अजय सेतिया / राजनाथ सिंह के पाक अधिकृत कश्मीर सम्बन्धी बयान पर लोगों को आश्चर्य हो रहा है , खासकर उन लोगों को , जो यह मान कर चल रहे हैं कि सरकार को सिफ दो ही लोग चला रहे हैं | राजनाथ सिंह ने कहा है अब जब भी पाकिस्तान से बात होगी , तो वह पाक अधिकृत कश्मीर पर होगी , न कि भारत के नियन्त्रण वाले कश्मीर पर | कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच विवादास्पद मानने वाले फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ही नहीं , कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों को भी राजनाथ सिंह के इस बयान से गहरा झटका लगा होगा | वे समीक्षा कर रहे हैं कि राजनाथ सिंह ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह से बड़ी लकीर खींचने के लिए यह बयान दिया है या वास्तव में यह अब मोदी सरकार की नई कश्मीर नीति है |
यह सत्य है कि अमित शाह ने राज्यसभा में कांग्रेस के अंकगणित को तहश-नहश कर राजनीतिक चाणक्य होने का प्रमाण दिया है , जिस कारण भाजपा काडर में उन की छवि मोदी के बाद नम्बर दो की हो गई है | लेकिन यह भी सत्य है कि राजनाथ सिंह पूर्व गृह मंत्री ही नहीं , मौजूदा मोदी सरकार में अधिकृत तौर पर नम्बर दो भी हैं | इस लिए अपन यह मान कर चल रहे हैं कि उन्होंने मोदी सरकार की नई कश्मीर नीति का खुलासा किया है | अनुच्छेद 370 को खोखला कर के 35 ए को खारिज कर के मोदी सरकार ने अपनी कश्मीर नीति पर अमल किया है , अन्यथा जिस कश्मीर नीति का खुलासा राजनाथ सिंह ने किया है , वह मोदी के पहले शासन काल 2014-2019 में बन चुकी थी |
आप याद करिए कि उस कार्यकाल में पाकिस्तान के साथ कश्मीर मुद्दे पर एक भी बातचीत नहीं हुई | फरवरी 2017 में जब बुरहान वानी मुठभेड़ में मारा गया था , तो पाकिस्तान ने उसे संयुक्त राष्ट्र में उठाने की कोशिश की थी और मार्च में भारत से कश्मीर पर बातचीत की पेशकश की थी | मौजूदा विदेशमंत्री एस. जयशंकर उस समय विदेश सचिव थे , उन्होंने बातचीत की पेशकश ठुकराते हुए कहा था कि वह आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के विदेश सचिव से वार्ता करने को तैयार हैं , कश्मीर मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं होगी | यानी मोदी सरकार कश्मीर पर द्विपक्षीय बातचीत को ठुकरा चुकी थी |
अभी हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान ने 370 हटाए जाने का मुद्दा उठाया तो भारत के प्रतिनिधी अकबरुदीन ने दो टूक शब्दों में कहा कि यह भारत का अंदरुनी मामला है | इस के साथ ही उन्होंने यह कहते हुए संयुक्त राष्ट्र के 1948 के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया कि 1972 में जब शिमला समझौते में यह कह दिया गया कि वार्ता द्विपक्षीय होगी , तो संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव उसी दिन निरस्त हो गया था | संयुक्त राष्ट्र में भले ही भारत ने पाकिस्तान का मुह बंद करने के लिए कश्मीर पर द्विपक्षीय बातचीत का सहारा लिया , लेकिन मोदी सरकार कश्मीर पर जवाहर लाल नेहरु और इंदिरा गांधी दोनों की नीति खारिज कर चुकी है | अलबत्ता मोदी सरकार 1994 में नरसिंह राव की कश्मीर नीति पर चल रही है , जो अटल बिहारी वाजपेयी की सहमति से बनी थी और जिस पर संसद में सर्व सम्मति से प्रस्ताव पास हुआ था |
राजनाथ सिंह ने उसी का खुलासा किया है , वह नीति है पाक अधिकृत कश्मीर पर ही बात करने की | कांग्रेस का नेतृत्व मोदी सरकार की कश्मीर नीति को समझने में असमर्थ है , इस लिए 370 खत्म किए जाने से 24 घंटे पहले राज्यसभा में विपक्ष के नेता चुनौती देते हुए कहने की हिम्मत करते हैं कि कांग्रेस के रहते 370 खत्म नहीं हो सकता | लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन सदन में यह कह जाते हैं कि कश्मीर अंतर्राष्ट्रीय विवाद का मुद्दा है , इस लिए आप 370 खत्म नहीं कर सकते | मोदी सरकार के लिए न तो कश्मीर अब अंतर्राष्ट्रीय विवाद का मुद्दा है , न द्विपक्षीय विवाद का मुद्दा है , जिसे मोदी सरकार के नम्बर दो राजनाथ सिंह ने जगजाहिर कर दिया है |
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