अजय सेतिया / पाकिस्तानी मीडिया में क्या चल रहा है , इसे ले कर अपनी उत्सुकता हमेशा से बनी रही है | अपन गाहे-ब-गाहे इंटरनेट पर पाकिस्तानी वेबसाईटों और टीवी चेनलों की डिबेट को खंगालते रहे हैं | जब से भारत ने कश्मीर से 370 और 35ए हटाई है , तब से तो अपन पाकिस्तानी मीडिया में चल रही खबरों को बारीकी से देख रहे हैं | दो दिन पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मोहम्मद कुरैशी ने कहा था कि कश्मीर को ले कर जैसी एकता पाकिस्तान में है , वैसी भारत में नहीं है | लगातार कांग्रेस पार्टी और उस के नेताओं के बयानों को इस्तेमाल कर रहे पाकिस्तान ने पहली बार कश्मीर को ले कर भारत में मतभिन्नता की बात कही है | अपने बयान में शाह महमूद कुरैशी ने संसद में 370 हटाने का विरोध करने वाली कांग्रेस , कम्यूनिस्ट और समाजवादी पार्टी का जिक्र भी किया | कुरैशी के बयान के बाद इन तीनों पार्टियों को अपनी कश्मीर नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए |
शाह मोहम्मद कुरैशी का यह बयान सौ फीसदी सही है कि पाकिस्तान के राजनीतिक दलों में कश्मीर को ले कर एकता है , लेकिन दूसरी तरफ पाकिस्तान के आवाम में कश्मीर को लेकर उत्साह खत्म होता जा रहा , इसे अपन ने पहली बार पन्द्रह साल पहले अटल बिहारी वाजपेयी के साथ अपनी पाकिस्तान यात्रा के समय महसूस किया था | जैसे भारतीय टीवी चेनलों पर 370 हटाने के बाद आवाम की प्रतिक्रिया दिखाई गई थी , वैसे ही पाकिस्तानी टीवी चेनलों पर भी आवाम की राय भी दिखाई गई है | जिस में ज्यादातर लोगों का मानना है कि कश्मीर के चक्कर में पाकिस्तान ने अपने बजट का एक बड़ा हिस्सा सेना पर बर्बाद कर के अपनी माली हालत खराब कर ली है |
पाकिस्तानी टीवी चेनलों पर शाम को होने वाली बहस में भी कश्मीर पर सरकारी रूख का विरोध किया जा रहा है | अनेक विशेषज्ञों को तो यह कहते भी सुना गया कि अगर पाक अधिकृत कश्मीर पर पाक का पूरा अधिकार है , तो भारत को आप कैसे रोक सकते हैं | एक कमेंटेटर ने तो यहाँ तक विश्लेष्ण किया कि 370 और 35 ए संयुक्त राष्ट्र के कश्मीर सम्बन्धी प्रस्ताव के बाद लागू हुए थे , इस लिए भारत को अगर कुछ विशेष अधिकार देने का हक था , तो उसे वापस लेने का हक भी है | 370 हटाने के पक्ष में इतनी मजबूत दलील तो भारत सरकार ने भी नहीं दी है | अनेक विशेषज्ञों ने यहाँ तक कहा कि आज पूरी दुनिया भारत के साथ खडी है , क्योंकि भिखारियों के साथ कौन खड़ा होना चाहेगा | कश्मीरी मुसलमानों पर गोली चलाए जाने सम्बन्धी एक एंकर ने जब एक विशेषग्य से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि अगर आज़ाद कश्मीर ( पीओके ) में कश्मीरी युवक भारत के झंडे लहराएं और नारे लगाएं कि कश्मीर बनेगा भारत का हिस्सा , तो पाकिस्तानी सेना क्या करेगी |
दूसरी तरफ अगर हम भारत के तीन राजनीतिक दलों और उन के समर्थकों को छोड़ दें , तो भारतीय आवाम पूरी तरह भारत सरकार के साथ खडी है | 370 और 35 ए हटाए जाने के बाद अलबत्ता मोदी सरकार का समर्थन बधा है | मीडिया में भी 370 हटाने का विरोध करने वालों की तादाद न के बराबर है , राष्ट्रीय भावनाओं के उभार में उन की आवाज भी धीमी पड चुकी है | हाँ भारतीय मीडिया का एक वर्ग मानवाधिकारों के नाम पर कश्मीर के मुद्दे को अपने दृष्टिकोण से उठा रहा है , जिसे ले कर मीडिया में ही मतभेद हैं , लेकिन यह पत्रकारीय आज़ादी का मामला है न कि 370 पर मतभेद का मामला | अंतर्राष्ट्रीय मीडिया भी अपनी रिपोर्टिंग में कश्मीर के कर्फ्यू, पत्रकारीय आज़ादी और मानवाधिकारों के हनन का मुद्दा उठा रहा है | अपना मानना है कि 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर में सामान्य हालात नहीं , इसलिए असामान्य हालात में पत्रकारीय आज़ादी का प्रभावित होना लाजिमी है |
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