अजय सेतिया / अपन ने कल ही लिखा था कि कमल नाथ बहुमत साबित नहीं करेंगे , अलबत्ता स्पीकर कोरोना वायरस का बहाना बना कर सदन स्थगित कर देंगे | वही हुआ | कमल नाथ ने राज्यपाल के बहुमत साबित करने के निर्देश देने के अधिकार को ही चुनौती दे दी | राज्यपाल को भेजी गई अपनी छह पेज की चिठ्ठी में उन्होंने अरुणांचल प्रदेश के एक मामले में सुप्रीमकोर्ट के फैसले का जिक्र किया | इस फैसले में सुप्रीमकोर्ट ने कहा था कि -“ हमारे मत में राज्यपाल और विधानसभा के बीच का सम्बन्ध सन्देश भेजने के मामले में उसी हद तक सीमित है जिस हद तक मंत्रिपरिषद उचित समझे | “ कमल नाथ ने इस का अर्थ यह बताया है कि राज्यपाल विधानसभा को बहुमत साबित करने का सन्देश अपनी मर्जी से नहीं भेज सकते , अगर मंत्रिमंडल उन्हें ऐसा करने की सलाह दे , अभी वह ऐसा कर सकते हैं | है ना हास्यस्पद दलील |
ऐसा नहीं लगता कि बहुमत साबित करने के लिए कहने के राज्यपाल के अधिकार को चुनौती देने की सलाह कमल नाथ को अभिषेक मनु सिंघवी ने दी होगी | यह सलाह या तो विवेक तनखा ने दी होगी या कपिल सिब्बल ने | अभिषेक मनु सिंघवी तो अब खुद ही पाला बदलने के इशारे दे रहे हैं , उन्होंने भाजपा आरएसएस के एजेंडे को आगे बढाते हुए जनसंख्या नियन्त्रण क़ानून बनाने का प्राईवेट मेम्बर बिल राज्यसभा में जमा करवाया हुआ है | शुक्रवार को वह जनसंख्या नियन्त्रण बिल पेश कर खुद का कांग्रेस में रहना मुश्किल बना लेंगे | कांग्रेस की निगाह में जनसंख्या नियन्त्रण क़ानून मुस्लिम विरोधी होगा |
राज्यपाल ने बहुमत साबित करने का एक और मौक़ा देते हुए उन्हें लिखी चिठ्ठी में कहा है कि सुप्रीमकोर्ट के जिस फैसले का उन्होंने जिक्र किया है , वह बहुमत के मामले में लागू नहीं होता | जब ज्योतिरादित्या सिंधिया खेमे के 22 विधायक इस्तीफा दे कर कोप भवन में जा बैठे थे तो भाजपा ने राज्यपाल से कहा था कि कमल नाथ सरकार बहुमत खो चुकी है | राज्यपाल ने 14 मार्च की रात को कमल नाथ को चिठ्ठी लिख कर 16 मार्च को बहुमत साबित करने को कहा था | उन्होंने एक चिठ्ठी स्पीकर को भी भेजी थी , जिस में उन के अभिभाषण के तुरंत बाद सदन में बहुमत साबित करने के लिए मतविभाजन करवाने को कहा था | संविधान के अनुच्छेद 175 (2) के अनुसार राज्यपाल स्पीकर के माध्यम से विधानसभा को संदेश भेजते हैं , जिसे स्पीकर सदन में पढ़ कर सुनाता है और उस के अनुसार अमल करता है | इस सम्बन्ध में नियम भी स्पष्ट है |
कमल नाथ और स्पीकर ने आपस में सांठ गाँठ कर के राज्यपाल के निर्देश की अवहेलना की | स्पीकर ने कार्यसूची में राज्यपाल की चिठ्ठी का उल्लेख ही नहीं किया था और कमल नाथ ने राज्यपाल को चिठ्ठी लिख कर कहा कि वह सदन को सीधे कोई संदेश ही नहीं भेज सकते | हालांकि राज्यपाल ने उन्हें भी 16 मार्च को बहुमत साबित करने की चिठ्ठी लिखी हुई थी | स्पष्ट था कि कमल नाथ के पास बहुमत नहीं है, इसी लिए उन्होंने राज्यपाल के सदन से विश्वासमत हासिल करने के निर्देश का पालन करने से आना-कानी की | स्पीकर ने उन की मदद करते हुए कोरोना वायरस का बहाना बना कर सदन को 26 मार्च तक स्थगित कर दिया | स्पीकर अपने अधिकारों का पूरी तरह बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं , उन्होंने सिंधिया खेमे के छह विधायकों का इस्तीफा तो मंजूर कर लिया , लेकिन बाकी 16 को पेश होने के लिए कह रहे हैं |
राज्यपाल चाहते तो अपने निर्देशों का पालन नहीं करने पर कमल नाथ सरकार को बर्खास्त करने की सिफारिश कर देते , भाजपा के 106 विधायक राज्यपाल के सामने पेश हो चुके हैं और सिंधिया खेमे के 16 विधायक भी राज्यपाल को ज्ञापन दे कर कह चुके हैं कि वे सरकार के साथ नहीं हैं | लेकिन राज्यपाल लालजी टंडन ने कमल नाथ की दलीलें खारिज करते हुए उन्हें एक मोहलत और दे दी है | उन्हें कहा गया है कि वह 17 मार्च तक बहुमत साबित करें | अब कमल नाथ चाहें तो सुप्रीमकोर्ट से और समय मांग सकते हैं , लेकिन वह बहुमत साबित करने के राज्यपाल के निर्देशों को गैर सवैधानिक या गैर कानूनी नहीं कह सकते , जैसा कि उन्होंने राज्यपाल को लिखी चिठ्ठी में कहा है | सुप्रीमकोर्ट अगर उन्हें ज्यादा समय नहीं देती तो मंगलवार उनकी सरकार का आख़िरी दिन है |
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