राजनीति में जो दिखता है, होता नहीं। जो होता है, वह दिखता नहीं। शरद पवार जब बोले- 'सपा की सरकार में शामिल होने में दिलचस्पी नहीं।' तो अपन असलियत समझ गए। मुलायम-अमर की उतावली समझ आ गई। इसीलिए तो बुधवार को अमर-मुलायम पीएम से मिलेंगे। पर अमर-मुलायम से ज्यादा उतावली तो शिबू सोरेन को। सरकार जब संकट में थी। तो सोनिया ने वादा किया था। सो अब शिबू ने सोनिया को याद कराया।
शिबू को भी लोकसभा ज्यादा चलती नहीं दिखती। सो शिबू का अब मंत्री के बजाए मुख्यमंत्री बनवाने का दबाव। संकट टले एक पखवाड़ा बीत गया। पर मनमोहन के सामने नए संकटों का अंबार। अमरनाथ श्राइन बोर्ड जमीन ने गुलामनबी सरकार की बलि ले ली। पर आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा। सोनिया-मनमोहन पहले बीजेपी पर हमले करते रहे। अब मदद की गुहार लगाने लगे। पर बीजेपी माफ करने के मूड में नहीं। सो मनमोहन ने बुधवार को आल पार्टी मीटिंग बुला ली। पर मीटिंग से कोई हल नहीं निकलना। मनमोहन के सामने दूसरा संकट खरीद-फरोख्त के आरोपों का। जांच कमेटी की रपट आए। तो शपथ ग्रहण करवाएं। मनमोहन का पहले शपथ ग्रहण का इरादा नहीं। अमर सिंह पर ही तो खरीद-फरोख्त का मामला। अपने किशोर चंद्र देव सीडी की खामियां ढूंढने में जुट गए। फैसला किशोर चंद्र ही करेंगे। बाकी तो तीन-तीन मेंबर बराबर हो जाएंगे। सो मुलायम-अमर का कांग्रेस पर दबाव। पर मुलायम-अमर कांग्रेस के बदले रुख से खफा। सो लालू-पासवान से दबाव बनवाया। अब सपा खेमे में नई आरोपबाजी- 'जेटली-अहमद में गुटर-पुटर हो गई। इसीलिए जेटली अब अहमद पटेल का नाम नहीं ले रहे।' असल में इसकी कहानी दूसरी। सुनते हैं, स्पीकर को चैनल से पूरी सीडी नहीं पहुंची। पर बीजेपी के पास पहुंच चुकी। अपन ने सोमवार को इशारा किया ही था। स्पीकर को मिली सीडी में अमर सिंह के घर सांसदों के घुसने का विजुअल गायब। सो सीडी की सांप-सीढ़ी अभी और होगी। बीजेपी को जांच कमेटी पर ज्यादा भरोसा नहीं। बीजेपी को बोफोर्स मामले की जांच रपट याद। तब बी. शंकरानंद कमेटी के अध्यक्ष थे। बीजेपी ने जांच रपट का बायकाट किया था। अपन को लगता है- इतिहास दोहराया जाएगा। जैसा अपन ने कल लिखा- जेटली अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। सीडी के टूटे तार अदालत में जुड़ेंगे। जेटली बता रहे थे- 'मैं जेएमएम कांड पर अदालती फैसले से सहमत नहीं। पर यह मामला उससे अलग। मामले का संसद की कार्यवाही से ताल्लुक नहीं। सो जेएमएम खरीद-फरोख्त से पुख्ता मामला।' अब बात सीडी में कमजोर कड़ी की। तो सीडी में कहीं अमर सिंह नहीं। पर रेवती रमन सिंह तो हैं। जो तीनों सांसदों को कह रहे हैं- 'चलो, बात करवा देता हूं। दस मिनट में फैसला हो जाएगा। पैसे की बात आमने-सामने हो जाएगी।' किससे बात करवाना चाहते थे रेवती रमन। कौन है- संजीव सक्सेना। वह तो सीडी में है। वह कहां से लाया था एक करोड़ रुपया। जो अपने घर के लिए लोन ले रहा हो। वह एक करोड़ रुपया कहां से लाएगा। संजीव को अमर सिंह का आदमी साबित करने के हजार सबूत। आधा दर्जन तो मार्किट में आ चुके। इन सबूतों से अमर सिंह के चेहरे की हवाईयां उड़ी हुई हैं। किशोर चंद्र देव की अदालत प्रभावित हो भी गई। तो सुप्रीम कोर्ट में बहुत मुश्किल होगी। मनमोहन चुनाव में इस मुद्दे पर घिरे बिना नहीं बचेंगे। पर बात मंत्री पद की। अमर सिंह इंतजार करने को तैयार नहीं। चुनावों की घंटी कभी भी बज सकती है। कांग्रेस तैयारियों में जुट चुकी। उधर सितंबर में एटमी करार पर अमेरिकी कांग्रेस की मुहर लगेगी। इधर चुनावों की घंटी बजेगी। सो सपा मंत्री पद को उतावली।
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