अजय सेतिया / सिंधिया परिवार का राजनीतिक सफर 1957 में कांग्रेस से ही शुरू हुआ था , जब जवाहर लाल नेहरु ने ज्योतिरादित्या सिंधिया की दादी विजया राजे सिंधिया को गुणा-शिवपुरी से लोकसभा टिकट दिया था | नेहरु के जमाने में राजमाता 1957 और 1962 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस टिकट पर ही जीती थीं | नेहरु की मौत के बाद जब 1967 आते आते जब कांग्रेस की बागडौर इंदिरा गांधी के हाथ में आ गई थी , तो राजमाता विजया राजे ने कांग्रेस छोड़ कर 1967 का लोकसभा चुनाव स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर जीता | लेकिन उन के गृह राज्य मध्य प्रदेश में जनसंघ बड़े दल के रूप में उभरा था इसलिए राजमाता विजया राजे ने स्वतंत्र पार्टी छोड़ जनसंघ ज्वाईन कर ली और कांग्रेस के 36 विधायक तोड़ कर डी.पी.मिश्रा सरकार गिरा दी थी | अब अपनी दादी की पार्टी भाजपा ज्वाईन कर के उन का पोता कांग्रेस के 22 विधायक तोड़ कर कमल नाथ की सरकार गिराने जा रहा है |
राज माता विजया राजे सिंधिया का बेटा और ज्योतिरादित्या के पिता माधव राव सिंधिया ने भी अपना पहला 1971 का चुनाव जनसंघ के टिकट पर जीता था | इंदिरा गांधी ने जब 1975 में आपात काल लगाया तो विजया राजे सिंधिया को गिरफ्तार कर लिया गया था , माधव राव सिंधिया अपने ससुराल नेपाल में अंदर ग्राऊंड हो गए थे | इंदिरा गांधी ने ग्वालियर राजघराने के महल को बुरी तरह खुदवा डाला था , राज घराने की जमीनों पर कब्जा कर मकान बनाने के लिए प्लाटों के पट्टे बाँट दिए थे | माधव राव सिंधिया को संदेश भेजा गया था कि वह अपनी मां का साथ छोड़ दे , नेपाल के राज परिवार के माध्यम से इंदिरा गांधी से समझौता हुआ और माधव राव ने जनसंघ छोड़ दी , हालांकि कांग्रेस ज्वाईन नहीं की | आपातकाल हटने के बाद माधवराव ने 1978 का चुनाव निर्दलीय के तौर पर लड कर जीता , क्योंकि जनता पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था |
1979 आते आते जनता पार्टी दोहरी सदस्यता के नाम पर टूट गई और 15 जुलाई 1979 को मोरारजी देसाई की सरकार भी गिर गई | मोरारजी की सरकार गिरा कर समाजवादियों ने कांग्रेस की मदद से चरण सिंह की सरकार बनवाई , लेकिन वह सिर्फ 28 दिन ही चली और देश को मध्यावधि चुनावों का सामना करना पड़ा | उधर माधव राव सिंधिया का उन की माँ के साथ प्रापर्टी के स्वामित्व का झगड़ा शुरू हो गया था , इस के चलते माधव राव ने 1979 में कांग्रेस की सदस्यता ले ली थी , इसलिए 1980 का लोकसभा चुनाव उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लडा | उन की माँ राजमाता विजया राजे सिंधिया बाद में भारतीय जनता पार्टी की संस्थापक सदस्य बनी | माधव राव सिंधिया की दोनों बहनें वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे तब से भाजपा में हैं | वसुंधरा राजे केंद्र की वाजपेयी सरकार में मंत्री और दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं , जब कि यशोधरा राजे मध्यप्रदेश में मंत्री रह चुकी हैं |
माधव राव सिंधिया ने 1980 , 1984 , 1989 , 1991 का चुनाव कांग्रेस की टिकट पर लडा ,लेकिन 1996 में हवाला डायरी में नाम आने के कारण जब नरसिंह राव ने उन्हें मंत्री होने के बावजूद कांग्रेस टिकट नहीं दिया तो मध्यप्रदेश विकास पार्टी का गठन कर के चुनाव लडा और सांसद बने | एच.डी.देवेगौडा की जनता दल सेक्यूलर सरकार को माधव राव सिंधिया का भी समर्थन था | बाद में 1998 में जब सीता राम केसरी को हटा कर सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनी तो वह कांग्रेस में लोट आए | 2000 में माधव राव सिंधिया राजनीति में इतने उभर चुके थे कि उन्हें भविष्य का प्रधानमंत्री माना जा रहा था , लेकिन दिसम्बर 2001 में एक विमान दुर्घटना में उनकी मौत हो गई |
1989 में जबलपुर हाईकोर्ट के एक फैसले के कारण अर्जुन सिंह को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था , तब विधायकों का बहुमत सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में था , लेकिन अर्जुन सिंह ने उन का रास्ता रोक कर मोती लाल वोरा को मुख्यमंत्री बनवा दिया था | इस बार जब 2018 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद उन के बेटे ज्योतिरादित्या को मुख्यमंत्री के तौर पर देखा जा रहा था ,तो अर्जुन सिंह लाबी के दिग्विजय सिंह और कमल नाथ ने उन का रास्ता रोक कर उन्हें राजनीति के बियाबान में छोड़ दिया , लेकिन कांग्रेस छोड़ने का जो साहस उन के पिता माधव राव नहीं दिखा पाए थे, वह उन्होंने दिखाया और अब अपनी दादी की पार्टी भाजपा में शामिल हो गए हैं |
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