एनडीए-यूपीए में अब दोहरी जंग। पहली जंग कैश फॉर वोट के मोर्चे पर। दूसरी जंग आतंकवाद के मोर्चे पर। अपन दो दिन की छुट्टी पर गए। इसी बीच बंगलुरु-अहमदाबाद में बम धमाके हो गए। अब आतंकवाद पर कांग्रेस-बीजेपी में छीछालेदर। अपन छीछालेदर की बात बाद में करेंगे। पहले बात कैश फॉर वोट के मोर्चे पर यूपीए-एनडीए जंग की। अपने दिग्गी राजा ने आरोप लगाया था- 'एक करोड़ रुपया इंदौर के बैंक से निकाला गया। सीएम शिवराज की पत्नी के पार्टनर के खाते से पैसा निकला।
नोटों की गङ्ढियों पर बैंक की स्टैंप मौजूद।' एनडीए मीटिंग के बाद सुषमा स्वराज बोली- 'संसदीय कमेटी दिग्विजय सिंह को तलब करके पूछताछ करे। आखिर उन्हें गङ्ढियों पर बैंक की स्टैंप का कैसे पता चला। यह तो नोट देने वाले, नोट लेने वाले और स्पीकर को ही मालूम।' कैश फार वोट कांड की बात चली। तो बतातें जाएं- पदमश्री राजदीप सरदेसाई के सीएनएन-आईबीएन ने भले ही घूसखोरी की सीडी छुपा ली हो। बड़े पर्दे पर फिल्म के लिए 'भागम भाग' की स्क्रिप्ट तैयार। स्क्रिप्ट लिखी है मुख्तार अब्बास नकवी ने। फिल्म बनाएंगे नितिन मवानी। निर्देशक होंगे- विजय गोखले। दिग्गी राजा भले कहें- 'कांड की स्क्रिप्ट इंदौर में लिखी गई।' पर 'भागम भाग' की शूटिंग कोल्हापुर में शुरू हो चुकी। बताते जाएं- मधुर भंडारकर की 'कार्पोरेट' के स्क्रिप्ट राईटर भी नकवी थे। नकवी सौ से ज्यादा फिल्मों का स्क्रिप्ट लिख चुके। बात सुषमा की। बोली- 'किशोर चंद्र देव की सात मेंबरी कमेटी को ग्यारह मेंबरी किया जाए। शिव सेना, बीजेडी के मेंबर भी शामिल हों। सवाल के बदले घूस कांड में ग्यारह मेंबर कमेटी थी।' सुषमा की बातों से लगा- एनडीए स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भले न लाए। सरकार के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव भले न लाए। पर जंग होगी जमकर। सरकार भी बेखबर नहीं। सो, मानसून सत्र टले, तो अपन को हैरानी नहीं होगी। ग्यारह अगस्त से होना होता। तो अब तक नोटिफिकेशन हो जाता। यों सत्र से पहले जंग आतंकवाद के मोर्चे पर शुरू हो चुकी। सुषमा ने जंग का ऐलान कैसे किया। अपन वह भी बताएंगे। पर पहले बात वारदातों की। जिन दो शहरों में बम फटे। दोनों बीजेपी रूल राज्यों में। इससे पहले जयपुर में बम फटे थे। वह भी बीजेपी रूल स्टेट में। तो क्या अब बीजेपी रूल स्टेट आतंकियों के निशाने पर? संसद पर हमले के बाद अब अपनी जम्हूरियत पर हमला। बीजेपी को चुनने वाले वोटर आतंकियों के निशाने पर। अपने पीएम मनमोहन ने फिर वही पुराना राग अलापा। अहमदाबाद जाकर बोले- 'आतंकवादियों के मंसूबे कामयाब नहीं होने देंगे।' अपन ने मनमोहन के मुंह से यह बात बारहवीं बार सुनी। पर आतंकवादी वारदातें नहीं रुकी। बात अहमदाबाद की। पीएम के साथ सोनिया गई थी या सोनिया के साथ पीएम। यह तो सरकार भी नहीं बता पाती। बात सरकार की चली। तो सरकार का ताजा शगूफा बताएं। शिवराज पाटिल अब फिर संघीय एजेंसी की जरूरत बताने लगे। मनीष तिवारी ने भी चौबीस अकबर रोड पर साऊथ ब्लॉक वाला रिकार्ड बजाया। जयपुर धमाकों के बाद भी राग संघीय एजेंसी बजा था। अपन को एक बात समझ नहीं आई। कांग्रेस ने एनडीए राज में संघीय जांच एजेंसी की मुखालफत क्यों की थी। तब आडवाणी ने सीएम मीटिंग बुलाई थी। कांग्रेसी और वामपंथी मुख्यमंत्रियों ने मुखालफत की। अब पोटा हटाने वाली सरकार को संघीय जांच एजेंसी की क्या जरूरत। आतंकवाद विरोधी कानून के बिना जांच एजेंसी करेगी भी क्या। सिर्फ राज्य सरकारों पर कीचड़ उछालने के काम आएगी। बात कीचड़ उछालने की चली। तो अब के पहला पत्थर बीजेपी ने मारा। सुषमा बोली- 'केंद्र सरकार ही आतंकी वारदातें करा रही है।' इतना बड़ा पत्थर मुंह पर पड़े। तो कांग्रेस कैसे चुप रहती। सो मनीष तिवारी ने भी मुंह तोड़ जवाब दिया। बोले- 'यह बीजेपी की घटिया स्तर की राजनीति का सबूत।'
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