अजय सेतिया / कांग्रेस के लोग गांधी परिवार से इतर कुछ सोच क्यों नहीं पा रहे | ले देकर सोनिया , राहुल और प्रियंका | जब तक रेहान गांधी वाड्रा बड़ा नहीं हो जाता , तब तक यही तीनों विकल्प हैं | ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ कि कांग्रेस पांच साल से ज्यादा समय के लिए सत्ता से बाहर हुई है | 1996 से ले कर 2004 तक लगातार तीन चुनाव हार कर आठ साल सत्ता से बाहर रही है | लेकिन ऐसा क्या हुआ कि दो चुनाव हारने के बाद कांग्रेसी हताश और निराश हो गए हैं |
महात्मा गांधी ने नेहरु परिवार को भारत का भाग्य विधाता बनाने के लिए क्या क्या नहीं किया था | सिर्फ इतना नहीं कि 14 कांग्रेस कमेटियों में से 12 सरदार पटेल को प्रधानमंत्री बनाना चाहती थी और गांधी ने उसे खारिज कर नेहरु को प्रधानमंत्री बनवाया | वह नेहरु खानदान के लिए भविष्य की चिंता भी कर के गए थे | इंदिरा नेहरु खान के पति फिरोज जहांगीर खान को फिरोज जहांगीर गांधी नाम तक दिया , ताकि इंदिरा खुद और उन के बच्चे अपना सरनेम गांधी लिख सकें |
स्वर्ग लोक में महात्मा गांधी तो बहुत निराश हुए होंगे , जब उन्होंने सुना होगा कि गांधी सरनेम के बावजूद राहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ दिया है | कांग्रेस अध्यक्ष पद को अपने नियन्त्रण में रखने के लिए गांधी ने खुद कितने पापड़ बेले थे | एक बार तो उन्होंने देश के बड़े नेता सुभाष चन्द्र बोस को अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को मजबूर किया था | गांधी की मुहं बोली बहु इंदिरा गांधी ने कांग्रेस को अपने नियन्त्रण में रखने के लिए पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीन्द्वार को खारिज कर के अपना उम्मीन्द्वार खड़ा कर दिया था | उन्होंने अपने नियन्त्रण के लिए 1969 में पार्टी को दो-फाड़ तक कर दिया था |
पर आज ऐसी स्थिति आ गई कि गांधी परिवार में कोई योग्य वारिस दिखाई नहीं दे रहा और गांधी परिवार के नियन्त्रण में पार्टी इतनी पंगु हो चुकी है कि पार्टी के बाहर कोई कदावर नेता बचा नहीं | अगर कांग्रेस का कोई सर्वमान्य नेता बचा होता तो दो महीनों तक नेतृत्व विहीन रही पार्टी की बागडौर सोनिया गांधी दुबारा नहीं सम्भालती | लेकिन इस बीच एक सवाल खड़ा हो गया है , जो पहले भी उठता रहा है , कि सोनिया गांधी अपनी बेटी के हाथ में बागडौर नहीं देना चाहती थी , इसलिए उन्होंने अपने राजनीति में अनाडी और अपरिपक्व बेटे राहुल गांधी को पार्टी में उभारा | दस साल के बाद भी उन में परिपक्वता के कोई लक्ष्ण नहीं दिखे , फिर भी उन्हें अध्यक्ष बनाया |
दो चुनावों की लगातार हार के बाद उन्होंने राजनीति में हार तो मान ली, लेकिन अपनी बहन प्रियंका को बागडौर सौंपने को फिर भी तैयार नहीं हुए | अब जब वह खुद इस्तीफा दे रहे थे , तो उन्हें यह शर्त रखने का अधिकार किस ने दिया था कि गांधी परिवार से कोई अध्यक्ष नहीं होगा | क्या वह प्रियंका को रोकना चाहते थे | गांधी परिवार में अभी भी सब से बड़ी सोनिया गांधी है , अगर परिवार के बारे में किसी को फैसला करने का हक है , तो वह सोनिया गांधी को है | लेकिन क्या कारण है कि खुद कार्यकारी अध्यक्ष बन कर भी सोनिया गांधी ने प्रियंका के हाथ में बागडौर नहीं सौपी | उन्हें आधे उत्तर प्रदेश का प्रभारी बना कर छोड़ दिया गया है | राहुल गांधी के समर्थक अचानक सोनिया गांधी पर आरोप लगा रहे हैं कि वह उन्हें किनारे कर रही है | क्या यह सब राहुल गांधी के इशारे पर हो रहा है | जिस माँ ने अयोग्य होने के बावजूद अपने बेटे को अध्यक्ष बनाया था , उस के साथ कोई बेटा ऐसे कैसे कर सकता है |
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