सरदार पटेल को श्रद्धांजली में कश्मीर 

Publsihed: 30.Oct.2019, 14:09

अजय सेतिया / अमित शाह ने एक रणनीति के तहत सरदार पटेल के जन्मदिन को जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित बनाने का  दिन चुना | आज सरदार वल्लभ भाई पटेल की 144वीं जयंती है और आज ही दोनों राज्यों के उपराज्यपाल पदभार ग्रहण करेंगे  | देश की आजादी और आज़ादी के बाद उस के निर्माण में सरदार पटेल की ख़ास भूमिका थी | आजादी से पहले भारत छोटे-छोटे 562 देशी रियासतों में बंटा था | जिनके भारत में विलय की जिम्मेदारी सरदार पटेल ने सम्भाली थी | बस जम्मू कश्मीर की जिम्मेदारी खुद नेहरु ने अपने हाथ में रखी थी, जहां वह अपने चहेते शेख अब्दुल्ला को सत्ता सौंपना चाहते थे | जम्मू कश्मीर की समस्या ऐसी उलझी कि आज तक नही सुलझ पाई है | पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर पर कब्जे के लिए हमला कर दिया था तो सरदार पटेल के विरोध के बावजूद नेहरु युद्धविराम कर के कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में ले गए थे | इसलिए आज जब नेहरु का कश्मीर को दिया गया विशेषाधिकार 35 ए और 370 खत्म कर के जम्मू कश्मीर पर भारत का संविधान और संसद के क़ानून लागू हो रहे है,  जम्मू कश्मीर और लद्दाख को अलग अलग केंद्र शासित क्षेत्र बना दिया गया है तो इसे सरदार पटेल को श्रद्धांजली माना जाना चाहिए |

मोदी साकार ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख के नए प्रशासन को आदेश दिया है कि सभी सरकारी दफ्तरों में सरदार पटेल के चित्र लगाए जाएं | वैसे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के चित्र तो लगेंगे ही , कहीं कहीं महात्मा गांधी के चित्र भी टंगे होंगे , लेकिन सरकारी आदेश से सरदार पटेल के चित्र लगने वाला जम्मू कश्मीर पहला राज्य और लद्दाख पहला केंद्र शासित क्षेत्र बन गया है | हो सकता है अमित शाह के दिमाग में आने वाले दिनों में ऐसा ही आदेश सभी राज्यों के लिए जारी करने का इरादा हो | गुजरात में सरदार पटेल की दुनिया की सब से ऊंची प्रतिमा स्थापित करने के बाद मोदी सरकार का यह आदेश नए भारत के निर्माण में सरदार पटेल की भूमिका को सही स्थान दिलाने वाला है , जिस की कांग्रेस शासन के दौरान अनदेखी की गई थी | कांग्रेस सरदार पटेल की अनदेखी भले करती रही हो ,मोदी सरकार के सरदार पटेल को नेहरु से ज्यादा सम्मान देने का विरोध भी नहीं कर सकती |

कश्मीर में उठाया गया मोदी सरकार का हर कदम कांग्रेस को शूल की तरह चुभ रहा है | बावजूद इस के कि उस का हर कदम किसी न किसी तरह पाकिस्तान को फायदा पहुँचाने वाला साबित हो जाता है , उसे बाद में एहसास भी होता है , लेकिन अगली बार फिर वही गलती | कश्मीर से 370 हटाए जाने के बाद राहुल गांधी ने वहां कश्मीरी मुसलमानों के साथ जुल्म होने की बाट खी थी , तो पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भेजी अपनी याचिका में राहुल गांधी के बयान का हवाला दिया था | संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के भाषण में भी कांग्रेसी नेताओं के बयानों का हवाला था | अब यूरोपियन यूनियन के कई देशों के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को कश्मीर का दौरा करवाने पर भी कांग्रेस की प्रतिक्रिया पाकिस्तान को फायदा पहुँचाने वाली है |

मोदी सरकार ने यूरोपियन यूनियन के सांसदों का दौरा संयुक्त राष्ट्र में दिए गए इमरान खान के भाषण को पंक्चर करने के लिए ही करवाया है | ताकि पाकिस्तान के आरोपों को अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय ही नकार दे , लेकिन मोदी विरोध के चक्कर में विपक्ष ने वामपंथी और मुस्लिमपंथी लाईन अपनाते हुए यूरोपियन यूनियन के सांसदों को दक्षिण पंथी , नाजीवादी और मुस्लिम विरोधी कह कर खारिज करने की कोशिश की , कह कर विपक्ष ने पाकिस्तान का पक्ष मजबूत करने की नापाक कोशिश की है | आमतौर पर ऐसा नहीं होता , लेकिन विपक्ष के नेताओं के तीखे बयानों पर यूरोपियन यूनियन के सांसदों ने भी तीखा जवाब दिया है | इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए यूरोप के सांसदों ने कहा कि अगर वे नाजीवादी होते तो चुनाव कैसे जीतते | उन्होंने यह कह कर कश्मीर मुद्दे के अन्तर्राष्ट्रीयकरण के आरोप को भी खारिज कर दिया कि वे यूरोपियन यूनियन को कोई रिपोर्ट नहीं सौंपेंगे क्योंकि 370 भारत का अंदरुनी मामला था |

 

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