तबलीगी मरकज क्या माब लिंचिंग से कम था

Publsihed: 15.Apr.2020, 20:40

अजय सेतिया / भारत अगर सच में सेक्यूलर देश होता तो कोरोनावायरस के दौरान तबलीगी जमात के मुखिया मौलाना साद ने जिस तरह सामाजिक जिम्मेदारी की धज्जियां उड़ाईं , उस की चहुँ ओर निंदा होती , लेकिन पिछले छह साल से माब लिंचिंग और असहिष्युन्ता का आरोप लगाने वाले पता नहीं कहाँ गायब हो गए | शाहीन बाग़ के मंच से नागरिकता संशोधन क़ानून को भारतीय मुसलमानों के खिलाफ बताने वाले पढ़े लिखे किसी मणि शंकर अय्यर , सलमान खुर्शीद या कपिल सिब्बल का निंदा करने वाला बयान नहीं आया | किसी सीता राम येचुरी , डी .राजा , वृंदा करात का कोई बयान नहीं आया | कम्युनिस्ट पार्टी की आल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेन एसोसिएशन की सुभाषिनी अली का बयान भी नहीं आया , जो शाहीन बाग़ में संविधान और सेक्यूलरिज्म की बड़ी बड़ी बातें कर रहीं थी | नसीरुद्दीन शाह, नंदिता दास , फरहान अख्तर , स्वरा भास्कर , रोमिला थापर में से भी किसी का बयान नहीं आया |

इन का सेक्यूलरिज्म , लोकतंत्र , आज़ादी और मानवाधिकार सिर्फ लोगों को सरकार के खिलाफ बहकाने के लिए है | अलबत्ता दबी जुबान से और कई बार तो झेंपते हुए टीवी चेनलों पर यह जरुर कहते हुए दिखाई दिए कि चीन , अमेरिका, इटली , फ्रांस और स्पेन में क्या तबलीगी जमात ने कोरोना वायरस फैलाया है | लेकिन भारत के सच को दुनिया के उदाहरण दे कर ढका तो नहीं जा सकता | भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय का यह सार्वजनिक बयान है कि तबलीगी जमात वाली घटना नहीं होती , तो भारत में कोरोना वायरस को शुरू में ही कंट्रोल किया जा सकता था | अब भी देश में जितने नए मामले आ रहे हैं , वे सभी तबलीगी जमात से जुड़े हैं |

जयपुर के रामगंज और उत्तराखंड के उदाहरण इसे साबित करने के लिए काफी हैं | मंगलवार रात तक उत्तराखंड में कोरोना वायरस के 28 सक्रिय मामले थे , वे सभी के सभी तबलीगी जमात से जुड़े थे | राजस्थान , जहां मुख्यमंत्री ने तबलिगियों का आंकडा छुपाने का फैसला किया था , अब कोरोना वायरस से पीड़ितों में देश में चौथे नम्बर पर आ गया है , 2687 के साथ महाराष्ट्र अव्वल, 1561 के साथ दिल्ली दुसरे नम्बर पर , 1204 के साथ तमिलनाडू तीसरे और 1100 के साथ राजस्थान चौथे नम्बर पर है | और जयपुर के जिस रामगंज में सब से ज्यादा कोरोना वायरस पीड़ित पाए जा रहे हैं , वह मुस्लिम इलाका है |

बजाए इस के कि सच को सामने लाया जाता , सेक्यूलरिज्म और दुनिया भर का उदाहरण दे कर सच को दबाने की ही कोशिशें नहीं हो रही , कांग्रेस के एक बहुत बड़े नेता ने मुझे व्हाट्सएप पर एक मेसेज भेजा , जिस में मुरैना के आईएएस अधिकारी , लन्दन से वापस आए आगरा के एमबीबीएस डाक्टर के बेटे , टोरंटो से वापिस आई लखनऊ की डाक्टर और मध्य प्रदेश की स्वास्थ्य सचिव का उदाहरण दे कर कहा गया है कि तबलीगियों को क्यों बदनाम किया जा रहा है , कोरोना वायरस तो हिन्दू भी फैला रहे हैं | अपन यहाँ इन सब का बचाव नहीं करना चाहते , लेकिन ये सब केस अनजाने वाले हैं , जबकि तबलीगी जमात का मुखिया मोलाना साद तो मरकज़ में भाषण दे कर कह रहा है कि सरकारी आदेशों का पालन न करें यह मुसलमानों को ईमान से गिराने की साजिश है |

दिल्ली सरकार ने 16 मार्च को 50 से ज्यादा लोगों के इक्कठे नहीं होने पर रोक लगाई थी , तब तबलीगी मरकज भी चल रही थी , शाहीन बाग़ का धरना भी चल रहा था | दोनों ने कोई पर्वाह नहीं की , ऊपर जिन जिन नेताओं और राजनीतिक दलों का जिक्र है , क्या उन्होंने उन्हें एक भी अपील जारी की थी | निजामुदीन पुलिस ने तो 19 मार्च को ही मोलाना साद को तीन बार फोन कर के बुलाया और मरकज खाली करने को कहा था ,लेकिन वह थाने नहीं गए | हिन्दुस्तान में कोई आम नागरिक पुलिस थाने से आए फोन की अनदेखी कर सकता है ? जो खुद को क़ानून से ऊपर समझते हैं , और भारत में जगह जगह मिनी पाकिस्तान बनाए हुए हैं ,वही ऐसी हिम्मत कर सकते हैं , और कर रहे हैं | कांग्रेस और कम्यूनिस्ट उन की हर राष्ट्र विरोधी गतिविधि में उन साथ देते हैं |

जमात के अमीर मौलाना मोहम्मद साद समेत 17 लोगों पर अब गैर-इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया है | तबलीगी मरकज क्या माब लिंचिंग से कम था | मरकज की जैसे जैसे जांच हो रही है , नए तथ्य सामने आ रहे हैं , जो 72 साल से चल रही गैर कानूनी हरकतों से पर्दा हटा रही है | हर साल हजारों मुसलमान पयर्टन वीजा ले कर भारत आते थे और तबलीगी गतिविधियों में लग जाते थे , पुलिस ने वीजा नियमों का उल्लंघन करने वाले 1900 जमातियों को लुकआउट नोटिस जारी किया गया है |

 

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