अजय सेतिया / मायावती की खासियत यह है कि वह बाकी नेताओं की तरह कही बात से मुकरती नहीं | अपन ने ऐसे दो ही नेता देखे हैं , जो अपनी हर बात को रिकार्ड करते रहे है, ताकि बाद में कोई गलत अर्थ न निकाल ले या कुछ का कुछ और न बना दे | एक तो अर्जुन सिंह थे , जिन की हर कही बात की रिकार्डिंग की जाती थी , जैसे ही कोई व्यक्ति अर्जुन सिंह से मिलने उन के कमरे में घुसता उन के सहयोगी अंदर जा कर टेपरिकार्डर “आन” कर देते | दूसरी नेता मायावती है , जो बिना लिखे कोई बात बोलती ही नहीं , यहाँ तक कि संसद की सीढ़ियों से उतरते हुए कोई मीडिया कर्मी सवाल पूछ ले , तो वह उतना ही बोलती हैं जितना सदन में बोल कर आई हों , या जितना पहले बोल चुकी हो |
मायावती के निर्देश पर राज्यसभा में बसपा ने 370 हटाए जाने का समर्थन कर के सब को चौंकाया था , लेकिन उन का स्टेंड बसपा के आदर्श डा. अम्बेडकर के रिकार्डिड स्टेंड से मेल खाता है | पांच अगस्त को राज्यसभा में सतीश मिश्रा के स्टेंड से एक बात और साफ़ हुई कि अमित शाह ने मायावती और सतीश मिश्रा से पहले ही बात कर ली थी और उन्हें डा. अम्बेडकर के 370 पर लिए गए सैद्धांतिक स्टेंड के दस्तावेजी सबूत भी दे दिए थे | इस बीच कमुनिस्ट पृष्ठभूमि के बुद्धिजीवियों ने मायावती के खिलाफ यह कहते हुए अभियान चलाया हुआ है कि डा. अम्बेडकर ने तो खुद संविधान में 370 शामिल किया था , उन के विरोध की बात भाजपा की गढी हुई है | इस से खफा मायावती ने विपक्ष के 24 अगस्त के श्रीनगर कूच पर हमला किया और पहली बार अपना मुहं खोलते हुए विपक्ष पर तीखा प्रहार किया | जिस से तिलमिलाए कम्युनिस्ट नेताओं ने कहा कि उन्हें मायावती से राजनीति नहीं सीखनी |
मायावती के 370 हटाने को समर्थन ही काफी नहीं है , यह बात तो पांच अगस्त को ही जाहिर हो गई थी | मायावती का अगला इशारा भाजपा के दुसरे एजेंडे समान नागरिक संहिता को समर्थन देना भी है | हालांकि अभी तो भाजपा से ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैं कि समान नागरिक संहिता या श्रीराम जन्मभूमि मंदिर पर मोदी सरकार इसी कार्यकाल में विधाई फैसला करने जा रही है , लेकिन मायावती के ट्विट से साफ़ संकेत है कि उन्होंने समान नागरिक संहिता पर समर्थन का भी मन बना लिया है | अपने बयान में डा. अम्बेडकर के हवाले से “समानता, एकता व अखंडता” का जिक्र कर के उन्होंने एक तरह से यह कहा है कि डा. अम्बेडकर देश में समान नागरिक संहिता के पक्ष में थे | उन्होंने अपने ट्विट में कहा-“ जैसाकि विदित है बाबासाहब डा. भीमराव अबेडकर हमेशा ही देश की समानता, एकता व अखंडता के पक्षधर रहे हैं इसलिए वे जम्मू कश्मीर राज्य में अलग से धारा 370 का प्रावधान करने के पक्ष में नहीं थे | इसी ख़ास वजह से बीएसपी ने संसद में इस धारा को हटाए जाने का समर्थन किया | “
यह सच है कि कश्मीर के हालात उतने सामान्य तो नहीं हैं , जितने सरकार बता रही है , लेकिन यह सच है कि देश भर में मोदी-अमित शाह का समर्थन बढ़ गया है | जदयू जो पहले 370 हटाने का विरोध कर रहा था , उस ने भी तेवर बदल लिए हैं | यह तय है कि मोदी सरकार भाजपा के बाकी बचे एजेंडों पर तब तक आगे नहीं बढ़ेगी , जब तक कश्मीर में चुनाव करवा के नई सरकार का गठन नहीं हो जाता और राज्यसभा में एनडीए को दो-तिहाई के करीब बहुमत नहीं मिल जाता , इस में कम से कम तीन साल लगेंगे | जहां तक श्रीराम जन्म भूमि मंदिर का सवाल है तो इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले और खुदाई में मिले सबूतों के आधार पर भाजपा आश्वस्त है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मंदिर के पक्ष में ही आएगा , जिस से उन का तीसरा एजेंडा पूरा हो जाएगा |
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