अजय सेतिया / वाजपेयी सरकार में गृह राज्य मंत्री रहे चिन्मयानंद को यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है | आप हैरान हुए होंगें कि अपन ने यौन शोषण क्यों लिखा , बलात्कार क्यों नहीं लिखा | यह इस लिए क्योंकि एसआईटी ने चिन्मयानंद के साथ नरमी बरतते हुए उन पर बलात्कार की धारा 376 नहीं लगाई, बल्कि यौन शोषण की धारा 376 (सी) लगाई है | जब कि यौन शोषण का शिकार हुई चिन्मयानंद के ला कालेज की छात्रा ने खुद एसआईटी के सामने दिए अपने बयान में बलात्कार का आरोप लगाया था | हैरानी की बात तो यह है कि उत्तर प्रदेश पुलिस के चीफ अपनी प्रेस कांफ्रेंस में कहते हैं कि चिन्मयानंद को बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया है , लेकिन जब उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाता है तो उन पर यौन शोषण का चार्ज लगाया जाता है , बलात्कार का नहीं |
बलात्कार का शिकार हुई लडकी ने चिन्मयानंद की गिरफ्तारी के बाद दो बातें कही हैं | एक तो उस ने यह कहा कि वह मुख्यमंत्री की आभारी हैं कि चिन्मयानंद की गिरफ्तारी हुई | अपन उस लडकी के इस बयान से कतई सहमत नहीं हैं , अगर योगी आदित्यनाथ चाहते तो वह पहले ही पुलिस को फ्री हैण्ड दे देते , एसआईटी गठित कर देते , लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया | लडकी को सुप्रीमकोर्ट जाना ही नहीं पड़ता | बल्कि सच यह है कि एसआईटी सुप्रीमकोर्ट के निर्देश से गठित हुई और गिरफ्तारी भी सुप्रीमकोर्ट के डर से हुई | अलबत्ता खुद उस लडकी ने जब 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने बलात्कार का बयान दे दिया था , तो गिरफ्तारी होनी ही थी | 164 के बयान होने के तुरंत बाद चिन्मयानंद को दस्त लग गए थे |
लडकी ने दूसरा बयान यह दिया है कि उस ने एसआईटी को 43 वीडियो वाली पैन ड्राईव देते हुए बलात्कार की बात कही थी | बल्कि अब तो यह रहस्यमई है कि एसआईटी ने किस के दबाव में बलात्कार की बजाए यौन सम्बन्ध के लिए दबाव बनाने का चार्ज लगाया है | अगर चिन्मयानंद पर बलात्कार का चार्ज लगाया जाता है और वह साबित होता है , तो उसे आजीवन कारावास हो सकता है | अब जबकि एसआईटी ने किसी अदृश्य दबाव में यौन सम्बन्ध का चार्ज लगाया गया है तो उसे 5 से 10 साल के बीच ही सजा होगी |
इस घटनाक्रम में एक और पहलू लडकी के चचेरे भाईयों की ओर से ब्लैकमेलिंग कर के वसूली करने का भी है , जिस में पांच गिरफ्तारियां हो गई हैं | अपन को पूरा विशवास है कि इस मामले को बलात्कार का आरोप नहीं लगाने के हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा |
यह अच्छी बात है कि भाजपा के नेता थोड़ी एहतियात बरत रहे हैं , शायद नरेंद्र मोदी से डरे हुए हैं , वरना याद होगा कि आशा राम बापू का किस तरह बचाव कर रहे थे , हालांकि विरोधी दलों ने आशाराम बापू के वाजपेयी, आडवानी और मोदी के साथ पुराने वीडियो दिखा कर राजनीतिक लाभ उठाने की कोई कसर नहीं छोडी थी | तब ऐसा वातावरण बनाया गया था कि यूपीए सरकार ने हिंदुत्व को बदनाम करने के लिए आशाराम बापू पर झूठे आरोप लगाए है और मोदी के प्रधान मंत्री बनते ही उसे रिहा करवा लिया जाएगा | लेकिन मोदी के प्रधानमंत्री बनने के साढ़े पांच साल बाद भी आशाराम बापू जेल में है | हैरानी यह है कि मोदी और सुप्रीमकोर्ट के डर के बावजूद कोई न कोई चिन्मयानंद की मदद कर रहा है , जिस कारण उस पर बलात्कार का चार्ज नहीं लगाया गया है |
इस घटनाक्रम से एक और सबक लेने की जरूरत है , वह यह कि एक व्यक्ति के नियन्त्रण वाली संस्थाओं को शिक्षण संस्थान चलाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए | संस्थाओं के भीतर संस्थानों के कर्ताधर्ता के आवास नहीं होने चाहिए | ऐसा कर के मुजफ्फरपुर के बालिका गृह , शाहजहांपुर में चिन्मयानंद के एसएस कालेज और सिरसा के बाबा राम रहीम के आश्रम जैसी घिनौनी घटनाएं टाली जा सकती हैं |
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