अजय सेतिया / जनता दलयू से निकाले जाने के बाद प्रशांत किशोर नया ठिकाना ढूंढ रहे हैं | दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्होंने अरविन्द केजरीवाल को एक दो टोटके दिए होंगे , लेकिन वह जीत का श्रेय खुद लेने लग गए हैं | इसी तरह 2014 में उन्होंने मोदी की जीत का श्रेय लिया था , तो मोदी ने दूध से मख्खी की तरह निकाल बाहर किया था | नीतीश कुमार को राजनीतिक विचारधारा का ज्ञान देने लगे , तो उन्होंने भी दूध से मक्खी की निकाल बाहर फैंका | अब केजरीवाल निकाल बाहर करेंगे , क्योंकि जब उन्होंने जीत का श्रेय लेने वाले प्रशांत भूषण , प्रो.आनंद कुमार , योगेन्द्र यादव , कुमार विशवास को निकाल बाहर किया तो प्रशांत किशोर किस बाग़ की मूली हैं |
याद आता है एक पत्रकार ने चेनल बदला था , नए चेनल के सम्पादक के नाते जब वह लालू यादव का इंटरव्यू लेने गया तो लालू यादव ने कहा ,अरे तुम तो उस चेनल में थे , इस पर पत्रकार महोदय ने कहा कि इस चेनल को बहुत ठीक करने की जरूरत है , मुझे चेनल ठीक करने के लिए लाया गया है | यह बात रिकार्ड हो गई थी , किसी ने वह रिकार्डिंग चेनल के मालिक को सुना दी और अगले दिन पत्रकार पैदल हो गए | हालांकि एक पुरानी कहावत भी है कि बैल गाडी के नीचे चल रहा कुत्ता यह समझता है कि बैल गाडी वही चला रहा है | लेकिन अपन उस कहावत का इस्तेमाल नहीं करते |
विजुअल मीडिया के साथ ही चुनावों में भाड़े के रणनीतिकारों का चलन शुरू हुआ था , तो वे आकर प्रवक्ताओं को बताते थे कि कैमरा मुहं के सामने आने पर चेहरा किस तरह दिखना चाहिए , हाथों का हाव भाव कैसा रहना चाहिए , पीछे का बेकग्राऊंड कैसा होना चाहिए | किस बात को कितना और कैसे कहना चाहिए | उन दिनों वी.एन गाडगिल कांग्रेस के प्रवक्ता हुआ करते थे , वह इस बात से बेहद खफा थे कि कांग्रेस ने एक कम्पनी को ठेका दे दिया था और उस कम्पनी के युवा कर्मचारी ब्रीफिंग से ठीक पहले राजनीति के धुरंधर वी.एन.गाडगिल को ज्ञान देने आते थे |
भाजपा ने 2013 में जब नरेंद्र मोदी को प्रचार अभियान का प्रभारी और बाद में प्रधानमंत्री पद के लिए अपना चेहरा घोषित किया , तो नरेंद्र मोदी ने चेहरा चमकाने का ठेका प्रशांत किशोर को दिया था | अब जिन्हें वह गांधी का हत्यारा बता रहे हैं , कुछ दिन पहले तक उन को प्रधानमंत्री के पद पर पहुँचाने का श्रेय ले रहे थे | मंगलवार को प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर आरोप लगाया कि वह गांधी के हत्यारों के साथ गठबंधन किए हुए हैं | प्रशांत किशोर को यह तब नहीं दिखा था जब वह मोदी को प्रधानमंत्री बनवाने का श्रेय ले रहे थे | उन्हीं मोदी के साथ नीतीश कुमार गठबंधन करें तो गांधी के हत्यारों के साथ गठजोड़ |
असल में प्रशांत किशोर को मीडिया ने झूठ मूठ का चुनावी रणनीतिकार बना रखा है | मीडिया के सिर पर बिठाने से वह अपने को राजनीति का गुरु भी समझने लगे हैं | न उन्हें विचारधाराओं का कोई ज्ञान है न राजनीतिक इतिहास की जानकारी है | मंगलवार को उन्होंने पटना में कहा कि नीतीश कुमार खुद को गांधी, जेपी और लोहिया की विचारधारा का अनुयाई बताते हैं , लेकिन फिर वह गोडसे की विचारधारा वालों के साथ कैसे खड़े हो सकते हैं | पहली बात तो यह है कि उन्हें पता होना चाहिए कि जेपी और लोहिया दोनों जनसंघ भाजपा के निकट थे | दूसरी बात यह कि गोडसे हिन्दू महासभा में थे , न कि भाजपा के पितृ संगठन आरएसएस में | उन्हें जरा गांधी हत्याकांड की चार्जशीट भी पढ़ लेनी चाहिए | तीसरी बात अगर आरएसएस गांधी का हत्यारा था तो फिर कोर्ट के फैसले में उस का जिक्र क्यों नहीं आया | जो बात आज प्रशांत किशोर ने कही है , वही बात कह कर सीता राम केसरी ने कोर्ट में माफी माँगी थी |
खैर उन का एक और एतराज हैरानी में डालना वाला है , उन का एतराज यह है कि गुजरात का कोई नेता कौन होता है यह कहने वाला कि वही बिहार के नेता बने रहेंगे | वह नीतीश कुमार की तारीफ़ करते हुए कहते हैं कि वह बिहार की शान थे , अब गुजरात के नेता तय कर रहे हैं कि वह नेता बने रहेंगे | इस तरह उन्होंने नीतीश कुमार के खिलाफ चुनावी गुगली फैंक दी है कि बिहार का मुख्यमंत्री यहाँ के लोगों की शान है , वह किसी का मनेजर या पिछलग्गू नहीं होना चाहिए | इस तरह उन्होंने नीतीश कुमार को मोदी अमित शाह का पिछलग्गू बता कर लालू परिवार की शरण में जाने की तैयारी कर ली है | वह कन्हैया को भी मुख्यमंत्री बनवाने का ख़्वाब दिखा रहे हैं , जिसे लालू बिलकुल पसंद नहीं करते |
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