैसे कि रविशंकर प्रसाद कई बार कह चुके हैं , लेकिन उन की कुछ जानकारियाँ सही भी हो सकती हैं क्योंकि उन्होंने अपनी पार्टी का चीन सरकार के साथ गोपनीय समझौता साइन किया था | जिस पर हाल ही में सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस ने हैरानी प्रकट करते हुए कहा है कि कोई राजनीतिक दल किसी विदेशी सरकार के साथ कोई एमओयू कैसे साईन कर सकता है |

अब ताज़ा घटना वाल स्ट्रीट जनरल की इतवार के अखबार में छपी एक खबर की है | अपन जानते हैं कि तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से भाजपा विधायक टी.राजा वह व्यक्ति हैं , जो हिन्दुओं के खिलाफ जहर उगलने वाले असादुद्दीन ओवैसी और उन के छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी को खुली चुनौती देने की हिम्मत रखते हैं | दोनों ओवैसी भाई भारत में साम्प्रदायिक तनाव बढाने के लिए मशहूर हैं | जहां लगभग सारे मुस्लिम नेताओं ने रामजन्मभूमि पर सुप्रीमकोर्ट के फैसले को स्वीकार करने का मन बना लिया था , सिर्फ ओवैसी की नफरत की राजनीति के दबाव में आ कर मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड पुनर्विचार के लिए सुप्रीमकोर्ट में गया था |

ओवैसी भाई अभी भी रामजन्मभूमि पर सुप्रीमकोर्ट के फैसले को मानने को तैयार नहीं | अकबरुद्दीन ने एक बार भारत को चुनौती दी थी कि वह 15 मिनट के लिए अपनी पुलिस हटा ले , फिर देखो मुसलमान हिन्दुओं का क्या हाल करते हैं | पिछले हफ्ते कर्नाटक में हुई हिंसा के पीछे भी इन्हीं दोनों भाईयों के भडकाऊ भाषणों को जिम्मेदार माना जा रहा है | इन दोनों भाईयों की साम्प्रदायिक राजनीति को चुनौती देने वाले टी.राजा विधान सभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे , उस से पहले वह तेलुगु देशम पार्टी के सदस्य थे | वह सोशल मीडिया पर और सार्वजनिक भाषणों में इन्हीं दोनों भाईयों की साम्प्रदायिक राजनीति को उन्हीं की भाषा में चुनौती दे रहे हैं |

इतवार के वाल स्ट्रीट जनरल ने फेसबुक के पूर्व कर्मचारी को अपना स्रोत बताते हुए खबर लिखी कि फेसबुक नफरत फैलाने वाले भारतीय राजनीतिज्ञ को जानबूझ कर प्रतिबंधित नहीं कर रही , क्योंकि उसे डर है कि ऐसा करने से भारत में उस का बिजनेस प्रभावित होगा | जबकि मार्च महीने में फेसबुक जांच टीम ने सिफारिश की थी कि भाजपा के विधायक टी. राजा को फेसबुक पर प्रतिबंधित किया जाना चाहिए |

राहुल गांधी ने वाल स्ट्रीट जनरल की इस खबर को ढाल बनाते हुए भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस पर निशाना साधा कि उस ने अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से फेसबुक और ट्विटर पर कब्जा किया हुआ है और इन के माध्यम से झूठी खबरें फैलाते हैं | भारतीय मीडिया जमीनी हकीकत जानता है , इस लिए राहुल गांधी का दर्द यह है कि भारतीय मीडिया उन की अनदेखी करता है | वाल स्ट्रीट जनरल और कुछ अन्य अमेरिकी अखबार भाजपा के खिलाफ ढूंढ कर खबरें छाप कर भारत के कम्युनिस्टों और कांग्रेसियों को मसाला देते रहते हैं इसलिए वह कभी ग्लोबल टाइम्स की तारीफ़ करते हैं तो कभी वाल स्ट्रीट जनरल की , उन की नजर में भारतीय मीडिया या तो डरा हुआ है या बिका हुआ है |  

 

 

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