अजय सेतिया / क़ानून अपना काम करता दिखे तो उस की तारीफ़ की जानी चाहिए , लेकिन जहां दिखावा तो काम का हो और वास्तव में किया कुछ न जाए तो आक्रोश पनपना स्वाभाविक भी है | दिल्ली की इनेक बस्तियों में जहां तीन मंजिल बनाने की इजाजत है , बीते कुछ सालों में पांच पांच मंजिल बन गई हैं , यह कोई प्रसाशन की अनदेखी से नहीं हुआ , बल्कि प्रसाशन की देख रेख में हुआ | नगर निगम में रेट बंधा हुआ है , अफसर आँख मूंदने का तीन लाख रुपए लेते हैं | फिर वह दिल्ली पुलिस और बाकी अमले में बंटता है , इस बीच कोई फोन पर रिकार्डिड या लिखित में शिकायत कर दे तो नगर निगम के कर्मचारी आ कर तोड़ जाते हैं , फिर नए सिरे से सौदेबाजी होती है और काम फिर शुरू हो जाता है | सब अंधे हैं,किसी को पांच मंजिला अवैध निर्माण नहीं दिखते |
अब यह खबर आई है कि तबलीगी जमात की इमारत का नक्शा सिर्फ दो मंजिल का पास है और बनी हुई हैं सात मंजिलें , तो कहाँ है क़ानून का राज | रिश्वत खाने वाले कभी गिरफ्तार नहीं होते , वही गिरफ्तार होते हैं , जो गिरफ्तारी से बचने के लिए रिश्वत का हिस्सा नहीं देते | अवैध निर्माण के लिए दक्षिण दिल्ली का रेट सब से ज्यादा है | तबलीगी जमात की इमारत को खाली करवाने में जैसे मोदी सरकार और केजरीवाल सरकार की घिग्गी बंधी हुई थी , उस से यह कतई नहीं लगता कि दिल्ली नगर निगम तबलीगी जमात की बिल्डिंग की पांच अवैध मंजिलें तोड़ सकेगी | वास्तव में यह एक मस्जिद थी , फिर इस में मदरसा बनाया गया और धीरे धीरे 70 फीसदी अवैध निर्माण कर के हजारों लोगों के रहने का इंतजाम कर दिया गया |
अब दक्षिणी दिल्ली नगर निगम इस इमारत के तमाम दस्तावेजों को चेक कर रहा है | बताया यह जा रहा है कि इस इमारत के अवैध निर्माण को तोड़ने की कागजी कार्रवाई शुरू हो चुकी है | अब आप समझ सकते हैं कि बताया क्यों जाता है , बताया इस लिए जाता है , ताकि तोड़फोड़ से पहले अदालत से स्टे लेने का पर्याप्त समय दे दिया जाए | फिर अदालत में तारीख दर तारीख | दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन राजपाल सिंह का कहना है कि मरकज़ की फ़ाइल उन्होंने मंगवाई है,जल्दी ही इस पर कार्रवाई होगी |
दिल्ली की तीनों नगर निगम भाजपा के नियन्त्रण में हैं | पश्चिम दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा पिछले कई सालों से मांग कर रहे है कि उन के निर्वाचन क्षेत्र में पिछले कई सालों में पार्कों पर कब्जे कर के मस्जिदें बन गई हैं , लेकिन भाजपा की ही नगर पालिकाएं कोई कदम नहीं उठा रही | सड़क किनारे या सड़क के बीचों बीच या फिर पार्क में, सार्वजनिक भूमि पर, हर जगह अवैध मंदिर, मस्जिदें और मजारें बनी हैं | हालांकि सार्वजनिक स्थलों को खाली करवाने के सम्बन्ध में सुप्रीमकोर्ट का निदेश भी है | दिल्ली के कनाट प्लेस , बाबा खडक सिंह मार्ग में मस्जिदे रास्ता तक रोकती हैं | टीएन शेषण जैसा दबंग मुख्य चुनाव आयुक्त भी चुनाव आयोग मुख्यालय के सामने बनी मजार को नहीं हटवा पाए थे , उन के बाद तो मजार का दायरा और बढ़ गया |
जब छोटे छोटे मुल्लाओं से नगर निगम के चेयरमैन इतना डरते हैं तो दक्षिण दिल्ली की स्टेंडिंग कमेटी के चेयरमैन राजपाल सिंह की क्या हैसियत है कि दिल्ली पुलिस को बेचारगी की हालत में ला कर खड़ा करने वाले मौल्लाना साद की इमारत पर हाथ डाल सकें | सोशल मीडिया पर हिन्दोस्तान के निजाम को चुनौती देने वाला एक वीडियो चल रहा है जिस में धमकी दी जा रही है कि मोल्लाना साद के खिलाफ दाखिल की गई ऍफ़आईआर रद्द नहीं की गई तो भारत नतीजे भुगतेगा | मोल्लाना साद को भिंडरावाला बताने की कोशिश हो रही है , तो क्या मोदी खुद को इंदिरा गांधी साबित कर सकेंगे |
तबलीगी जमात की इमारत पर की गई कार्रवाई के खिलाफ जेएनयू में भी धमकी भरे पोस्टर लगे हैं , जहां दिल्ली पुलिस बिना वीसी की इजाजत से घुस भी नहीं सकती | हालांकि देश में ऐसा कोई क़ानून नहीं है , जो पुलिस को विश्व विद्यालय , कालेज या किसी धर्म स्थल में जाने से रोकता हो , अलबत्ता सीआरपीसी की धारा 46,47,100, 165,166 बाकायदा पुलिस को सर्च करने और गिरफ्तारी करने तक के अधिकार देती है , लेकिन हम ने जामिया मिल्लिया में पुलिस के घुसने पर सवाल उठते देखे हैं और निजामुद्दीन में हफ्ता भर पुलिस और प्रसाशन की लाचारी देखी है |
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